विपक्षी दलों की एकता
आपने भी पढ़ा होगा की दो दिन पहले नितीश कुमार श्रीमती सोनिया गाँधी से मिलने गए । मुद्दा था - राष्ट्रपति चुनाव में पूरा विपक्ष एक होकर अपना उम्मीदवार उतारे। सब कुछ तो मीडिया को भी पता नहीं होता। ये रही अंदर की बात -
नितीश - सोनिया जी , आज मैं एक खास मुद्दे पर आपसे बातचीत करने आया हूँ ; मेरा प्रस्ताव है की हम सभी विपक्ष के लोग एकजुट होकर राष्ट्रपति पद का एक उम्मीदवार चुने और मोदी जी के कैंडिडेट को हरा कर उनका घमंड चकनाचूर करें।
सोनिया - आपका विचार अच्छा है , लेकिन क्या मेरे को कैंडिडेट बनाने से मेरा फोरेन रूट का प्रॉब्लम नहीं आएगा ?
नितीश - बिलकुल आएगा , वर्ना आपसे अच्छा कैंडिडेट कौन होता ! वैसे लालूजी भी बहुत इंटरेस्टेड हैं , लेकिन उनको सबका समर्थन नहीं मिलेगा। मेरे बारे में आपका क्या ख्याल है ? लोग मुझको पसंद करते हैं।
( तभी लालू का प्रवेश )
लालू - क्यों नितीश भाई , आपने चर्चा कर ली हमारे नाम की ?
नितीश - (फुसफुसा कर ) - मैडम ने ना कर दिया है।
लालू - क्यों मैडम ? जब भी कांग्रेस पर संकट पड़ा है , हमने आपका साथ दिया है।
सोनिया - संकट भी तो आपके कारण पड़ा है !
( अखिलेश का प्रवेश )
अखिलेश - सब को पिताजी की तरफ से नमस्ते !
लालू - और तुम्हारी तरफ से ?
अखिलेश - अंकल , हमारी नमस्ते कौन सुनता है ? यू पी के चुनाव के बाद से ही हम दोनों नौजवानो के सितारे गर्दिश में है।
सोनिया - तुमने राहुल को बिना मतलब फँसाया !
अखिलेश - आंटी , जाने दें , किसको किसने फँसाया। फिलहाल मैं एक दरख्वास्त लेकर आया हूँ। जब से हम यू पी चुनाव हारे हैं , पिताजी बौखला गये हैं। हारने का कारण मुझे बताते हैं ; जबकि सच्चाई ये है कि मेरे कारण उनकी इज्जत बच गयी ; वर्ना मुख्यमंत्री वो भी होते तो हारना निश्चित था। जहाँ तहाँ मेरे बारे में उल्टा सुलटा बकते हैं। उनके साथ बैठकर शिवपाल अंकल उन्हें भड़काते हैं।
लालू - भैया , ये तो तुम्हारा आतंरिक मामला है तुम्ही निपटो। ऐसे सभा सोसाइटी में समधी जी की टोपी मत उछालो।
अखिलेश - अरे नहीं लालू अंकल , हम तो बस ये अनुरोध लेकर आये हैं , की आप सब मिलकर उनको राष्ट्रपति का कैंडिडेट बना दो , तो हमारी जान छूट जाये।
सोनिया - इम्पॉसिबल ! मुलायम वाज वैरी हार्ड ऑन राहुल। उसने कांग्रेस के बारे भी ग़लत बोलै।
( सीताराम येचुरी का प्रवेश )
सीताराम - कम्युनिस्ट पार्टी का कैंडिडेट बनूँगा मैं। कम्युनिस्ट पार्टी ने कभी कोई पद नहीं माँगा। बल्कि ज्योति बाबू को प्रधानमन्त्री बनने से भी रोका। हमेशा आप लोगों का साथ दिया। हमारा पोलितब्यूरो ने फैसला किया है , कि देश का राष्ट्रपति मुझे बनाया जाय।
(अचानक ममता का प्रवेश )
ममता - अच्छा अब गुण्डो की पार्टी को भी राष्ट्रपति बनना है। तुमलोगों ने पश्चिम बंगाल को बरबाद कर दिया , अब क्या हिंदुस्तान को बर्बाद करोगे।
(मायावती का प्रवेश )
मायावती - कभी तो दलितों की महिला को भी चांस दो ! मैंने फैसला किया है, कि अब मैं यूपी की चुनावी राजनीति से सन्यास ले लूँ।
अखिलेश - अरे बुआ , सन्यास तो तुम्हे मोदी जी ने दिला दिया। तुम अपने भतीजे को गलियाती रह गयी , वो हम दोनों की बजा के चला गया।
तभी सम्बित पात्रा का प्रवेश -
संबित - मुझे मोदीजी ने एक सन्देश देकर भेजा है , की इस बार हमलोग एक नयी मिसाल पेश करेंगे। हमलोग इस बार किसी विरोधी पार्टी के किसी समझदार वरिष्ठ नेता को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाएंगे। अगर आप लोगों ने कोई उम्मीदवार चुन लिया हो तो उन्हें खबर कर देना।
ऐसा सुनते ही सारे नेता भाग लिए सभा से। अपनी चिर परिचित कुटिल मुस्कान के साथ संबित्त भी वहां से निकल लिए।
इति विपक्ष एकता प्रकरणम