tag:blogger.com,1999:blog-46874596765974326502024-03-05T21:31:49.281+05:30बातचीतबातचीत एक प्लेटफार्म है अपने आस पास होने वाली घटनाओं को सहित्यिक ढंग से बताने का . यानि की एक ऐसा अखबार , जो अखबार जैसा न हो. सांकेतिक कथाएं ,वर्णन ,लेख - सब कुछ हिस्सा होंगे इस ब्लॉग का . सबसे बड़े हिस्सेदार होंगे आप, पाठक गण. बुरे को बुरा कहने में संकोच न करें. लेकिन अच्छा लगे तो दो शब्द उत्साह वर्धन के भी.Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.comBlogger174125tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-75061845376219438552022-10-06T09:38:00.006+05:302022-10-06T09:43:30.525+05:30बौखलाहट !<p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhqcmwNVfRGacAPmX3GBPh5lHhsvKYw8M9xXQdcMnF_6QeCmmE5_ul_bZnf--7MDR-A8S3s_R31Iv_q2n0SNiv0znjKZODyPwTeD_0eyOC8Zk4gNgcvbTtDKjOC88LvybVJ_jEhhhMR3bAq-Sn1n6rvyjRRmc0bj3DdnHl26XYANOkeGdqBTIhpMY1Yyw/s640/dussehra_rally_at_shivaji_park__1662123190.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="360" data-original-width="640" height="225" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhqcmwNVfRGacAPmX3GBPh5lHhsvKYw8M9xXQdcMnF_6QeCmmE5_ul_bZnf--7MDR-A8S3s_R31Iv_q2n0SNiv0znjKZODyPwTeD_0eyOC8Zk4gNgcvbTtDKjOC88LvybVJ_jEhhhMR3bAq-Sn1n6rvyjRRmc0bj3DdnHl26XYANOkeGdqBTIhpMY1Yyw/w400-h225/dussehra_rally_at_shivaji_park__1662123190.jpg" width="400" /></a></div><br />कल शिवाजी पार्क में उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना ने दशहरा मनाया। शिवाजी पार्क और दशहरा तो हर साल की तरह ही था ; लेकिन उद्धव ठाकरे की परिस्थतियाँ बदली हुई थी। उनका सारा भाषण केंद्रित था , एकनाथ शिंदे और उनके शिव सेना से निकले सभी बाग़ी विधायकों के विरुद्ध ! अगर एक शब्द में इस भाषण का कोई शीर्षक देना हो तो मैं दूँगा बौखलाहट !<p></p><p>रावण की जगह उन्हें एकनाथ शिंदे नजर आ रहा था। रावण के दस सिरों की जगह शिंदे के ४० विधायकों के सर नजर आ रहे थे। उन्हें शिंदे का बागपन तो नजर आ रहा था , लेकिन उन्होंने जो चुनाव में जीतने के बाद बीजेपी के साथ किया , वो नजर नहीं आ रहा था। सारे हिंदुत्व को छोड़ वो जा मिले अवसरवादी शक्तियों ले साथ , जहाँ सेक्युलर के नाम पर पालघर में साधुओं की हत्या किये जाने पर भी मौन था। </p><p>सबसे घटिया बात थी , बाला साहेब ठाकरे को अपनी बपौती बताना ! बाला साहेब बाप तो जरूर थे उद्धव के , लेकिन बपौती नहीं ! जिस व्यक्ति को हमेशा हिन्दू ह्रदय सम्राट कहा जाता हो , वो एक व्यक्ति की बपौती कैसे हो सकता है ? ये तो कुछ ऐसा हुआ जैसे की महात्मा गांधी के बेटे पूरे देश द्वारा उन्हें बापू कहे जाने पर ऐतराज करें ! रही सही कसर निकल गयी जब आधा ठाकरे परिवार नजर आया कल ही शाम को एकनाथ शिंदे के मंच पर , जहाँ वो भी अपनी दशहरा रैली निकल रहे थे ; एक अभूतपूर्व समूह के समक्ष !</p><p><br /></p><p>न मेरा व्यक्तिगत विरोध है उद्धव से और न ही विशेष लगाव है एकनाथ से ; लेकिन राजनीति में बौखलाहट के लिए कोई जगह नहीं होती। </p>Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-43010105203955974372022-10-06T09:13:00.000+05:302022-10-06T09:13:02.141+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बहुत से मित्रों के फ़ोन आते रहते हैं ; उन्हें शिकायत है की आजकल ब्लॉग पर कुछ लिख क्यों नहीं रहे ? शिकायत दुरुस्त है। जब मैं अपने मन में कारण ढूंढता हूँ , तो मुझे बस एक ही कारण नजर आता है। वो कारण है देश का माहौल। <br />
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नरेंद्र मोदी जैसा व्यक्ति हमें प्रधानमंत्री के रूप में मिला , देश की अपेक्षाएं बढ़ी। उन अपेक्षाओं को पूरा करने में मोदी ने अपना दिन रात एक कर दिया। दुनिया उनको एक विशेष सन्मान के साथ देख रही है। जितना काम उन्होंने अपने इस डेढ़ साल के कार्यकाल में किया है , मुझे नहीं लगता पिछली किसी प्रधानमंत्री ने इतना काम किया हो। एक ऐसा व्यक्ति जिसके भाषणों में हमेशा देश प्रेम की खुशबू आती है ; जो व्यक्ति हमेशा देश के १२२ करोड़ भारतीयों के लिए काम करता है , और जो व्यक्ति अमन के लिए बड़े से बड़ा जोखिम उठा कर एक फोन पर दिए गए निमंत्रण को स्वीकार कर दुश्मन देश पाकिस्तान चला जाता है - क्या बराबरी करेगा उसका कोई दूसरा प्रधामंत्री !<br />
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लेकिन वाह रे भारत ! जिस व्यक्ति को देश ने पूर्ण बहुमत से अपना नेता चुना उन्हें ये स्वार्थ का चश्मा चढ़ाये हुए विरोधी दल चौबीस घंटे बदनाम करने पर तुले हैं। बेमतलब की बातों पर उन्हें प्रधानमंत्री का बयान चाहिए। राज्य स्तर पर हुए अपराधों पर उन्हें प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा चाहिए। इनका बस चलता तो वो मोदी की पाकिस्तानी दौरे को राष्ट्र विरोधी कार्यवाही घोषित कर देते ; लेकिन जिस ढंग से विश्व ने इस साहसिक कार्य को सराहा उसे देख कर दबी जुबान में बोलती रह गयी कांग्रेस। <br />
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देश की सबसे निकम्मी दिल्ली सरकार बात बात पर केंद्र सरकार को उल्टा सीधा कहती रहती है। अपनी नाकामियों को छुपाने का के लिए केंद्र सरकार की आलोचना को अपना हथियार बनाया है आप ने। <br />
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बिहार के चुनाव को मापदंड बना लिया मोदी की सफलता और विफलता का। बिहार की हार मोदी की विफलता नहीं , बल्कि बिहार के मतदातों की विफलता है। उन्हें कोईबुराई नजर नहीं आती लालू जैसे अपराधियों को अपना सर्वेसर्वा बनाने में। उन्हें जरा भी विचित्र नहीं लगता जब लालूजी के दो अनुभवहीन बेटों को सरकार में उच्च पदों पर थोप दिया जाता है। नितीश की बोलती बंद है , क्योंकि अपने पुराने बड़बोलेपन के कारण उन्हें मोदी की जगह लालू को अपना भागिदार बनाना पड़ा। <br />
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ममता की तृणमूल कांग्रेस जूझ रही है अपने ही मंत्रियों के कारनामों से। दीदी ने अजीब लोगों का समूह पाल रखा है। एनसीपी किंकर्तव्यविमूढ़ है ; कहीं न कहीं उनके अंदर आशाएं है की शायद उन्हें बीजेपी अपने साथ ले ले। <br />
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देश में किसी मुस्लमान के साथ कुछ बुरा हो जाए तो सारे सेक्युलर वादी नाचने लगते हैं , और बिना किसी कारन के मोदी जी जिम्मेवार हो जाते हैं ; लेकिन हजारों हिन्दू लड़कियों का बलात्कार और हत्या हो जाए उनके लिए किसी का मुंह नहीं खुलता। एक दलित छात्र ने आत्महत्या कर ली तो सारी केंद्र सरकार जिम्मेवार हो गयी , लेकिन आई एस आई से जुड़े दर्जनों आतंकवादी पकडे गए तो सबकी बोलती बंद। कहाँ चला जाता है ये सेक्युलर वाद का नाटक। <br />
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मिडिया भी चिताओं की अग्नि पर पूरियां सेक रही है। हत्या मार काट के वीडियो दिन भर में सैंकड़ों बार दिखाए जाते हैं ; फिर एक कहानी शुरू कर दी जाती है </div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-6915545354061514542017-11-11T09:48:00.001+05:302017-11-11T09:48:26.237+05:30Best ever speech on Patriotism<iframe allowfullscreen="" frameborder="0" height="344" src="https://www.youtube.com/embed/videoseries?list=PLLHjOKG14rlxF735CQuFXPb5Uho6F8hhC" width="425"></iframe>Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-8877536975915682052017-05-25T12:57:00.000+05:302017-05-25T12:57:06.875+05:30पीपल , गंगा और गाय <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj8-j_pLvGidnO0L2VnaH5Y5O9zud9brwdskiOYc864K2SQ4nqu2_wMkR0p7DKhDHGI2L7RBWnsbydtSNJEOAVmLKuAabPG8ZF2vCuKl2yCGUEaLG0Vbpcqa1x_PL_l3ylaTxAAef10JeWH/s1600/COW+RIVER+TREE.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="480" data-original-width="852" height="225" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj8-j_pLvGidnO0L2VnaH5Y5O9zud9brwdskiOYc864K2SQ4nqu2_wMkR0p7DKhDHGI2L7RBWnsbydtSNJEOAVmLKuAabPG8ZF2vCuKl2yCGUEaLG0Vbpcqa1x_PL_l3ylaTxAAef10JeWH/s400/COW+RIVER+TREE.jpg" width="400" /></a></div>
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<div style="text-align: center;">
पीपल , गंगा और गाय </div>
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कई बार मन में आता है ; क्यों महत्व है इन सब का हिन्दुओं के जीवन में ! यूँ तो महत्व बहुत सारी वस्तुओं का है , लेकिन क्यों कुछ वस्तुओं या जीवों का विशेष महत्व है ? इस चिंतन में मन में एक बात आयी। हम जीवन पर्यन्त संसार की जिस सामग्री का उपयोग करते हैं , उनका हम किसी न किसी रूप में मूल्य चुकाते हैं। मसलन हमने एक ग्वाले से दूध खरीदा तो उसे दूध का मूल्य दिया , जिससे वो अपनी गायों के लिए चारे की व्यवस्था करता है। यानी अपरोक्ष रूप से हमने गाय को उसके दूध का पूरा नहीं तो आंशिक मूल्य चुकाया। अगर हम अपने बाग़ से फल तोड़ कर कहते हैं , तो हम उस बाग़ की रख रखाव का दायित्व निभाते हैं। <br />
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लेकिन मृत्यु के बाद क्या ? विदेशों में आजकल एक नयी व्यवस्था निकली हुई है। ऐसी ऐसी कम्पनियाँ खुल गयी हैं , जो एक ऐसी सेवा बेचती है , जिसका उपयोग खरीदने वाला व्यक्ति मरणोपरांत ही कर पाता है। वह सेवा है मनचाहा अंतिम संस्कार ! ये कम्पनियाँ अपने ग्राहक से पूछती हैं - १. किस कब्रिस्तान में उसे दफनाया जाय। २. उसकी कब्र कैसी हो ? ३. क्या उस कब्र पर कोई मकबरा बनाया जाय ? ४. उसके शव को कैसा सूट और टाई पहनाई जाए। ५. उसका ताबूत कैसा बनाया जाय।६. उसकी शोक सभा के लिए किस किस को बुलाया जाय। इत्यादि। हर वस्तु की फोटो दिखाकर उसका मॉडल नंबर लिख कर कॉन्ट्रैक्ट तैयार कर लिया जाता है। उन सेवाओं का जो भी मूल्य होता है वो उस व्यक्ति को कॉन्ट्रैक्ट बनने के समय चुकाना होता है। सम्भवतः कोई व्यक्ति इन सब चीजों के भविष्य में सुचारु और इच्छानुसार किये जाने के लिए गवाह भी नियुक्त होता होगा। <br />
<br />
भारत के परिपेक्ष्य में अगर हम सोचें तो इस हद की मानसिकता हमारे देश में नहीं है ; क्योंकि हम परिवारवादी लोग हैं। बेटे कितने भी नालायक क्यों न हों , मरणोपरांत रीति रिवाज जग दिखावे के लिए ढंग से पूरे करते हैं। लेकिन सवाल रीति रिवाज का नहीं है। सवाल है , उस कर्ज का जो हमारे शव के साथ जुड़ा है। आर्य समाज की अंतिम संस्कार पद्धति के अनुसार एक सामान्य मनुष्य के शव के दाह कर्म के लिए १० मन (३७३ किलो) लकड़ी और ४ मन (१५० किलो घी ) की आवश्यकता होती है। शव के पूरी तरह जल जाने के बाद उसकी अस्थियां गंगा या किसी अन्य नदी में बहा दी जाती है। <br />
<br />
इस प्रकार हमारे ऊपर मृत्योपरांत तीन कर्ज होते हैं - पेड़ का कर्ज , गाय का कर्ज और गंगा (नदी) का कर्ज। हर व्यक्ति को ये कर्ज अपने जीवन काल में अग्रिम भुगतान के रूप में चुका देने चाहिए। <br />
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<b>१. जीवन में एक पेड़ अवश्य लगाएं। </b><br />
<b><br /></b>
<b>२. एक गाय को जीवन पर्यन्त पालने की व्यवस्था करें। </b><br />
<b><br /></b>
<b>३. नदियों को दूषित न करें। और आज के समय में तो हम प्रधान मंत्री मोदी के गंगा सफाई अभियान में भी भाग ले सकते हैं।</b> <br />
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जीवन के ये चिंतन हमें प्रेरित करते हैं समाज , देश और प्रकृति के प्रति अपने दायित्व का वहन करने की !<br />
<br /></div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-81800583320273437112017-04-22T09:52:00.001+05:302017-04-22T09:52:17.129+05:30इति विपक्ष एकता प्रकरणम<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
विपक्षी दलों की एकता <br />
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आपने भी पढ़ा होगा की दो दिन पहले नितीश कुमार श्रीमती सोनिया गाँधी से मिलने गए । मुद्दा था - राष्ट्रपति चुनाव में पूरा विपक्ष एक होकर अपना उम्मीदवार उतारे। सब कुछ तो मीडिया को भी पता नहीं होता। ये रही अंदर की बात -<br />
<br />
नितीश - सोनिया जी , आज मैं एक खास मुद्दे पर आपसे बातचीत करने आया हूँ ; मेरा प्रस्ताव है की हम सभी विपक्ष के लोग एकजुट होकर राष्ट्रपति पद का एक उम्मीदवार चुने और मोदी जी के कैंडिडेट को हरा कर उनका घमंड चकनाचूर करें। <br />
सोनिया - आपका विचार अच्छा है , लेकिन क्या मेरे को कैंडिडेट बनाने से मेरा फोरेन रूट का प्रॉब्लम नहीं आएगा ?<br />
नितीश - बिलकुल आएगा , वर्ना आपसे अच्छा कैंडिडेट कौन होता ! वैसे लालूजी भी बहुत इंटरेस्टेड हैं , लेकिन उनको सबका समर्थन नहीं मिलेगा। मेरे बारे में आपका क्या ख्याल है ? लोग मुझको पसंद करते हैं। <br />
<br />
( तभी लालू का प्रवेश )<br />
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhODMCVedJSgKEf3PZVmLKLSlaPsUe7oF6C871gRz890A8jrmsPiTaj7Zpsmknp8hCCyPahPK6OHoRlmkxjLVpZ80z8HAxxcWzSnBBQbJolD971430YA1tmwqe3gZPpoi-miej2VajF6sr6/s1600/president+election.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="213" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhODMCVedJSgKEf3PZVmLKLSlaPsUe7oF6C871gRz890A8jrmsPiTaj7Zpsmknp8hCCyPahPK6OHoRlmkxjLVpZ80z8HAxxcWzSnBBQbJolD971430YA1tmwqe3gZPpoi-miej2VajF6sr6/s320/president+election.jpg" width="320" /></a>लालू - क्यों नितीश भाई , आपने चर्चा कर ली हमारे नाम की ? <br />
नितीश - (फुसफुसा कर ) - मैडम ने ना कर दिया है। <br />
लालू - क्यों मैडम ? जब भी कांग्रेस पर संकट पड़ा है , हमने आपका साथ दिया है। <br />
सोनिया - संकट भी तो आपके कारण पड़ा है !<br />
<br />
( अखिलेश का प्रवेश )<br />
अखिलेश - सब को पिताजी की तरफ से नमस्ते !<br />
लालू - और तुम्हारी तरफ से ?<br />
अखिलेश - अंकल , हमारी नमस्ते कौन सुनता है ? यू पी के चुनाव के बाद से ही हम दोनों नौजवानो के सितारे गर्दिश में है। <br />
सोनिया - तुमने राहुल को बिना मतलब फँसाया ! <br />
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhODMCVedJSgKEf3PZVmLKLSlaPsUe7oF6C871gRz890A8jrmsPiTaj7Zpsmknp8hCCyPahPK6OHoRlmkxjLVpZ80z8HAxxcWzSnBBQbJolD971430YA1tmwqe3gZPpoi-miej2VajF6sr6/s1600/president+election.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"></a>अखिलेश - आंटी , जाने दें , किसको किसने फँसाया। फिलहाल मैं एक दरख्वास्त लेकर आया हूँ। जब से हम यू पी चुनाव हारे हैं , पिताजी बौखला गये हैं। हारने का कारण मुझे बताते हैं ; जबकि सच्चाई ये है कि मेरे कारण उनकी इज्जत बच गयी ; वर्ना मुख्यमंत्री वो भी होते तो हारना निश्चित था। जहाँ तहाँ मेरे बारे में उल्टा सुलटा बकते हैं। उनके साथ बैठकर शिवपाल अंकल उन्हें भड़काते हैं। <br />
लालू - भैया , ये तो तुम्हारा आतंरिक मामला है तुम्ही निपटो। ऐसे सभा सोसाइटी में समधी जी की टोपी मत उछालो। <br />
अखिलेश - अरे नहीं लालू अंकल , हम तो बस ये अनुरोध लेकर आये हैं , की आप सब मिलकर उनको राष्ट्रपति का कैंडिडेट बना दो , तो हमारी जान छूट जाये। <br />
सोनिया - इम्पॉसिबल ! मुलायम वाज वैरी हार्ड ऑन राहुल। उसने कांग्रेस के बारे भी ग़लत बोलै। <br />
<br />
( सीताराम येचुरी का प्रवेश )<br />
<br />
सीताराम - कम्युनिस्ट पार्टी का कैंडिडेट बनूँगा मैं। कम्युनिस्ट पार्टी ने कभी कोई पद नहीं माँगा। बल्कि ज्योति बाबू को प्रधानमन्त्री बनने से भी रोका। हमेशा आप लोगों का साथ दिया। हमारा पोलितब्यूरो ने फैसला किया है , कि देश का राष्ट्रपति मुझे बनाया जाय। <br />
<br />
(अचानक ममता का प्रवेश )<br />
<br />
ममता - अच्छा अब गुण्डो की पार्टी को भी राष्ट्रपति बनना है। तुमलोगों ने पश्चिम बंगाल को बरबाद कर दिया , अब क्या हिंदुस्तान को बर्बाद करोगे। <br />
<br />
(मायावती का प्रवेश )<br />
<br />
मायावती - कभी तो दलितों की महिला को भी चांस दो ! मैंने फैसला किया है, कि अब मैं यूपी की चुनावी राजनीति से सन्यास ले लूँ। <br />
अखिलेश - अरे बुआ , सन्यास तो तुम्हे मोदी जी ने दिला दिया। तुम अपने भतीजे को गलियाती रह गयी , वो हम दोनों की बजा के चला गया। <br />
<br />
तभी सम्बित पात्रा का प्रवेश - <br />
<br />
संबित - मुझे मोदीजी ने एक सन्देश देकर भेजा है , की इस बार हमलोग एक नयी मिसाल पेश करेंगे। हमलोग इस बार किसी विरोधी पार्टी के किसी समझदार वरिष्ठ नेता को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाएंगे। अगर आप लोगों ने कोई उम्मीदवार चुन लिया हो तो उन्हें खबर कर देना। <br />
<br />
ऐसा सुनते ही सारे नेता भाग लिए सभा से। अपनी चिर परिचित कुटिल मुस्कान के साथ संबित्त भी वहां से निकल लिए। <br />
<br />
<b>इति विपक्ष एकता प्रकरणम</b><br />
<b></b><i></i><u></u><sub></sub><sup></sup><strike></strike><br /></div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-22091655259692896512016-11-02T14:34:00.001+05:302016-11-02T14:34:13.617+05:30Ishopanishad | Kya Moh Karun from my new album Ishopanishad !<iframe allowfullscreen="" frameborder="0" height="270" src="https://www.youtube.com/embed/8omQyTWrMVM" width="480"></iframe>Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-65359325489803897152016-10-12T13:17:00.003+05:302016-10-12T13:17:44.707+05:30 खेल ख़त्म पैसा हजम ! <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<ol style="text-align: left;">
<li><div class="text_exposed_root text_exposed">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg8A_9COAfatrJeQFKmzjZLdlvccgT9IAXc_fLLLB4UbaE8QNI1jOaux5-Rb1vJq3yH30e88sTbajXf3sKMz22ZB3HHiTN1kqMvCjTrizTzOeaz4Z4jzHk27zDjYAPDKs7_8jGfJoLejOah/s1600/ravan+market.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="268" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg8A_9COAfatrJeQFKmzjZLdlvccgT9IAXc_fLLLB4UbaE8QNI1jOaux5-Rb1vJq3yH30e88sTbajXf3sKMz22ZB3HHiTN1kqMvCjTrizTzOeaz4Z4jzHk27zDjYAPDKs7_8jGfJoLejOah/s320/ravan+market.jpg" width="320" /></a><span style="color: black;">लो जी हमने कल फूंक दिए देश के सारे रावण ! कोई भी नहीं बचा। खेल ख़त्म पैसा हजम ! किसे भुलावा देते हैं हर साल ? जिसे जलाते हैं , वो तो सिर्फ एक पुतला था , जिसे बनाकर किसी गरीब के घर का चूल्हा जला होगा। सड़कों पर बाजार लगते हैं रावण के पुतलों के। छोटा रावण , बड़ा रावण , मूंछ वाला रावण , दस सर वाला रावण ! रावण जितना बड़ा - पैसे उतने ज्यादा। छोटे बच्चे , बूढी औरतें , सभी मिलकर बनाते हैं वो बेंत और कागज वाले रावण। भरण पोषण होता है उनके परिवारों का । ऐसे रावणों को मैं क्यों बुरा कहूँ </span><span class="text_exposed_show"><span style="color: black;">, जो स्वयं जल कर भी गरीब को रोटी देते हैं। </span></span></div>
</li>
<li><div class="text_exposed_show">
<span style="color: black;"> उन रावणों को कौन जलाएगा , जो निर्भया जैसी मासूम बच्चियों का बलात्कार करते हैं ! उन पुलिस के वेश में बैठे जल्लादों को कौन जलाएगा जो गरीब आदमी को फंसा कर थाने में मार डालते हैं। शहाबुद्दीन जैसे खूंखार हत्यारों को जो बेल पर छुड़ा लेते हैं - उनको कौन जलाएगा ? नगर नगर में रावणों की भरमार है ; लेकिन उनके वध के लिए कोई विजयादशमी नहीं आती।</span></div>
</li>
</ol>
<br /></div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-23107378390151108272016-10-05T11:57:00.001+05:302016-10-05T12:11:03.596+05:30देश की प्रतिक्रिया<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhNSEhYdH2Q19QDlWMZv1PTrGeDj3Wd4Yoj-TPDmAaf9hocftME6kf9nNyTXyXw94g3f2IN85HhWsiIqrJVJJC4-RCC0baEgbVXyxvtZi6xHBx-D7FJiqZ5KJvWduldpFgAyTrBccuzC2IC/s1600/indian-army-surgical-strike-in-pakistan.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="199" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhNSEhYdH2Q19QDlWMZv1PTrGeDj3Wd4Yoj-TPDmAaf9hocftME6kf9nNyTXyXw94g3f2IN85HhWsiIqrJVJJC4-RCC0baEgbVXyxvtZi6xHBx-D7FJiqZ5KJvWduldpFgAyTrBccuzC2IC/s320/indian-army-surgical-strike-in-pakistan.jpg" width="320" /></a></div>
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
<u><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;"><br /></span></u></div>
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
<u><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">देश की
प्रतिक्रिया</span></u></div>
<br />
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">उरी हमले के बाद
पाकिस्तान सोशल मिडिया में छाया हुआ है। ब्रह्मपुत्र के जल की धारा में रुकावट
डालने से चीन ने अपना खुला समर्थन पाकिस्तान को दे दिया। तब से लगातार ऐसे सन्देश
और संवाद व्हाट्सप्प </span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">ट्विटर और फेसबुक
पर घूम रहें हैं </span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">की भारत के लोगों
को इन दोनों देशों से व्यापारिक या अन्य किसी प्रकार का रिश्ता नहीं रखना चाहिए।
यहाँ तक की दिवाली की खरीददारी में चीनी माल का बहिष्कार करना चाहिए। </span></div>
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">इस तरह के संवाद
देने वाले तो बहुत है </span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">लेकिन इन पर अमल
करने वाले ज्यादातर लोग शांत हैं। मेरे एक मित्र सुशील पोद्दार ने उत्तर दिया कि
पिछले कई महीनों की खोजबीन और मोलभाव के बाद उन्होंने एक चीनी कंपनी से अपनी
फैक्ट्री के लिए कुछ मशीने खरीदने का निर्णय लिया हुआ था </span><span style="font-family: "calibri";">; </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">लेकिन उरी के बाद के घटनाक्रम ने उन्हें सोचने
पर मजबूर कर दिया। उन्होंने चीन से मशीन<span style="margin: 0px;"> </span>खरीदने
का अपना निर्णय बदल दिया। अब उन्हें नए सिरे से किसी और देश के साथ मोलभाव करना है
</span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">और ऊंचे दाम देकर वो मशीन
लेनी है। मेरे एक अन्य मित्र श्रवण सुरेका ने भी लिखा की उनकी एक व्यापारिक डील
करोड़ों रुपये की एक चीनी कंपनी से तय हो चुकी थी </span><span style="font-family: "calibri";">; </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">लेकिन उन्होंने अपनी डील कैंसिल कर दी। </span><br />
<br />
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">सुशील पोद्दार और
श्रवण सुरेका के निर्णय की किसी ने चाहे वाहवाही नहीं की हो </span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">लेकिन ये लोग हमारे देश के असली देशभक्त हीरो
हैं<span style="margin: 0px;"> </span></span><span style="font-family: "calibri";">; </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">मैं इन्हें सैलूट करता हूँ। </span></div>
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
</div>
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">दूसरी तरफ हमारे
सामने हैं उदहारण स्वरुप करण<span style="margin: 0px;"> </span>जोहर जो
पाकिस्तान की और इसके निंदनीय कलाकारों की वकालत इसलिए कर रहें हैं </span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">क्योंकि उनकी आगामी फिल्म </span><span style="font-family: "calibri";">' </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">ऐ दिल है मुश्किल </span><span style="font-family: "calibri";">' </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">उन पाकिस्तानी सितारों के साथ है और पाकिस्तान
उनका बहुत बड़ा मार्केट है। .उसी तरह सलमान खान भी वक़ालत कर रहें हैं ये कह कर की
कलाकार कोई आतंकवादी नहीं होता। इन दोनों से एक प्रश्न है - क्या उरी के शहीदों
में से एक नाम तुम्हारे सगे भाई का होता </span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">तो भी क्या यही फ़रमाते !</span><br />
<br />
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">मुम्बई हमले के
पहले क्या उन पाकिस्तानियों ने लोगों से पूछा था की तुम में से कोई कलाकार तो नहीं
है न </span><span style="font-family: "calibri";">? </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">और न</span><span lang="HI" style="margin: 0px;"><span style="font-family: "calibri";"> </span></span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">हीं देश के जांबाज कमांडो ने पुछा था </span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">की वो लड़ाई किसके लिए लड़ रहे थे।<span style="margin: 0px;"> </span>मैं निंदा<span style="margin: 0px;">
</span>करता हूँ - ऐसे स्वार्थी लोगों की जो कला की आड़ में देश से ऊपर अपने
व्यक्तिगत स्वार्थ को महत्व देते हैं। </span></div>
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
</div>
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">एक हैं श्रीमान
अरविन्द केजरीवाल ! उनका शौक है </span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">मोदी के प्रति
दैनिक अपशब्द कहना। सर्जिकल स्ट्राइक से उनकी बोलती बंद हो गयी थी। कई दिन हो गए</span><span style="margin: 0px;"><span style="font-family: "calibri";">,</span></span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;"> चुप बैठे। जब पेट में ज्यादा दर्द हो गया तो
टेलीविजन पर आये </span><span style="font-family: "calibri";">; </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">पहले तो मोदी जी
को उनकी राजनैतिक इच्छा शक्ति पर सैलूट ठोका और फिर आ गए अपने असली रंग में। कहने
लगे की पाकिस्तान हमारे सर्जिकल स्ट्राइक को झूठ बता रहा है </span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">आप उन्हें इसका प्रूफ क्यों नहीं दे देते ! भाई
वाह ! पाकिस्तान के प्रचार की वजह तो सर्वविदित थी </span><span style="font-family: "calibri";">; </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">लेकिन आपके विचलित होने की वजह आपका राजनैतिक
घटिया चिंतन है।<span style="margin: 0px;"> </span>आपको लगता है </span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">की ये सर्जिकल स्ट्राइक पंजाब के चुनाव में
कहीं मोदी जी हीरो न बना दे। मोदी जी तो हीरो हैं जनाब </span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">पंजाब के ही नहीं </span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">देश के ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के। हीरो तो
आप भी हैं लेकिन सिर्फ<span style="margin: 0px;"> </span>पाकिस्तानी अखबारों
के ! बधाई हो ! दिल्ली सबकुछ देख रही है।</span><br />
<br />
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
</div>
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
</div>
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
</div>
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">दुसरे महान नेता
कांग्रेस से फूटे - श्रीमान संजय निरुपम । उन्हें तो मानो केजरीवाल ने शब्द दे
दिए।<span style="margin: 0px;"> </span>आनन फानन में उन्होंने अपनी नापने
वाली इंची टेप निकाल ली </span><span style="font-family: "calibri";">, </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">मोदी जी का ५६
इंच का सीन नापने के लिए </span><span style="font-family: "calibri";">; </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">कांग्रेस को अपनी
जान बचाने<span style="margin: 0px;"> </span>के लिए इस महापुरुष से किनारा
करना पड़ा। ऐसे पप्पू ब्रांड नेताओं की कांग्रेस में कमी नहीं। </span><br />
<br />
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">बोले तो कुछ और
भी लेकिन फिर जल्दी जल्दी फैला हुआ रायता समेत लिया। देश की जनता ऐसे राजनीति की
आड़ में देशद्रोह करने वालों को कभी माफ़ नहीं करेगी। </span></div>
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
</div>
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">अंत में चर्चा एक
और व्यक्ति की - मिडिया के महानायक सुभाष चंद्र जी की! उन्होंने खुल कर कहा की
उनका<span style="margin: 0px;"> </span>ज़ी टीवी सूत्रधार था पाकिस्तानी
सीरिअल्स को जिंदगी नाम के नए चैनल के माध्यम से भारत में लाने का लेकिन वर्तमान
स्थिति को देखते हुए उन्होंने सभी पाकिस्तानी कॉन्ट्रैक्ट कैंसल कर दिए हैं और अब
कोई भी पाकिस्तानी कार्यक्रम यहाँ प्रसारित नहीं होगा। आर्थिक हानि तो सुभाष चंद्र
की भी हुयी है </span><span style="font-family: "calibri";">; </span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">लेकिन उन्होंने
कला की दुहाई देकर पाकिस्तानी कार्यक्रमों की वकालत नहीं की<span style="margin: 0px;"> </span>!</span><br />
<span style="font-family: Nirmala UI;"><br /></span>
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
</div>
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">और अंत<span style="margin: 0px;"> </span>में एक सन्देश हमारे प्रिय प्रधानमंत्री श्री
मोदी जी को ! </span><br />
<br />
<div style="margin: 0px 0px 11px;">
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">आदरणीय मोदीजी !
पूरा देश हर कदम पर आपके साथ है। पाकिस्तान के साथ जैसा सलूक किया जाना उचित है </span><span style="font-family: "calibri";">,
</span><span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">वैसा करें। चंद<span style="margin: 0px;"> </span>लोगों बकवास इस देश के सवा सौ करोड़ देश वाशियों
के सामने नक्कार खाने की तूती मात्र है।<span style="margin: 0px;">
</span>उन्हें अनसुना कीजिये और विजय पथ पर बढिए - चाहे शांति के मार्ग से और चाहे
युद्ध के मार्ग से !</span></div>
<span lang="HI" style="font-family: "nirmala ui" , sans-serif; margin: 0px;">शत शत वंदन !</span><br />
<b></b><i></i><u></u><sub></sub><sup></sup><strike></strike></div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-89482068490354149162016-09-14T13:10:00.000+05:302016-09-14T13:10:13.086+05:30Priya Kaun ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="font-size: large;"><b>प्रिय कौन ?</b></span> <b></b><i></i><u></u><sub></sub><sup></sup><strike></strike><br />
<br />
कल एक रिश्तेदार की मृत्यु हो गयी। जब उनके घर पहुंचा , तो देखा की मृत शरीर एक अर्थी पर लेटाया हुआ था। परिवार के पुरुष उस अर्थी के ऊपर कपडा और रस्सी आदि बाँध रहे थे। महिलाएं शोक विह्वल होकर एक तरफ खड़ी थी। मृत व्यक्ति के पुत्र शोकाकुल होकर रो रहे थे। समाज के लोग तथा रिश्तेदार अंतिम विदा देने के लिए पहुंचे हुए थे। <br />
<br />
मृत व्यक्ति के भाई ,चाचा , साले तथा अन्य रिश्तेदार अर्थी तैयार करते हुए निर्देश दे रहे थे -<br />
<br />
' बॉडी के ऊपर पहले सफ़ेद कपडा डालो फिर रस्सी बांधो '<br />
<br />
' बॉडी के शरीर पर कोई आभूषण तो नहीं है न ?'<br />
<br />
'बॉडी को जरा आगे सरकाओ। '<br />
<br />
यानि की जीवन का एक प्रिय व्यक्ति अब सिर्फ एक शरीर था - एक बॉडी ! जो प्रिय था जिसे हम नाम लेकर बुलाते थे वो तो चला ही गया था। <br />
<br />
यही है शायद आत्मा का रहस्य। आत्मा ही प्रियजन है , आत्मा ही पिता , पति या भाई है। शरीर तो एक अस्थायी पहचान है उस आत्मा की। <br />
<br />
मन की बहुत सी गुत्थियां सुलझ गयी !<br />
<br />
<br /></div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-88475706637344031812016-07-26T10:04:00.000+05:302016-07-26T10:04:05.046+05:30कुंठा : फ़िल्मी गानों के माध्यम से <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
कुंठा जीवन की एक सच्चाई है। असफलता जन्म देती है , निराशा को और निराशा ह्रदय की कुढ़न बन कर बन जाती है - कुंठा। असफलता के कई कारण हो सकते है - खेल कूद , पढ़ाई , व्यापार या प्यार। फिल्मों से मिलने </div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
वाले उदाहरण प्रायः प्रेम की असफलता के कारण ही होते हैं। </div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
इस गीतों भरी बातचीत में हम देखेंगे कुंठा के बदलते हुए स्वरुप। जब कोई व्यक्ति अपने प्रिय या प्रिया को अपने आप से दूर करने का प्रयास करते हुए देखता है , तो जिस कुंठा का जन्म होता है , उसे कहते हैं ईर्ष्या ! कुंठित मन चीत्कार कर उठता है - और नहीं बस और नहीं , ग़म के प्याले और नहीं !<iframe width="320" height="266" class="YOUTUBE-iframe-video" data-thumbnail-src="https://i.ytimg.com/vi/P0p5S2dUiag/0.jpg" src="https://www.youtube.com/embed/P0p5S2dUiag?feature=player_embedded" frameborder="0" allowfullscreen></iframe></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
और जब वह दुराव जीवन के सबसे बड़े नुक्सान में बदल जाता है ; जब उसकी प्रियतमा किसी और की हो जाती है ; तब कुंठा अपने पूरे प्रचंड स्वरुप में आ जाती है। वो समाज चिंता छोड़ कर सीधे सीधे दोष देता है अपनी प्रियतमा को उसका नाम लेकर - ओ मेरी महुआ तेरे वादे क्या हुए ?</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<iframe width="320" height="266" class="YOUTUBE-iframe-video" data-thumbnail-src="https://i.ytimg.com/vi/pSximjx5sGk/0.jpg" src="https://www.youtube.com/embed/pSximjx5sGk?feature=player_embedded" frameborder="0" allowfullscreen></iframe></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
और फिर वो विदा होती है अपने गाँव से , उस समय उस प्रेमी का ह्रदय टुकड़े टुकड़े हो जाता है। उसे अपने टूटे हुए सपने टूटे हुए फूल से और अपनी मीत आँखों में शूल सी चुभती है !</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<iframe width="320" height="266" class="YOUTUBE-iframe-video" data-thumbnail-src="https://i.ytimg.com/vi/2wH6PVecIzg/0.jpg" src="https://www.youtube.com/embed/2wH6PVecIzg?feature=player_embedded" frameborder="0" allowfullscreen></iframe></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
उसकी कुंठा उसे दीवाना बना देती है। वो गली गली भटकता है - ये दुनिया ये महफ़िल मेरे काम की नहीं !</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<iframe width="320" height="266" class="YOUTUBE-iframe-video" data-thumbnail-src="https://i.ytimg.com/vi/9IqOSjFIEmM/0.jpg" src="https://www.youtube.com/embed/9IqOSjFIEmM?feature=player_embedded" frameborder="0" allowfullscreen></iframe></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
थक हार कर रातों को सोने की कोशिश में अपनी तन्हाई में आवाज देता है - कोई लौट दे मेरे बीते हुए हुए दिन !</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<iframe width="320" height="266" class="YOUTUBE-iframe-video" data-thumbnail-src="https://i.ytimg.com/vi/OBdZDPrHzg8/0.jpg" src="https://www.youtube.com/embed/OBdZDPrHzg8?feature=player_embedded" frameborder="0" allowfullscreen></iframe></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
और कुंठा का अंतिम स्वरुप उभरता है , पूरे समाज और पूरी दुनिया के प्रति आक्रोश के रूप में। वो चीत्कार कर उठता है - जला दो इसे फूंक डालों ये दुनिया , मेरे सामने से हटालो ये दुनिया ; तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया !</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: left;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<iframe width="320" height="266" class="YOUTUBE-iframe-video" data-thumbnail-src="https://i.ytimg.com/vi/t8f7bukIUWU/0.jpg" src="https://www.youtube.com/embed/t8f7bukIUWU?feature=player_embedded" frameborder="0" allowfullscreen></iframe></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<br /></div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-49060674477516052332016-07-10T18:24:00.001+05:302016-07-10T18:27:14.120+05:30सिंगापुर : पर्यावरण <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjE5_FoElogFpSYV9bkG8GOTbCCQCUOJv7zIvmbZUnxd9kfytJ5Ey9gBpHBGZnS8SKlmUUGkvXnzK30BG-gK18eah9uvf8Z1KfSAPU-B5cXQ3RjiMeNJyawykyjqE7kYMhubu0xFEUM3iio/s1600/cement_mixer.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjE5_FoElogFpSYV9bkG8GOTbCCQCUOJv7zIvmbZUnxd9kfytJ5Ey9gBpHBGZnS8SKlmUUGkvXnzK30BG-gK18eah9uvf8Z1KfSAPU-B5cXQ3RjiMeNJyawykyjqE7kYMhubu0xFEUM3iio/s320/cement_mixer.jpg" width="320" /></a></div>
<br />
<br />
पर्यावरण की सुरक्षा जीवन के हर काम में निहित होनी चाहिए। एक मजेदार बात ; ख़ास कर हम भारत में रहने वालों के लिए। एक दिन मैंने देखा की हमारी गली में एक मकान के सामने के एक कंक्रीट मिक्सर की गाडी आकर खड़ी थी। उसका मिक्सर वाला टैंक घूम रहा था। हमारे देश में इस तरह की गाडी खड़ी होती है किसी निर्माणाधीन ईमारत के पास। मुझे समझ में नहीं आया की ये यहाँ क्या कर रही है !<br />
<br />
बाद में जब मैं नीचे गया और उस ईमारत के सामने से गुजरा तो देखा की उसके अहाते में एक मिस्त्री अपने औजार लेकर जमीन की सतह एक हिस्से को ठीक कर रहा था। तब मुझे समझ में आया की इस देश में चाहे कोई छोटी सी मरम्मत ही क्यों न करनी हो , सीमेंट ओर कंक्रीट का गारा खुले में नहीं बनाया जाता है। ये डिपो से कंक्रीट मिक्सर में डाल कर भेजा जाता है। <br />
<br />
अब बताइए , ऐसे देश में कहाँ से किसी प्रकार का प्रदुषण फैलेगा !<br />
<br /></div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-24115889488551281482016-07-04T08:47:00.001+05:302016-07-04T08:57:12.162+05:30सिंगापुर : कुछ और अनुभव <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgG6iftJKIlIqsXBBB1v0xt8JW8Pz06ujeM_MHcGd1IH7habPY3pdbAPnEil2ZdWD_vrDSRjvVJWCd6-dPvpnY8I6iQ3urZDslVj7re9dLWSAL4nssQE8Y5vt8sHQaNH0lqTKcdK_c-plPj/s1600/hawker+market.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgG6iftJKIlIqsXBBB1v0xt8JW8Pz06ujeM_MHcGd1IH7habPY3pdbAPnEil2ZdWD_vrDSRjvVJWCd6-dPvpnY8I6iQ3urZDslVj7re9dLWSAL4nssQE8Y5vt8sHQaNH0lqTKcdK_c-plPj/s320/hawker+market.jpg" width="320" /></a></div>
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किसी भी देश को महान बनते हैं वहां के नागरिक और वहां का प्रशासन ! सिंगापुर में ये दोनों ही इतने चुस्त हैं की जन जीवन में किसी प्रकार की बुराई नजर ही नहीं आती। <br />
<br />
फेरीवाले प्रायः हर देश में पाये जाते हैं। अंग्र्जी में इन्हे हॉकर्स कहते हैं। सस्ते दर पर तैयार भोजन खिलते हैं ये हॉकर्स। प्रायः इनका बनाया हुआ भोजन स्वादिष्ट भी होता है। लेकिन समस्या ये होती है की ये सड़कों पर जहाँ तहाँ अपना डेरा जमा लेते हैं। वहां गंदगी फैलाते हैं। इसके अलावा इनके भोजन की स्वच्छ्ता पर हमेशा प्रश्न खड़ा रहता है। भारत में तो ये दोनों बातें बिल्किल साफ़ नजर आती हैं। <br />
<br />
सिंगापुर की सड़कों पर मुझे कोई हॉकर खाने पीने की सामग्री बेचता हुआ नहीं दिखा। मैंने अपनी बेटी पल्लवी से पुछा इसके बारे में। उसने बताया की पहले सिंगापुर में भी हॉकर्स हुआ करते थे ; लेकिन सफाई और स्वच्छ्ता के कारण वहां की सरकार ने कई जगहों पर हॉकर सेंटर बना दिए हैं। ये सेंटर पूरी तरह से व्यवस्थित हैं। यहाँ बैठने के लिए कुर्सियां और टेबल आदि की व्यवस्था है। सरकार के निरीक्षक निश्चित अवधि पर इन हॉकर्स के स्टाल्स का निरिक्षण करते हैं। उनकी सफाई की अवस्था के अनुरूप उनकी रेटिंग की जाती है और वो रेटिंग वहां सामने एक सर्टिफिकेट की तरह दिखना अनिवार्य होती है। <br />
<br />
कितना आसान समाधान ! कौन हॉकर चाहेगा की उसकी रेटिंग ख़राब हो , क्योंकि उसकी दुकान पर आने वाला व्यक्ति रेटिंग देख कर ही खायेगा। <br />
<br />
क्या ये छोटी छोटी बातें - जो मुझे आकर्षित करती है , हमारी सरकार के लोगों को नजर नहीं आती ?</div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-23172852656634444042016-06-28T08:55:00.001+05:302016-06-28T08:55:26.493+05:30सिंगापुर : कुछ नए अनुभव <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhTwSKZ2VmVhNFUDtvXUYQRtdlODgK3p5D5qQPyBMvCEkRndDRlsHyCOQM9uLOLvwhSfD2X3K7ztQRYCpF7B_BJIPbeieRagDmcBEOSd0AQVXLVFX9IzqJSuRCoHwrAwa14F9I45QZOdEuI/s1600/parking+spaces.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="185" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhTwSKZ2VmVhNFUDtvXUYQRtdlODgK3p5D5qQPyBMvCEkRndDRlsHyCOQM9uLOLvwhSfD2X3K7ztQRYCpF7B_BJIPbeieRagDmcBEOSd0AQVXLVFX9IzqJSuRCoHwrAwa14F9I45QZOdEuI/s320/parking+spaces.jpg" width="320" /></a></div>
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ये मेरी तीसरी यात्रा है सिंगापुर की। हर यात्रा में यहाँ के जीवन की विशेषताएं सीख कर जाता हूँ। छोटी छोटी बातें जो यहाँ के जीवन को कितना सुरक्षित , सुखद और आरामदायक बन देती है। <br />
<br />
मेरी बेटी यहाँ अकेली रहती है ; उसे डेढ़ साल पहले एक अच्छी मल्टी नेशनल कंपनी में यहाँ काम मिल गया। इसके पहले भी उसे लन्दन तथा शंघाई शहरों से जॉब के ऑफर मिले थे। मैंने मना कर दिया था। एक अकेली बिटिया को किसी अनजाने देश में अकेले रहने की अनुमति कैसे दे देते। लेकिन बात जब सिंगापुर की आई , तो मुझे हाँ कहना ही पड़ा। सिंगापूर में किसी अकेली लड़की के लिए रहना, भारत में कहीं भी रहने से ज्यादा सुरक्षित है। यहाँ के अखबार में कभी कोई अपराध की खबर नहीं आती , क्योंकि ये देश जीरो क्राइम देश है। <br />
<br />
उसके यहाँ रहने के बाद पहली बार उसके पास आया। वो एक बहु मंजिली ईमारत में पांचवे माले पर रहती है। जब हम उसके साथ उसकी लिफ्ट में चढ़े , उसने अपना कार्ड एक रीडर के सामने घुमाया तो उसमे पांचवे माले का नंबर रोशन हो गया। लिफ्ट सीढ़ी पांचवे माले पर रुकी। उसकी लिफ्ट के सामने मात्र उसका फ्लैट है। यानि की कोई भी व्यक्ति उस ईमारत के पांचवे माले पर तब तक नहीं आ सकता जब तक उसके पास उस माले ले लिए बन हुआ कार्ड न हो। किसी दूसरी मंजिल वाला व्यक्ति सिर्फ अपने नियत माले तक ही जा सकता है , किसी अन्य माले पर नहीं।<br />
<br />
टैक्सी ३-४ मिनट के अंदर आपके मकान पर हाजिर हो जाती है। यहाँ भी उबेर और उसके जैसी अन्य सेवाएं उपलब्ध हैं। टैक्सी वाले को आप बिल्डिंग का नाम या नंबर बता देते हैं तो वो आपको सीधा पहुंचा देता है। एक मजेदार बात ये है , की जैसे हमारे देश में हर मोहल्ले का एक पिन कोड होता है , वैसे यहाँ हर बिल्डिंग का ज़िप कोड होता है। कितना आसान हो जाता है पता। मात्र ६ संख्याओं का एक कोड !<br />
<br />
एक और दिलचस्प बात ! जब हम किसी सड़क पर जाते हैं तो उस पर इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड लगे होते हैं जिस पर हर बड़ी बिल्डिंग खास कर मॉल आदि वाली बिल्डिंगों के अंदर की पार्किंग के लिए उपलब्ध जगह की संख्या होती है। यानि की अगर कैथे मॉल के सामने ७ लिखा है तो उसका अर्थ है की उसके अंदर ७ गाड़ियां पार्क करने की जगह बची है। इस सुचना के आधार पर लोग ये फैसला कर पाते हैं की उन्हें गाडी कहाँ पार्क करनी है। <br />
<br />
सिंगापुर में आम तौर पर कोई पुलिस वाला नजर नहीं आता। इसका कारन है की , यहाँ के सामान्य नागरिकों में बहुत से लोगों को पुलिस के सारे अधिकार होतें हैं। आपकी टैक्सी का ड्राइवर , होटल का वेटर , या एक छोटा सा दुकानदार भी पूरे पावर के साथ पुलिस वाला हो सकता है। अगर कोई कहीं भी किसी प्रकार का अपराध करता है , उसे पकड़ने वाला कोई न कोई पुलिस अफसर भी कहीं आस पास जरूर होगा। <br />
<br />
सचमुच एक अद्भुत शहर है सिंगापुर !</div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-71944850307448780792016-04-04T16:07:00.001+05:302016-04-04T16:07:56.194+05:30मीडिया क्या कर रहा है ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
देश बड़े नए किस्म के ज्वलंत प्रश्नों से जूझ रहा है -<br />
<br />
१. नेताजी सुभाष की मौत कैसे हुयी ? कब हुयी ? <br />
<br />
२. शनि मंदिर में महिलाएं क्यों न जाएँ ?<br />
<br />
३. भारत माता की जय क्यों बोलें ?<br />
<br />
४. भाजपा को देशभक्ति करने का क्या अधिकार है ?<br />
<br />
५. जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना बलात्कार क्यों करती है ?<br />
<br />
६. मौलाओं के पास हर प्रश्न के उत्तर में फतवा क्यों होता है ?<br />
<br />
७. मुस्लिम महिलाओं का तीन तलाक का विरोध क्यों जायज नहीं है ?<br />
<br />
८. आर एस एस - हर मुद्दे पर अपनी राय क्यूँ देती है ?<br />
<br />
९. राहुल गांधी हर दुर्घटना पर क्यों अवतरित हो जाते हैं ?<br />
<br />
१०. हर सेलिब्रिटी की मृत्यु , हत्या और ख़ुदकुशी - हफ्ते भर की सुर्खियां क्यों खा जाती है ?<br />
<br />
११. भारत ने वर्ल्ड कप क्यों नहीं जीता। <br />
<br />
१२. भुजबल का क्या होगा ?<br />
<br />
१३. कोलकाता में फ्लाई ओवर पल गिरने से राजनैतिक लाभ या हानि किस पार्टी की होगी ?<br />
<br />
ये सारे प्रश्न पिछले २ हफ़्तों में प्रतिदिन टेलीविजन का ९५ % समय खा चुके हैं। बच्चे हुए ५ % समय में ये मुद्दे उठते हैं - <br />
<br />
१. ये किसान पूरे देश में क्यों आत्महत्या करते हैं ?<br />
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२. चीन ने आतंकवाद में मामले में पाकिस्तान का साथ क्यों दिया ?<br />
<br />
३. विदेश मंत्रालय के प्रयासों से ४ भारतीय नागरिक सीरिया की जेल से छूट कर भारत कैसे आये। <br />
<br />
४. पठानकोट आतंकी हमले की जांच कर रहे , एनआईए के एक अफसर की हत्या क्यों हुयी ?<br />
<br />
५. आसाम और पश्चिम बंगाल में विधान सभा के चुनाव शुरू। <br />
<br />
<br />
फैसला कीजिये , मीडिया क्या कर रहा है ?</div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-54098822724940820102016-04-03T18:18:00.001+05:302016-04-03T18:19:18.350+05:30पुल और पार्टियां <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiQ2BzrQFTNkk2crNC8Wl7kVjHMj7KRm-ao0YfgWTOlXKpxn_t65RmeMW8DNlnDKwutt9FnJM-8CfyQNQk_toPi5Slp1eIlCr3g7yRP0O7gKMmsBU5hRAVzIWLNox9ouiv5QV4bjFzsL3xp/s1600/kolkata+collapse.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="298" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiQ2BzrQFTNkk2crNC8Wl7kVjHMj7KRm-ao0YfgWTOlXKpxn_t65RmeMW8DNlnDKwutt9FnJM-8CfyQNQk_toPi5Slp1eIlCr3g7yRP0O7gKMmsBU5hRAVzIWLNox9ouiv5QV4bjFzsL3xp/s400/kolkata+collapse.jpg" width="400" /></a></div>
<b><br /></b>
<b><br /></b>
<b>पुल टूटने से पहले -</b><br />
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भले ही इस पुल की नींव पिछली सरकार ने रखी थी , लेकिन पूरा किसने किया ? हमने !!!<br />
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<b>पुल टूटने के बाद -</b><br />
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इस पुल का ठेका पिछली सरकार ने दिया था , आज अगर ये गिर गया तो कौन जिम्मेवार होगा ? हम ???<br />
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<br /></div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-73297016296236478172016-03-08T10:14:00.002+05:302016-03-08T10:14:40.235+05:30कन्हैया और अनुपम<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कन्हैया और अनुपम ! व्यंजन और स्वर - दोनों प्रकार के अक्षरों का प्रथम अक्षर - क और अ ! किसी शब्द के पहले क या क की कोई मात्रा दीजिये , तो बन जाता है एक अपशब्द - जैसे कुरूप , कुशासन , कुदृष्टि और क की जगह अ लगा दें तो बन जाता है अति सुन्दर जैसे की - अद्वितीय , अप्रतिम, अनुपम ! खैर ये तो थी एक अलंकारात्मक तुलना ; लेकिन दोनों की तुलना भी कुछ इसी प्रकार की बैठती है।<br />
<br />
कन्हैया बिहार के गाँव से आकर जेएनयु में पढ़ने के लिए दाखिला लेता है , लेकिन कैंपस की राजनीति में हिस्सा लेकर बन जाता है छात्र नेता। देश की खैरात के ऊपर चलने वाले जे ऍन यु में देश को ही गालियां देने वाले लोगों सरगना बन जाता है।<br />
<br />
अनुपम उन कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधि है , जिन्हे कश्मीर से रातों रात विस्थापित कर दिया गया था। अनुपम ने अपने जीवन में संघर्ष किया और अपने लिए एक स्थान बनाया भारत के चलचित्र जगत में। <br />
<br />
कन्हैया अंग बन जाता है उस सोच का जो देश को बर्बाद कर देना चाहती है। वो गुट जो अफजल गुरु और मकबूल बट्ट जैसे देश द्रोहियों को अपना आदर्श मानता है। अफजल गुरु की शहादत को मनाने के लिए वाईस चांसलर पर दबाव डालता है। देशद्रोहियों के साथ मिल कर नारे लगाता है -' भारत की बर्बादी तक जंग चलेगी ', 'अफजल हम शर्मिंदा है , तेरे कातिल जिन्दा है '. इतना ही नहीं इस देश से आजादी के नारे लगाता है। ये अलग बात है , की जब पुलिस द्वारा पकड़ लिया जाता है तो बहाने बाजी करता है। अपने कहे हुए नारों को नकारता है। नए फर्जी नारे बनाये जाते हैं। आजादी - गरीबी से , आजादी - बेरोजगारी से। कन्हैया जरा ये बताये की गरीबी से आजादी पाने के लिए अफजल गुरु की शहादत का क्या सम्बन्ध है ?<br />
<br />
अनुपम कश्मीर से पंडितों के विस्थापन दिवस को मनाने के लिए एक अपना वक्तव्य जारी करता है। पूरे देश द्वारा वो सुना जाता है ; कश्मीरी पंडितों की समस्या पर पूरी चर्चा होती है। अनुपम का एक नया रूप देश के सामने आता है।<br />
<br />
कन्हैया को जेल से निकलने के लिए जमानत बनती है दस हजार रुपैयों और बहुत सारी शर्तों पर जो किसी सामान्य अपराधी पर लागू होती है ; लेकिन कन्हैया को हीरो बनाने वाले, इसे कन्हैया की विजय मान लेते हैं। कन्हैया जेल से निकल कर फिर एक बार जे एन यू में भाषण देता है। एक निरर्थक भाषण - जिसमे मोदी को कोसने के अलावा कुछ नहीं था। गरीबी के लिए जिम्मेवार पार्टियां - कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी कन्हैया को अपना हीरो बना लेते हैं। बिकी हुयी मिडिया कन्हैया को बुला कर उसका लम्बा लम्बा इंटरव्यू लेती है ; जिसे कन्हैया अपनी नयी नयी बनी पहचान का इनाम समझ कर चटखारे लेता है। मतलब साफ़ है - कन्हैया ने राजनीति में घुसने का रास्ता बना लिया है।<br />
<br />
कुछ दिनों पहले टेलीग्राफ अखबार ने देश में बढ़ती हुयी तथाकथित असहिषुण्ता पर एक चर्चा का कार्यक्रम रखा। जस्टिस गांगुली और कांग्रेस के सुरजेवाला ने जी भर कर असहिष्णुता के गीत गाये , मोदी सरकार को कोसा। लेकिन जब अनुपम ने उनकी बातों का स्पष्ट और सीधा उत्तर देना शुरू किया तो सबके तोते उड़ गए। ७-८ मिनट के अपने बेबाक और निर्भीक भाषण से अनुपम देश की सोच पर छा गया।<br />
<br />
आज कन्हैया और अनुपम दोनों ही शायद एक राजनैतिक जीवन के दो विपरीत छोरों से अपनी शुरुवात कर रहे हैं, लेकिन दोनों के स्तर में वही अंतर है जो राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी में है।<br />
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Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-16621926924774550692016-01-01T10:47:00.001+05:302016-01-01T10:47:33.921+05:30Shortest Story<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
एक अति लघु कथा <br />
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मैंने एक अनजान व्यक्ति से कहा - नया साल मुबारक हो !<br />
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उसने उत्तर दिया - क्यों ?<br />
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मैं निरुत्तर हो गया। <br />
<br />
<br /></div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-26806170966085357312015-07-15T10:25:00.002+05:302015-07-15T10:25:55.733+05:30असली सेक्युलर ! - एक लघु कथा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_LLAfKhid0EgK8uRuPSsr2FrJ-yxCP6fROggjoB98EPMccpxH3iqujpksZnGoobjxPT5e52qcgZeCWHc42ycOzMZTM4gyqiwUIcX85Vzrtie_BRUqsun9PoB-0bkhbX5O81RK_t4Y-IyH/s1600/mandir+masjid+church.jpeg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_LLAfKhid0EgK8uRuPSsr2FrJ-yxCP6fROggjoB98EPMccpxH3iqujpksZnGoobjxPT5e52qcgZeCWHc42ycOzMZTM4gyqiwUIcX85Vzrtie_BRUqsun9PoB-0bkhbX5O81RK_t4Y-IyH/s1600/mandir+masjid+church.jpeg" /></a></div>
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बड़ा विचित्र किस्म का भिखारी था वो। सुबह सुबह उठ कर गले में एक रुद्राक्ष की माला डाल कर शिव मंदिर के सामने बैठ जाता था। आते जाते लोग उसकी चटाई पर कुछ छुट्टे कुछ रुपैये डाल देते थे। दोपहर में गुरूद्वारे के पास बैठ जाता था , सिखों वाली पगड़ी पहन कर। लोग काफी पैसे दे जाते थे। कई बार वहीँ लंगर में खाना खा लेता था। शाम को इबादत की सफ़ेद जाली की टोपी पहन किसी मस्जिद बाहर बैठ जाता था , वहां भी अच्छी कमाई हो जाती थी। रमजान के दिनों में बिना रोजा रखे शाम के खाने का जुगाड़ हो जाता था। रविवार के दिन चर्च के बाहर ईसाई क्रॉस की माला काम आती थी। सबसे बड़ी मौज तो ये थी की उसके दान दाता उसके सभी ठिकानों में से सिर्फ एक पर जाते थे , इसलिए किसी को उसके मजहब पर कोई शक नहीं होता था। <div>
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<div>
एक दिन उसके एक प्रोफ़ेसर पडोसी ने उससे पुछा - तुम ये अलग अलग भेष बना कर लोगों को और उनके भगवान को ठगते हो ; तुम्हे ऐसा नहीं लगता की भगवान किसी दिन तुमसे बहुत नाराज हो जाएंगे ?</div>
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उसने हँसते हुए उत्तर दिया - मैं कहाँ ठगता हूँ ? ठगते तो वो लोग हैं जिन्होंने भगवान की अपनी मनचाही कल्पना से सूरत बना दी ; अपने आपको भक्त दिखाने के लिए अजीब अजीब वस्तुएं बना ली - जैसे की रुद्राक्ष , इबादत की टोपी और क्रॉस की माला। यहाँ तक की सभी जगह व्यापक निराकार भगवान के रहने के भी घर बना दिए - जैसे की मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे और चर्च। क्या भगवान यही सब देखते हैं ? ये सारा दिखावा अपने आप के लिए ही तो होता है। मैं भी वही करता हूँ जो उनको अच्छा लगता है। मेरा गुजारा हो जाता है ; उनकी दान दक्षिणा पूरी हो जाती है। फर्क इतना है की वो दूसरे धर्मों के लिए बुरा भला कहते हैं , मैं सबका सन्मान करता हूँ, सबको आशीर्वाद और दुवाएँ देता हूँ । अब बताइये की भगवान किससे ज्यादा खुश होंगे , उनसे ये मुझसे !</div>
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प्रोफ़ेसर साहब निरुत्तर थे। </div>
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Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-53870725380972402792015-06-28T12:47:00.001+05:302015-06-28T12:47:27.409+05:30ललित मोदी का बवंडर <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiZBSymrHVsLaSUlK3FhAhWffjbPy9qGNGphx5MuS_HUb-r6rxboceKSFi9TeXakEbKk3xGRMdauxpsSWlJiOAj01Xp2-n9XrSoGxV7a_k4GLC_YBb5zUMb4VTjAqOstFsUPOhrcbn8AuMN/s1600/lalit_b_1762015.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="162" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiZBSymrHVsLaSUlK3FhAhWffjbPy9qGNGphx5MuS_HUb-r6rxboceKSFi9TeXakEbKk3xGRMdauxpsSWlJiOAj01Xp2-n9XrSoGxV7a_k4GLC_YBb5zUMb4VTjAqOstFsUPOhrcbn8AuMN/s320/lalit_b_1762015.jpg" width="320" /></a></div>
<br />
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कमाल का देश है हमारा ! नरेंद्र मोदी के निरंतर चल रहे एक के बाद एक देश के उत्थान के कार्यक्रम न मिडिया को दिखते हैं न विपक्ष को ; लेकिन एक बेमतलब के बेकार से गुजरे हुए इतिहास ललित मोदी की एक एक ट्वीट हेडलाइन बन रहा है। <br />
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वो कांग्रेस जो भ्रष्टाचार के कारनामों के नीचे दब कर मर चुकी है ; आज बेमतलब के आरोप लगाते नहीं थकती। देश के प्रधानमंत्री के लिए अभद्र शब्दों का प्रयोग करना उन्होंने दिनचर्या बना लिया है। खीज उठती है जब प्रगति के हर काम में वो रोड़ा अटका रहें हैं। देश के जीवन के मूल्यवान साठ साल उनके परिवारवाद की भेंट चढ़ गए। हम दुनिया की रफ़्तार के सामने निरंतर पिछड़ते चले गए। अब जब एक नया प्रशासन देश को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील है , तब उनके पास एक ही काम बचा है - वर्तमान सरकार को नीचा दिखाने के लिए ऊल -जुलूल बाते करना।<br />
<br />
ललित मोदी प्रकरण को ही लेवें। पूरी दुनिया में क्रिकेट खेलने वाले देश जानते है , कि कैसे ललित मोदी ने क्रिकेट के खेल को एक पैसा छापने वाली मशीन 'आई पी एल' के नाम से बनायीं। ललित मोदी इसके कमिश्नर के रूप में देश के हीरो बन गए। इनके साथ सहयोग कर रहा था , कांग्रेस सरकार का पूरा तंत्र। बहुत से मंत्रियों ने इसका आर्थिक लाभ उठाया। शशि थरूर अगर ज्यादा पैसे बनाने के चक्कर में अपनी एक अलग टीम नहीं बनाते , तो शायद कहानियां नहीं खुलती।<br />
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शायद ललित मोदी ने किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति को नाराज कर दिया , जिसके कारण वो अपनी अति शक्तिशाली अवस्था से हटा दिए गए। उसके बाद शुरू हो गया उनके खिलाफ आरोपों का सिलसिला। धीरे धीरे सब पल्ला झाड़ने लगे। ललित देश छोड़ कर लन्दन जा बैठे। वो सारे नेता जिनके ललित से सम्बन्ध थे , देश में उसका विरोध करते लेकिन लन्दन में उनसे मिलकर सहानुभूति करते थे। <br />
<br />
अब लीजिये सुषमा स्वराज और वसुन्धरा राजे का प्रकरण। सुषमा ने कहा की ललित को वो जानती थी और वो उनकी पत्नी की बीमारी के समय ललित की इतनी मदद कर रही थी की वो पुर्तगाल जाकर अपने पत्नी से मिल सके। वसुंधरा राजस्थान से हैं और उनकी पारिवारिक मित्रता मोदी परिवार से रही है ; उस मित्रता के निमित उन्होंने उस समय ललित की मदद करने के लिए सिफारिश की जब वो राजस्थान की मुख्यमंत्री नहीं थी। दोनों देवियों ने सच्चाई देश के सामने रख दी। लेकिन कांग्रेस को इनका इस्तीफा चाहिए क्योंकि उन्होंने बकौल कांग्रेस एक अपराधी की मदद की है। पहली बात तो ये की क्या ये मदद अपराध की श्रेणी में आती है ? और अगर आती भी है तो क्या इसका दंड पदत्याग है।<br />
<br />
अब जरा कांग्रेस अपनी मदद का इतिहास देखे -<br />
१. मायावती पर बहुत आरोप थे आर्थिक और राजनैतिक भ्रष्टाचार के , क्या कांग्रेस ने उनके साथ सौदेबाजी कर के उनकी मदद नहीं की।<br />
२. मुलायम सिंह के खिलाफ बहुत कुछ था , क्या वही सौदेबाजी उनके साथ नहीं हुई।<br />
३. चारा घोटाले के सबसे बड़े अपराधी लालू यादव को तो कांग्रेस ने गोद ही ले रखा है।<br />
५ . कांग्रेस के तो बहुतेरे मंत्री ही दागदार हैं , उनका क्या ?<br />
<br />
ये सारे उदहारण तो सौदे बाजी के हैं लेकिन क्या सोनिया गांधी ने अपने पति की हत्यारिन के लिए सिफारिश कर उनकी फांसी को आजीवन कारावास में नहीं बदलवाया ? उनका तर्क भी यही था की मानवता के नाते उन्होंने उसकी मदद की। क्या मानवता के लिए इतने जघन्य अपराध के अपराधी की मदद तो उनकी महानता है , लेकिन उसी मानवता के लिए अगर सुषमा या वसुंधरा ने किसी सामान्य आर्थिक अभियोगी की मदद बिना किसी व्यक्तिगत लाभ इ लिए कर दी तो अपराध हो गया ?<br />
<br />
गलती और अपराध में एक महीन दूरी है। सुषमा और वसुंधरा के कृत्य उनके राजनैतिक कद को देखते हुए गलती तो कहला सकती है लेकिन कोई अपराध नहीं। उनकी ये गलती उतनी ही बड़ी गलती है जितनी दिग्विजय सिंह का अंतरराष्ट्रीय अपराधी ओसामा को ओसामाजी कहना। ऐसी गलतियों की सजा उनकी जग हंसाई तो हो सकती है लेकिन इसके अतिरिक्त और कोई दंड नहीं।<br />
<br />
कुछ टीवी चैनेल तो आजकल चिता पर भी रोटियां सेकने का प्रयास करते हैं। उनका उद्देश्य है उनका व्यक्तिगत लाभ यानी टी आर पी ! उन्हें उनका लाभ तो जरूर मिल रहा है लेकिन वो लोग देश का बहुत बड़ा नुक्सान कर रहें हैं। पत्रकारिता के चोले में एक डिक्टेटर जैसा रूप अपना कर बैठे हैं ऐसे लोग। समय ही ऐसे लोगों का हिसाब किताब करेगा।<br />
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Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-6890297821470149182015-03-07T11:50:00.002+05:302015-03-07T13:58:34.649+05:30भारत की बेटी - विवाद क्यों ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgFXD-ddux0hY9VyrwqLVsYcYAFt5o5qpLBSDDGXD_c8Ys3TkTzsTGre7Pot9HEGcFis4TORnLF1JwPbXb-LX7XFD-RxVlJra2zn9_Z1tB6Hvh6k1J58Rw5soN2ue3rKu6j2sc20H_soLJJ/s1600/Indias-Daughter.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgFXD-ddux0hY9VyrwqLVsYcYAFt5o5qpLBSDDGXD_c8Ys3TkTzsTGre7Pot9HEGcFis4TORnLF1JwPbXb-LX7XFD-RxVlJra2zn9_Z1tB6Hvh6k1J58Rw5soN2ue3rKu6j2sc20H_soLJJ/s1600/Indias-Daughter.jpg" height="191" width="320" /></a></div>
<br />
इंग्लैंड की बीबीसी टेलीविजन चैनल कम्पनी ने एक फिल्म बनाई है - इंडियाज डॉटर यानि भारत की बेटी। फिल्म एक डाक्यूमेंट्री है - निर्भया बलात्कार काण्ड के विषय में। इस फिल्म को लेकर पूरे देश में बहुत बड़ा विवाद खड़ा हुआ है। इस विवाद का प्रमुख कारण है , फिल्म निर्देशक द्वारा तिहाड़ जेल में लिया गया एक इंटरव्यू - छह में से एक बलात्कारी का। बलात्कारी अपने अपराध का कारण निर्भया जैसी लड़कियों को मानता है , जो की रात नौ बजे के बाद अपने बॉय फ्रेंड के साथ सड़कों पर निकलती है।<br />
<br />
पूरे देश का बुद्धिजीवी वर्ग दो भागों में बंटा हुआ है - एक का मानना है कि ऐसी फिल्मों को दिखाए जाने पर अंतर्राष्ट्रीय बैन लगना चाहिए , दूसरे का कहना है की वाणी की स्वतंत्रता पर कभी भी प्रतिबन्ध नहीं लगना चाहिए। प्रतिबन्ध के पक्ष में जो कारण है वो कुछ ऐसे है -<br />
<br />
१. एक बलात्कारी को अपनी बात एक पब्लिक प्लेटफॉर्म से कहने की छूट नहीं होनी चाहिए। समाज को एक गलत मनोवृति मिलती है।<br />
<br />
२. बलात्कार की शिकार लड़की का नाम फिल्म ने उजागर कर दिया , जो सामाजिक उसूलों के विरुद्ध है।<br />
<br />
३. ये फिल्म अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की एक गलत तस्वीर प्रस्तुत करती है।<br />
<br />
मैंने आज होली के दिन ये फिल्म यू ट्यूब पर देखी। मेरी पत्नी के कहने पर देखी। अब फिल्म पर मेरी प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार है -<br />
<br />
१. मीडिया पर इस तरह बहस से फिल्म का प्रचार प्रसार ही हुआ है। जैसे मैंने मेरी पत्नी के कहने से ये फिल्म यू ट्यूब पर देखी , मेरा ख़याल है की लाखों लोगों ने देखी होगी ; जो शायद कभी यू ट्यूब पर फिल्म देखते ही नहीं हैं।<br />
<br />
२. पूरी की पूरी फिल्म विभिन्न लोगों के साक्षात्कार पर आधारित है , जिसमे शामिल हैं - मुख्य रूप से निर्भया के माता पिता और एक युवा शिक्षक। इसके अलावा - दिल्ली पुलिस के अधिकारी , हस्पताल के डॉक्टर , बचाव पक्ष के दो वकील , विभिन्न सरकारी अधिकारी , कई अपराधियों के माता पिता और पत्नी ,दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित तथा एक बलात्कारी ! किसी विषय पर इससे अच्छी डॉक्यूमेंट्री नहीं सकती।<br />
<br />
रही बात बलात्कारी के इंटरव्यू की ! मैं समझता हूँ की ऐसा इंटरव्यू जहाँ एक अपराधी की मानसिकता को दिखाता है , वहीँ एक आम आदमी को उसकी सोच से दूर करता है। मेरे विचार में अपराधी के मनोविज्ञान से ज्यादा खतरनाक सोच उन्हें बचाने वाले वकीलों की है। ये वकील उन अपराधियों की बात का समर्थन करते हुए कहते हैं की भारत संस्कृति बहुत महान है , क्यूंकि इसमें नारी के लिए कोई स्थान नहीं है। घिन आ रही थी जब मैं बचाव पक्ष के वकील की दलील को सुन रहा था। क्या ऐसे वकील बिना रोकटोक इस देश में प्रैक्टिस कर सकते हैं।<br />
<br />
२. फिल्म में लड़की के माता पिता कहते हैं की हमें कोई शर्म महसूस होती है कहते हुए की हमारी बेटी का नाम था ज्योति सिंह। उन्होंने कहा उसके बलिदान ने कम से कम नारी सुरक्षा जैसे विषय को भारत ही नहीं अंतरर्रष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा मुद्दा बना दिया। इसके बाद नाम उजागर करने के विरोध में तर्क नहीं बचता।<br />
<br />
३. ये सच है की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की बदनामी होगी। लेकिन सच को दबा कर ये बदनामी कब तक रुकेगी। फिल्म के अंतिम भाग मे भारत होने वाली कन्या भ्रूण हत्या के आंकड़े बताये गए है। इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि आज भी हमारे देश में एक बहुत बड़ा वर्ग है जो कन्या अपने घर में नहीं चाहता।<br />
<br />
बलात्कार की घटनाएँ इतनी अधिक बढ़ चुकी है की इन ख़बरों से बचा नहीं जा सकता। शुतुरमुर्ग की तरह अपनी गर्दन रेत में छुपा लेने से या कबूतर की तरह अपनी आँख बंद कर लेने से खतरा टाला नहीं जाता।<br />
<br />
मेरे व्यक्तिगत विचार में यह फिल्म किसी भी तरह सामाजिक मर्यादा का उल्लंघन नहीं करती। ऐसी फिल्म को सामान्य जनता को दिखाने से समाज के अंदर ऐसे अपराध के विरुद्ध रोष ही बढ़ेगा , जो ऐसी घटनाओं को रोकने में सहायक होगा।<br />
<br /></div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-34236992143375496382015-03-05T10:18:00.000+05:302015-03-05T16:55:41.036+05:30राम का चक्कर - एक संस्मरण <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<br />
होली के अवसर पर जीवन के सबसे मूर्खता पूर्ण अनुभव की तलाश में था। तब ये घटना याद आ गयी।<br />
<br />
बात है १९८२ की। मैं , मेरी पत्नी रेणु , बहन सविता और बहनोई अशोकजी एक साथ नैनीताल गए थे। तीन दिन वहां रहने के बाद हमने सोचा क्यों न एक दिन के लिए जिम कॉर्बेट पार्क चलें। टूरिज्म विभाग के दफ्तर में पैसे भर कर वहां के सरकारी बंगले में हमने बुकिंग करवा ली। सुबह एक गाडी ली और चल पड़े। वहां पहुँचने का रास्ता अशोकजी ने होटल के मैनेजर से समझ लिया , इस लिए ड्राइवर को निर्देश देने का काम उनका था।<br />
<br />
बताने वाले ने उन्हें रास्ता यूँ बताया था - रामनगर जाने वाली सड़क पकड़ो, जाते जाओ। डेढ़ -दो घंटे में रामनगर आएगा , वहां से एक रास्ता जिम कॉर्बेट पार्क के लिए मुड़ेगा , उस रास्ते को पकड़ कर चले जाओ। डेढ़ दो घंटे में पार्क पहुँच जाओगे। निर्देश इतने आसान थे की हमने कोई नक्सा वैगरह लेने की कोशिश ही नहीं की।<br />
<br />
शुरू में हम लोग अपनी ही मस्ती में बढ़ते रहे। बाद में जब सड़क के किनारे लगे मील के पथ्थर देखने शुरू किये तो हमें दिखने लगा रामपुर जो की ७००-८०० किलोमीटर था। अशोकजी ने कहा की शायद उनको समझने में कोई गलती हुई होगी। जाना तो रामपुर होकर ही है। इस प्रकार अनजाने में रामनगर का स्थान रामपुर ने ले लिया। जैसे जैसे दिन बीतता गया हमें अपने निर्णय पर गुस्सा आने लगा। अच्छा भला नैनीताल में मौज कर रहे थे ; मतलब यहाँ गर्मी में धक्के खा रहे थे। अशोकजी बेचारे सबको समझा बुझा कर रामपुर तक ले जा रहे थे।<br />
<br />
खैर साहब , किसी तरह १० घंटो की यात्रा के बाद हम रामपुर पहुंचे। वहां पहुँच कर एक ढाबे में चाय पी। फिर किसी समझदार आदमी से पूछा - ' भाई साहब , यहाँ से जिम कॉर्बेट जाने का कौन सा रास्ता है , और कितना समय लगेगा ?<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEir1Op-kJub9N2b8aIt2FzbPVdzqxmJuT7tWM47_A02KxxM3uIWWy87Xjtn4RIc0bHCj4aUrObL2Be89LmbfrIHJZbQ9fnk3LhJtTmQ7O1H-fRAPPKRmMfLA_rdd7EKnRPJh3sVviRzC1R_/s1600/delhi-corbett-route.gif" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEir1Op-kJub9N2b8aIt2FzbPVdzqxmJuT7tWM47_A02KxxM3uIWWy87Xjtn4RIc0bHCj4aUrObL2Be89LmbfrIHJZbQ9fnk3LhJtTmQ7O1H-fRAPPKRmMfLA_rdd7EKnRPJh3sVviRzC1R_/s1600/delhi-corbett-route.gif" height="288" width="400" /></a></div>
<br />
भले आदमी ने हमारी तरफ देखा और पूछा - दिल्ली से आएं हैं क्या ?<br />
<br />
अशोकजी ने कहा - फिलहाल तो नैनीताल से आ रहें हैं।<br />
<br />
अब उस आदमी के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी। बोला - तो साहब यहाँ रामपुर तक क्यूँ आये हैं। आप तो रास्ता बहुत पीछे छोड़ आये हैं , जो रामनगर से मुड़ता है।<br />
<br />
अब जीजाजी के चेहरे का रंग देखने लायक था। उन्हें जैसे काटो तो खून नहीं। हम सभी उन पर बरस पड़े। सब ने कह दिया - अब कहीं नहीं जाएंगे , यहाँ से सीधा दिल्ली चलो।<br />
<br />
अशोकजी सबको अनुरोध किया - देखो पैसे भरे हुये हैं। हमें वापस जाना चाहिए ; जीवन में फिर यहाँ आना हो या न हो। हार कर सबने उनकी बात मान ली , और चल पड़े वापस एक १० घंटे की यात्रा पर - जिम कॉर्बेट पार्क जाने के लिए। </div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-23082478036484672282015-03-03T09:36:00.001+05:302015-03-03T09:36:22.810+05:30गुटखा तम्बाकू - एक लघु कथा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhgOrpLvrzU92nTWMCBhcZMKeESDYA5lLvqJMPgzCJj9Z9mNmfG6eetAyawPXDaHaHVFsNscgxUzQZhoqRQhcNGdbwMWYbCKFrtlJg50D9kkMqRIbOhxcERLgr1-qZquw5rGjvzMqz1293j/s1600/gutka_2535130b.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhgOrpLvrzU92nTWMCBhcZMKeESDYA5lLvqJMPgzCJj9Z9mNmfG6eetAyawPXDaHaHVFsNscgxUzQZhoqRQhcNGdbwMWYbCKFrtlJg50D9kkMqRIbOhxcERLgr1-qZquw5rGjvzMqz1293j/s1600/gutka_2535130b.jpg" height="199" width="320" /></a></div>
<br />
मैं इंटरव्यू ले रहा था , एक स्टेनो सेक्रेटरी के पद के लिए। अगला प्रार्थी थी एक दक्षिण भारतीय महिला। सामान्य प्रश्नोत्तर के दौरान मैंने पूछा - आप के पति क्या करते हैं ?<br />
<br />
उसने जरा बुझे से स्वर में कहा - उसका डेथ हो गया। कैंसर था।<br />
<br />
न चाहते हुए भी मैं पूछ बैठा - बहुत यंग रहे होंगे ; ऐसा कैसे ?<br />
<br />
उसने कहा - उसको गुटखा तम्बाकू बहुत खाता था।<br />
<br />
मन में हंसी आई उसकी दक्षिण भारतीय हिंदी सुन कर ; लेकिन अगले ही क्षण मन में आया - भले ही उसका व्याकरण गलत था , लेकिन अनजाने ही उसकी बात सही थी। हम समझते हैं की गुटखा तम्बाकू हम खाते हैं , लेकिन वास्तविकता ये है की गुटखा तम्बाकू हमें खाता है।<br />
<br />
<br /></div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-52501979175716744862015-02-17T10:18:00.003+05:302015-02-17T10:18:28.157+05:30'आप' - फ़िल्मी गाने -फ़िल्मी ताने<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आम आदमी पार्टी संक्षिप्त नाम यानि 'आप' , हिंदी भाषा का एक शब्द होने के कारण बहुत सारे फ़िल्मी गानों में प्रयुक्त हुआ है। हमने चुने हैं कुछ ऐसे ही गाने जो दिल्ली के चुनाव के बाद बहुत दिलचस्प ढंग से किसी न किसी व्यक्तित्व से मेल खाते हैं। उद्देश्य विशुध्द हास्य के अलावा कुछ नहीं है। आनंद लीजिये -<br />
<br />
<b>अन्ना हजारे </b><br />
आप से हमको बिछड़े हुए , एक जमाना बीत गया<br />
<br />
<b>सतीश उपाध्याय (किरण बेदी से )</b><br />
आप यहाँ आये किसलिए , आप ने बुलाया इसलिए<br />
आये हैं तो काम भी बताइये , पहले जरा आप मुस्कुराइए<br />
<br />
<b>किरण बेदी </b><br />
दर्दे दिल दर्दे जिगर दिल जगाया आप ने<br />
<br />
<b>योगेन्द्र यादव (अरुण जेटली से )</b><br />
आप ने सौ इल्जाम लगाये , वो मेरे नाम लगाये , कहिये कुछ और<br />
चोरों को सारे नजर आते हैं चोर<br />
<br />
<b>शीला दिक्षित </b><br />
आप को पहले भी कहीं देखा है<br />
<br />
<b>प्रशांत भूषण </b><br />
क्या क्या न सहे हमने सितम आप की खातिर<br />
<br />
<b>दिल्ली </b><br />
आप मुझे अच्छे लगने लगे , सपने सच्चे लगने लगे<br />
<br />
<b>सोनिया गांधी</b><br />
चैन से हमको कभी आप ने जीने ना दिया<br />
<br />
<b>राहुल गांधी</b><br />
जब हमने दास्ताँ अपनी सुनाई , आप क्यों रोये<br />
<br />
<b>अजय माकन</b><br />
करवटें बदलते रहे सारी रात हम , आप की कसम<br />
<br />
<b>नज़ीब जंग</b><br />
आप की नज़रों ने समझा प्यार के काबिल मुझे<br />
<br />
<b>ममता बनर्जी</b><br />
आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आये , तो बात बन जाए<br />
<br />
<b>साजिया इल्मी</b><br />
हम आपके आपके हैं कौन<br />
<br />
<b>उद्धव ठाकरे</b><br />
आप के हसीन रुख पे आज नया नूर है<br />
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कुसूर है<br />
<br />
<b>केजरीवाल (मोदी से )</b><br />
आप की राय मेरे बारे में क्या है कहिये<br />
<br />
<b>मोदी (केजरीवाल से )</b><br />
ये मुझे देख कर आपका मुस्कुराना<br />
मुहब्बत नहीं है तो फिर और क्या है<br />
<br />
अरविन्द केजरीवाल<br />
आइये आप को मैं अपने बंगले की सैर कराऊँ<br />
<br />
<br />
क्यों ? आया न मजा ? </div>
Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-48373651912706659452015-02-16T17:15:00.001+05:302015-02-16T17:15:27.185+05:30आखिर दिल्ली में हुआ क्या ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhDX1bzLc85ra7W1yQtclPin0l5v_IYhTokQDl0NggH9lraQdKo1KEYh4F6wipl6jrQFh2RGeIm2OIwUuAHC6SZb2NoDD565CXsEqkDoPXUZkLagjYEG2s5gT3g6jsawaJJZJiAtO3CyplO/s1600/delhi-assembly-election-results-2015.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhDX1bzLc85ra7W1yQtclPin0l5v_IYhTokQDl0NggH9lraQdKo1KEYh4F6wipl6jrQFh2RGeIm2OIwUuAHC6SZb2NoDD565CXsEqkDoPXUZkLagjYEG2s5gT3g6jsawaJJZJiAtO3CyplO/s1600/delhi-assembly-election-results-2015.jpg" height="189" width="320" /></a></div>
<div>
<br /></div>
<div>
<br /></div>
दिल्ली विधान सभा के २०१५ के परिणामों ने पूरे देश को चौंका दिया। आम आदमी के पक्ष में जो फैसला आया उससे तो आम आदमी पार्टी भी स्तब्ध रह गयी। बीजेपी ने ऐसे परिणामों की स्वप्न में भी कल्पना नहीं की थी। कांग्रेस पार्टी तो लगभग अपना वजूद ही खो बैठी है। <div>
<br /></div>
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आइये २०१३ से २०१५ तक के परिवर्तन के परिणामों के आंकड़ों पर नजर डालें -</div>
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<b>परिणाम सीटों के दृष्टिकोण से</b> -</div>
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<br /></div>
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<b><u> २०१३ २०१५ अंतर प्रतिशत</u> </b></div>
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<br /></div>
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<b>बीजेपी ३१ ०३ -२८ -९०.३२ %</b></div>
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<b><br /></b></div>
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<b>आम आदमी २८ ६७ ३९ + १३९.२८ %</b></div>
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<b><br /></b></div>
<div>
<b>कांग्रेस ०८ ०० -०८ -१०० %</b></div>
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<b><br /></b></div>
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<b>अन्य ०३ ०० -०३ - १०० </b></div>
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<br /></div>
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इन आंकड़ों को देख कर ऐसा लगता है जैसे आम आदमी ने तो अपनी स्थिति दुगने से ज्यादा मजबूत कर ली है और अन्य सभी दल करीब करीब साफ़ हो गए हैं। लेकिन वास्तविकता ये नहीं है। </div>
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<br /></div>
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सीटें परिणाम होती है - बहुमत का। अगर दो दलों के बीच में सिर्फ एक वोट का भी अंतर हो तो उसमे से एक उस सीट का १०० % विजेता होता है और दूसरा उस सीट पर १०० % पराजित !</div>
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<br /></div>
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आइये देखें जनता ने कितना किसे समर्थन दिया और कितना किसे नकार दिया। ये तुलना मतों की गिनती के आधार पर है। </div>
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<br /></div>
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<b>परिणाम प्राप्त मतों के दृष्टिकोण से</b> -</div>
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<br /></div>
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<b> <u>२०१३ २०१५ अंतर प्रतिशत</u> </b></div>
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<br /></div>
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<b>बीजेपी ३३.०७ % ३२.१०% -०.९७ % -०२.९३%</b></div>
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<b><br /></b></div>
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<b>आम आदमी ३०.०० % ५४.०० % +२४ % +८०.०० % </b></div>
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<b>कांग्रेस २४.५५ % ०९.८०% - १४. ७५ % - ६०.०८ %</b></div>
<div>
<b><br /></b></div>
<div>
<b>अन्य १२.३८ % ०४.१० % - ०८.२८ % -६६.८८ %</b></div>
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<b><br /></b></div>
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इन नतीजों से जो पता चलता है वो इस प्रकार है -</div>
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<br /></div>
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१. बीजेपी ने अपना मुख्य आधार बचा कर रखा लेकिन उसमे बढ़ोतरी नहीं कर पायी। </div>
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२. कांग्रेस ने अपना वोट बैंक आम आदमी के हाथों खो दिया। </div>
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३. अन्य दल जिसमे मुख्य रूप से आते हैं - बीएसपी , जेदीयु और स्वतंत्र। उनके वोटों का भी वही हुआ जो कांग्रेस के वोट बैंक का हुआ। </div>
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४. दिल्ली में मुस्लिम जनसँख्या २५ से २७ प्रतिशत है ; जो कभी भी बीजेपी को वोट नहीं देगी । </div>
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<br /></div>
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जब पूरी दिल्ली दो खेमों में बँट गयी हो तो परिणाम तो ऐसे ही आने थे। बिजली मुफ्त ,पानी मुफ्त , अवैध निर्माण बनेंगे वैध - ऐसे नारों से सारी दलित जनता , सारे अवैध रूप से बसे बंगला देशी - पूरी की पूरी जमात आम आदमी के पक्ष में चली गयी। </div>
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<br /></div>
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ये चुनाव था - सुधार और उधार के बीच ; प्रगति और दुर्गति के बीच ; सौर बिजली और चोर बिजली के बीच तथा आत्म सन्मान और मुफ्तखोरी के बीच। दुर्भाग्य से सुधार , प्रगति , सौर बिजली और आत्म सन्मान को मुंह की खानी पड़ी। </div>
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<br /></div>
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दिल्ली को भगवान बचाये। सौभाग्य से पूरा भारत इस तरह से नहीं सोचता है। </div>
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Mahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4687459676597432650.post-37687442995371303492015-01-18T10:57:00.003+05:302015-01-18T10:57:51.880+05:30किरण बेदी क्यों जीतेगी !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="background-color: white; color: #252525; font-family: sans-serif; font-size: 14px; line-height: 22.3999996185303px; margin-bottom: 0.5em; margin-top: 0.5em;">
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किरण बेदी को दिल्ली के चुनाव में ला कर बीजेपी ने एक बहुत बड़ा दांव खेल दिया है। आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली में ये शायद सबसे बड़ी चनुौती होगी। दिल्ली में बीजेपी पर कई चुनावी आरोप थे। सबसे बड़ा आरोप था की दिल्ली में बीजेपी के पास कोई मुख्यमंत्री पद के लायक नाम और चेहरा नहीं है। इस शून्य का लाभ ले रहे थे अरविन्द केजरीवाल। जितने भी मुख्यमंत्री पद के लिए सर्वे हो रहे थे , उनमे अरविन्द केजरीवाल का नाम सबसे लोकप्रिय रहा था। वास्तविकता ये थी की सामने डॉक्टर हर्षवर्धन के कद का कोई नाम ही नहीं आ रहा था। अब ये कहानी बदल जायेगी। डॉक्टर किरण बेदी के नाम के साथ दिल्ली का एक स्वर्णिम इतिहास जुड़ा है। पूरा देश जानता है की किरण बेदी देश की पहली महिला आई पी एस अफसर हैं। दिल्लीवासी उस दबंग महिला पुलिस अफसर को भूले नहीं है , जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की कार को गलत पार्किंग के कारण क्रेन से खींच लिया था। </div>
<div style="background-color: white; color: #252525; font-family: sans-serif; font-size: 14px; line-height: 22.3999996185303px; margin-bottom: 0.5em; margin-top: 0.5em;">
अरविन्द केजरीवाल देश के प्रकाश में आये अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी मंच के कारण। किरण बेदी अपने आप में एक हस्ती रही हैं। उनका टेलीविजन पर " आप की कचहरी " नाम के कार्यक्रम ने उनके सामाजिक न्यायाधीश के स्वरुप को पूरे देश के मस्तिष्क में स्थापित कर दिया। उनके जुड़ने से लाभ अन्ना के आंदोलन को ही हुआ था। अरविन्द ने आंदोलन की लोकप्रियता को भुना कर ' आम आदमी पार्टी ' की स्थापना की। अन्ना और किरण बेदी ने इस जन आन्दोलन को राजनीति में परिवर्तित करने का विरोध किया। इस प्रकार दिल्ली के चुनाव में भ्रष्टाचार विरोध का एकमात्र मुखौटा पहने हुए अरविन्द केजरीवाल को एक आजीवन समर्पित ईमानदार नेता का सामना करना पड़ेगा। </div>
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जहाँ अरविन्द केजरीवाल इनकम टैक्स विभाग में काम करते हुए सिर्फ विवादों से घिरे रहे , वहीँ किरण बेदी ने अपने जीवन में मैग्सेसे नाम का अंतर राष्ट्रीय स्तर का अवार्ड जीता। जेल में रहने वाले कैदियों के जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन लाने का अभियान उन्होंने शुरू किया। नवज्योत के नाम से उनके शुरू किये हुए एन जी ओ ने समाज में ड्रग सेवन के खिलाफ बहुत बड़ा मोर्चा खोला। </div>
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अगर आगामी चुनाव में केजरीवाल का सामना किरण बेदी से होता है , तो निश्चित रूप से किरण बेदी ही चुनाव जीतेंगी। दिल्ली के लोग अभी भी केजरीवाल के ४९ दिनों की सरकार को बिना कारण गिराने के अपराध को माफ़ नहीं कर पाये हैं। </div>
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