नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Thursday, September 8, 2011

अंधेर नगरी चौपट राजा

पहले एक कहानी , फिर कहूँगा अपनी बात ।

एक राज्य में एक बार एक चोर ने किसी सेठ के मकान में सेंध लगाने के लिए दिवार में एक बड़ा सा सुराख़ किया । उस सुराख़ में बड़ी मुश्किल से घुसने की कोशिश कर ही रहा था ,कि दुर्भाग्यवश दिवार उस के ऊपर ढह गयी । चोर पीड़ा से चिल्लाया । घर के सारे लोग और पहरेदार इकट्ठे हो गए । राज्य की पुलिस ने उस चोर को अगले दिन राजा के दरबार में पेश किया । चोर दर्द से कराह रहा था । राजा ने उससे पूछा की उसकी ऐसी हालत कैसे हो गयी । उसने अपनी आपबीती घटना सुना दी ।
राजा ने कुछ देर सारी बात पर विचार किया और फिर फैसला सुना दिया की , जिस ठेकेदार ने उस घर की दिवार इतनी कमजोर बनायीं थी , उसे पकड़ के लाया जाए और चोर को रिहा कर दिया जाए । चापलूस दरबारी राजा के फैसले पर वाह वाह करने लगे ।
ये तो थी एक कहानी , जिसका उद्देश्य था हास्य । लेकिन जो हमारे देश में चल रहा है वो हास्य नहीं है - हाँ अंधेर नगरी और चौपट राजा का राज जोरों पर है । जुलाई , २००८ में वामपंथी दलों के समर्थन खींच लेने के कारण यु पी ऐ की सर्कारअल्पमत में आ गयी थी । संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए उसे जरूरत थी समर्थन की । इस तरह की स्थितियों में सांसदों की खरीद फरोख्त करने के माहिर दलाल अमर सिंह ने ये मोर्चा संभाला । इस तरह से वो फिर से कोंग्रेस पार्टी की गुड बुक्स में आना चाहते थे । बात जरा उलटी पड़ी , जब बी जे पी के तीन सांसदों ने संसद में सारी पोल खोलने के लिए अमर सिंह के भेजे हुए रुपैयों का थैला बीच में उड़ेल दिया । संसद में ही नहीं सारे देश में ही हाय तौबा मच गयी ।

लेकिन फिर जैसा होता है , सारी कहानी को ठन्डे बक्से में दफना दिया गया । एक संसदीय जांच कमिटी ने अमर सिंह को किसी भी जुर्म से मुक्त कर दिया । दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय के इशारे पर चुप्पी साध के बैठ गयी । पता नहीं जब तब हमारी सर्वोच्च न्यायलय के पेट में क्यों दर्द उठ खड़ा होता है , की उन्होंने दिल्ली पुलिस को धमकाया । आखिर में हुआ क्या - अमर सिंह को तो तिहाड़ जाना ही था , लेकिन बी जे पी के तीनों पूर्व सांसदों में से दो- फागन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा को , जो दिल्ली में मौजूद थे - उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया । इल्जाम बना रिश्वत लेने का । यानी की जिसने एक गलत काम का भांडा फोड़ किया, वही दोषी हो गए ।

जनता सब देख रही है । अच्छे और बुरे काम की समझ है सबको । सर्कार अपनी अंतिम साँसे ले रही है । इस तरह की अंधेर नगरी और ऐसे चौपट राज्य में सच्चाई अपनी गति से ही सही लेकिन बाहर आ रही है ।



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