नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Wednesday, August 18, 2010

लघु कथा - प्रायश्चित

विमान ने उड़ान भरी. सारे यात्री सामान्य स्थिति आने कि प्रतीक्षा कर रहे थे . जब परिचारिका ने सीट बेल्ट खोलने के निर्देश दे दिए , उसके बाद विमान के अन्दर थोड़ी हलचल शुरू हुयी .कुछ यात्री अपने साथ लायी हुई पठन सामग्री में तल्लीन  हो गए. कुछ लोग सोने की प्रतीक्षा करते रहते हैं, ऐसे लोग अपनी सीट पीछे कर के सो गए . कुछ लोग सहयात्रियों से परिचय करने में लग गए .

एक यात्री बहुत डरा हुआ सा था . जब परिचारिका सुरक्षा सम्बन्धी निर्देश दे रही थी , तो उसे और भी अधिक  डर लग रहा था . उसने अपनी पास की सीट पर बैठे पादरी से कहा - "फादर, मैं पहली बार किसी विमान में बैठा हूँ, मुझे बड़ा डर लग  रहा है, मैं क्या करूं ?" 

पादरी ने कहा - " बेटे, मन ही मन यीशु को याद करो. इस वक़्त कोई खतरे की स्थिति  नहीं है , मात्र तुम्हारे मन का डर है, इसलिए प्रभु को याद करने से मन में शक्ति आती है . और कभी ज्यादा डर लगे तो मेरा हाथ पकड़ लेना."

यात्री थोडा आश्वस्त हुआ . आँख बंद करके ईश्वर को याद करने लगा . बीच रास्ते में एक जगह मौसम ख़राब मिला . विमान के कप्तान ने घोषणा की, की मौसम ख़राब है इसलिए विमान के काफी हिलने डुलने  की संभावना है , इसलिए यात्री अपनी सीट बेल्ट बांध कर ही बैठें. डरा हुआ यात्री और डर गया .

तभी एक जोरदार झटके के साथ विमान तेजी से नीचे  की तरफ आया. लोगों की चीख निकाल गयी. डरे हुए यात्री ने कस कर के पादरी के दोनों हाथ जोर से पकड़ लिए . एक और झटका लगा. वो पादरी के कंधे पर अपना सर रख के बोला - "फादर, मैं बहुत बुरा आदमी हूँ, मैंने पाप किया है . क्या मैं आपके सामने अपने पाप का कंफेसन (पाप स्वीकार करने की ईसाई पद्धति ) , ताकि यह मेरा अंतिम समय शांति से बीत जाये ."

पादरी ने  अपनी मनोदशा सँभालते हुए कहा -" बोलो बेटा, स्वीकार करने से तुम्हारे पापों का प्रभाव कम जरूर हो जाएगा."
यात्री ने कहा - " फादर, पिछले हफ्ते अपने शहर में एक बड़ी डकैती हुई थी ना , जिसमे बुजुर्ग दम्पति की हत्या कर के किसी ने उनके बीस लाख रुपैये और गहने आदि चुरा लिए थे - वो अपराध मैंने  ही किया था .मैं उनका पडोसी हूँ. पुलिस को मुझ पर शक नहीं हुआ . मैं अपने पापों के लिए प्रायश्चित करना चाहता हूँ. "

तब तक मौसम ठीक हो गया था . पादरी ने कहा - " बेटा पाप तो तुमने बहुत बड़ा किया है . ईश्वर के दरबार में एक बार आकर प्रायश्चित कर लेना. इस रविवार को समयपुर  चर्च  में आ जाना. प्रायश्चित के बाद अगर तुम्हारी आत्मा कहे तो तुम पुलिस में जाकर आत्म-समर्पण  कर देना . ये फैसला सिर्फ तुम्हारा होगा, मेरा काम तुम्हारे लिए विशेष प्रार्थना करना ही होगा ."

यात्री ने धन्यवाद किया. विमान उतर गया.सभी यात्री विदा हो गए.

अगले दिन के अखबार की हेड लाइन थी, -
"समयपुर चर्च के मुख्य पादरी की निर्मम हत्या ."   

1 comment:

  1. Good story Mahenderji!
    It takes time for a man to change his caste!!

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