एक कारतूस के डिब्बे में कई कारतूस आपस में बात कर रहे थे .
एक गोली ने कहा - जानती हो मेरा काम है देश की सीमा की रक्षा करना
दूसरी ने कहा - रहने दे , दुश्मन के हाथ लग गयी तो फिर अपनों को ही मारेगी
तीसरी ने कहा - मैं तो देश के अन्दर के अपराधियों को मारूंगी.
चौथी ने कहा - या फिर अपराधियों की बन्दूक से निकली तो फिर ....
एक बुजुर्ग बड़ी बोर वाली गोली ने कहा - फालतू बातें मत करो .हमारा काम है मारना . हमारे अन्दर कूट कूट कर बारूद ही तो भरा है. हमारा धर्म है मारना .किसे मारना किसे नहीं मारना यह सब सोचना काम है इंसानों का .अगर वो ही नहीं समझते तो हम समझ के क्या करेंगे .
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