ऐसा लग रहा है जैसे की भारत में कोई बहुत बड़ी कार्यशाला चल रही है आजकल , जिसका विषय है - घोटाले ! अरविन्द केजरीवाल एक तूफ़ान की तरह भारत की राजनीति पर छा गए हैं . आये दिन एक न एक घोटाला उजागर हो रहा है . सोनिया गाँधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा जो अब तक एक अलिखित स्वतंत्रता ( immunity ) का आनंद ले रहे थे अचानक आरोपों की बाढ़ में बह रहें हैं , और हाथ पैर मार रहे हैं . उससे भी ज्यादा दिलचस्प बात ये है की पूरी की पूरी कोंग्रेस पार्टी चप्पू लेकर कूद पड़ी है इस बाढ़ में , वाड्रा साहब के बचाव में . और क्यों न हो ऐसा - देवी को प्रसन्न करने का इससे बड़ा सुनहरी मौका किसी पालतू कोंग्रेसी को नहीं मिल सकता .
कोल गेट का सुलगना अभी मंद भी नहीं हुआ था की सवालों के घेरे में आ गए - साफ़ सुथरे सुन्दर स्मार्ट नेता सलमान खुर्शीद . देश के कानून मंत्री पर आरोप ये लगा की उन्होंने सरकारी 71 लाख रुपैये के अनुदान को अपंगो के निमित्त खर्चने की जगह अपनी तिजोरी में डाल लिया। मुश्किलें तब बढ़ गयी जब उन्होंने इस सहायता को प्राप्त करने वाले गरीबों की सूची प्रस्तुत की . लिस्ट में दिए गए नाम बहुत पहले ही मर चुके थे ; या फिर ऐसे नाम थे जिन्होंने दरख्वास्त तो की थी लेकिन जिन्हें मिला कुछ भी नहीं था .
सलमान के बचाव में आगे आये इस्पात मंत्री श्री बेनी प्रसाद वर्मा ; बचाव में क्या आये , उन्होंने तो सरकारी संस्कृति की जैसे पोल ही खोल दी . बेनी प्रसाद वर्मा उवाच ये था कि देश के एक उच्च नेता के लिए 71 लाख रुपैया बहुत छोटी रकम है ; कुछ इस अंदाज में कहा जैसे कह रहे हों की 71 लाख रुपैया तो सलमान के हाथ का मैल है। इतना ही नहीं आगे यह भी कह दिया की 71 करोड़ की बात होती तो उसे गंभीरता से लेते . लो साहब , जिस देश में गरीबी रेखा की परिभाषा प्रतिदिन की एक परिवार की आमदनी 32 रुपैये हों , वहां सरकारी मंत्रियों की गरीबी की रेखा 71 करोड़ बन गयी .
बात यहाँ पर ख़त्म नहीं हुई ; जब सलमान खुर्शीद साहब की सारी सफाई झूठी साबित होती गयी , तो उन्होंने अपना विनम्रता का चौला उतार फेंका , और आ गए सीधे सीधे उत्तर प्रदेश के धमकी भरे स्वर में . क्या कहा उन्होंने - बहुत हो गयी ये कलम की लड़ाई , अब तो मामला खून की लड़ाई का है . अरविन्द केजरीवाल जी जरा आकर तो दिखाएँ फरुखाबाद ! आना उनके हाथ में है लेकिन जाना नहीं . समझ में नहीं आया की टी वी पर देश का कानून मंत्री सलमान खुर्शीद बोल रहा था या बॉलीवुड का दबंग स्टार सलमान खान !
परसों केजरीवाल महोदय ने आड़े हाथों लिया बी जे पी के अध्यक्ष गडकरी जी को ; यहाँ केजरीवाल का होम वर्क जरा दुरुस्त नहीं था . बी जे पी ने पूरे मुद्दे को बिलकुल साफ़ कर दिया . वास्तव में आरोप गडकरी पर न होकर अजित पवार पर था , जो महाराष्ट्र सर्कार से पहले ही इस्तीफ़ा देकर बैठे हैं .
कल एक ताजा कहानी निकल कर आ गयी - खाद्य मंत्री शरद पवार के लवासा प्रकल्प की . उधर चौटाला ने राहुल गांधी के घोटाले की एक नयी फ़ाइल खोल दी . मध्य प्रदेश में एक मॉल को लेकर दिग्विजय सिंह की पूछताछ सी बी आई कर रही है .
इस सर्कार में कोई बचा है क्या - ऐ राजा , सुरेश कलमाड़ी , दयानिधि मारण , कन्हीमोयी , सुबोध सहाय , जैसवाल , सलमान खुर्शीद , बेनी प्रसाद , शरद पवार, राहुल गाँधी , दिग्विजय सिंह यहाँ तक की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ! जिस देश की पूरी की पूरी सर्कार भ्रष्टाचार में लिप्त हो और पकड़ी भी जाए , तब भी उसकी सर्कार ज्यों की त्यों बनी रहती हो - ऐसा सिर्फ भारत के प्रजातंत्र में ही संभव है . क्यों न इस देश का एक नया विशेषण दिया जाए - घोटाला तंत्र !
कोल गेट का सुलगना अभी मंद भी नहीं हुआ था की सवालों के घेरे में आ गए - साफ़ सुथरे सुन्दर स्मार्ट नेता सलमान खुर्शीद . देश के कानून मंत्री पर आरोप ये लगा की उन्होंने सरकारी 71 लाख रुपैये के अनुदान को अपंगो के निमित्त खर्चने की जगह अपनी तिजोरी में डाल लिया। मुश्किलें तब बढ़ गयी जब उन्होंने इस सहायता को प्राप्त करने वाले गरीबों की सूची प्रस्तुत की . लिस्ट में दिए गए नाम बहुत पहले ही मर चुके थे ; या फिर ऐसे नाम थे जिन्होंने दरख्वास्त तो की थी लेकिन जिन्हें मिला कुछ भी नहीं था .
सलमान के बचाव में आगे आये इस्पात मंत्री श्री बेनी प्रसाद वर्मा ; बचाव में क्या आये , उन्होंने तो सरकारी संस्कृति की जैसे पोल ही खोल दी . बेनी प्रसाद वर्मा उवाच ये था कि देश के एक उच्च नेता के लिए 71 लाख रुपैया बहुत छोटी रकम है ; कुछ इस अंदाज में कहा जैसे कह रहे हों की 71 लाख रुपैया तो सलमान के हाथ का मैल है। इतना ही नहीं आगे यह भी कह दिया की 71 करोड़ की बात होती तो उसे गंभीरता से लेते . लो साहब , जिस देश में गरीबी रेखा की परिभाषा प्रतिदिन की एक परिवार की आमदनी 32 रुपैये हों , वहां सरकारी मंत्रियों की गरीबी की रेखा 71 करोड़ बन गयी .
बात यहाँ पर ख़त्म नहीं हुई ; जब सलमान खुर्शीद साहब की सारी सफाई झूठी साबित होती गयी , तो उन्होंने अपना विनम्रता का चौला उतार फेंका , और आ गए सीधे सीधे उत्तर प्रदेश के धमकी भरे स्वर में . क्या कहा उन्होंने - बहुत हो गयी ये कलम की लड़ाई , अब तो मामला खून की लड़ाई का है . अरविन्द केजरीवाल जी जरा आकर तो दिखाएँ फरुखाबाद ! आना उनके हाथ में है लेकिन जाना नहीं . समझ में नहीं आया की टी वी पर देश का कानून मंत्री सलमान खुर्शीद बोल रहा था या बॉलीवुड का दबंग स्टार सलमान खान !
परसों केजरीवाल महोदय ने आड़े हाथों लिया बी जे पी के अध्यक्ष गडकरी जी को ; यहाँ केजरीवाल का होम वर्क जरा दुरुस्त नहीं था . बी जे पी ने पूरे मुद्दे को बिलकुल साफ़ कर दिया . वास्तव में आरोप गडकरी पर न होकर अजित पवार पर था , जो महाराष्ट्र सर्कार से पहले ही इस्तीफ़ा देकर बैठे हैं .
कल एक ताजा कहानी निकल कर आ गयी - खाद्य मंत्री शरद पवार के लवासा प्रकल्प की . उधर चौटाला ने राहुल गांधी के घोटाले की एक नयी फ़ाइल खोल दी . मध्य प्रदेश में एक मॉल को लेकर दिग्विजय सिंह की पूछताछ सी बी आई कर रही है .
इस सर्कार में कोई बचा है क्या - ऐ राजा , सुरेश कलमाड़ी , दयानिधि मारण , कन्हीमोयी , सुबोध सहाय , जैसवाल , सलमान खुर्शीद , बेनी प्रसाद , शरद पवार, राहुल गाँधी , दिग्विजय सिंह यहाँ तक की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ! जिस देश की पूरी की पूरी सर्कार भ्रष्टाचार में लिप्त हो और पकड़ी भी जाए , तब भी उसकी सर्कार ज्यों की त्यों बनी रहती हो - ऐसा सिर्फ भारत के प्रजातंत्र में ही संभव है . क्यों न इस देश का एक नया विशेषण दिया जाए - घोटाला तंत्र !
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