नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Thursday, October 4, 2012

अक्तूबर 2

अक्तूबर 2 ! इस तारीख को सुनते ही हर भारतीय के मस्तिष्क में एक नाम और एक छवि उभरती है - राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की , जिन्हें  पूरा देश बापू के नाम से भी याद करता है . किसी विद्यालय के बच्चों से पूछिए की 2 अक्तूबर का क्या महत्व है , 100 प्रतिशत बच्चे आपको बताएँगे की बापू का जन्मदिन है . भारत के कैलेण्डर में 15 अगस्त और 26 जनवरी के बाद सबसे महत्वपूर्ण सरकारी छुट्टी है गाँधी जयंती की .


कितनी आसानी से  भुला दिया देश ने अपने पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को जिनका जन्मदिन भी पड़ता है अक्तूबर 2 को . जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु के बाद भारत के प्रधान मंत्री बने थे शास्त्रीजी 1964 में . उनके पद पर आने की बाद बहुत जल्दी ही पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया देश पर। शास्त्री जी एक जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति थे . आम आदमी और किसानों के दर्द को समझते थे . जय जवान जय किसान का नारा देकर उन्होंने किसान को देश की सुरक्षा करने वाले जवानों के समकक्ष कर दिया . पाकिस्तान को युद्ध में मुंह की खानी पड़ी . रूस के महामहिम कोसिगिन ने मध्यस्थता करते हुए रूस के तास्कंद शहर में  भारत और पाकिस्तान की एक वार्ता करवाई , जनवरी 1966 में, जिसमें शास्त्रीजी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति और सेनानायक अयूब खान ने भाग लिया . इस वार्ता के उपरांत दोनों देशों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किये , जिसके अनुसार दोनों देश एक दुसरे  के आतंरिक मामलों में दखल नहीं देंगे . दुर्भाग्य वश ताशकंद की उस यात्रा के दौरान शास्त्रीजी को ह्रदय का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गयी . और इस प्रकार एक प्रभावी नेता का शाशनकाल अल्पावधि में ही समाप्त हो गया .

कहते हैं की देश के नायकों के कार्य उन्हें अमर बना देते हैं . पूरा देश ऐसे नायकों को जीवित रखता है अपने हृदयों में . लेकिन ऐसा हुआ नहीं . देश में प्रायः हमेशा ही कांग्रेस पार्टी का शासन  रहा . इस पार्टी ने अपने सभी नायकों को जन साधारण की स्मृति से मिटा दिया अगर वो नेहरु परिवार के नहीं थे . आप किसी विद्यालय के बच्चों से अगर ये पूछें की लाल बहादुर शास्त्री कौन थे , तो मुझे नहीं लगता की 5-10 प्रतिशत बच्चे भी इस नाम को जानते होंगे।  

आज जिन आर्थिक सुधारों के लिए कांग्रेस अपनी  पीठ थपथपाती है , उन सुधारों के जनक थे भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय नरसिम्हा राव , जिन्होंने वर्तमान प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाकर उनके आर्थिक ज्ञान को महत्व दिया . पहली बार दुनिया के इतिहास में रुपैये ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में प्रवेश किया . ऐसे नरसिम्हा राव का इतिहास भी कांग्रेस पार्टी ने ऐसे साफ़ कर दिया जैसे किसी कपडे पर लगे दाग .

परिवारवाद का अन्धविश्वास कांग्रेस पार्टी में इस कदर घर कर गया है की उन्हें गाँधी नेहरु के आगे सब कुछ गौण लगता है . जो देश और जाति  अपने अत्तीत  का सन्मान नहीं करती , उसका भविष्य भी उसका सन्मान नहीं करता .





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