नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Thursday, March 29, 2012

अरविन्द केजरीवाल की प्रतिक्रिया


मैंने कल लिखा था संसद की बोखलाहट और तिलमिलाहट के बारे में . आज पढ़िए अरविन्द केजरीवाल की प्रतिक्रिया को उन्ही के शब्दों में - 
१. हम संसद का सन्मान करते हैं . लेकिन आज कुछ ऐसे लोग संसद में बैठे हुए हैं , जिनके कारण हमें चिंता है . आपराधिक प्रष्ठभूमि वाले सांसदों के रहते क्या ये संभव है की ऐसा कानून बने जो उन्हें ही जेल भिजवा सके .
२. ऐसे फास्ट ट्रैक कोर्ट की जरुरत है जो इनके मामलों का निपटारा करे ६ महीनों में , दोषी हैं तो सजा सुनाये और निर्दोष हैं तो इन्हें बरी करे .
३. वो कहते हैं की हमने संसद का अपमान किया है . क्या उन राजनैतिक दलों ने संसद का अपमान नहीं किया जब उन्होंने ऐसे अपराधियों को टिकट दिया ? क्या तब संसद का अपमान नहीं होता जब ये लोग संसद में पेश हुए बिल को फाड़ कर फेंक देते हैं ? जब कुर्सियों उठा उठा कर फेंकी जाती है तब अपमान नहीं होता ? जब सांसदों की खरीद फरोख्त खुले आम चलती है तो संसद का अपमान नहीं होता ? उन्हें पता होना चाहिए की जिस संविधान ने उन्हें कानून बनाने का धिकार दिया है , उसी संविधान ने हमें भी अपना विरोध जताने का अधिकार दिया है .
४. जब एक फिल्म पान सिंह तोमर का नायक सीधा बोलता है की संसद में डाकू बैठें हैं - तो सारी   जनता तालियाँ बजाती है . क्या ये संसद के लिए चिंता का मुद्दा नहीं ? हम जैसे लोगों को दंड देने से क्या ये मुद्दा ठीक हो जाएगा ? टीम अन्ना को निशाना बनाने से कुछ नहीं होगा ; हम जो भी परिणाम हो भुगतने के लिए तैयार हैं . पर हमने गलत कुछ नहीं बोला . ये आरोप हमारे नहीं है - ये तो CAG , हाई कोर्ट वैगरह में साबित हुए आरोप हैं .
५. जब श्री शरद पवार को किसी ने एक थप्पड़ मार दिया , तब ये संसद उस पर घंटो चर्चा करती रही , लेकिन एक इमानदार अफसर नरेन्द्र कुमार की हत्या की हत्या पर किसी ने चर्चा की ?
६. हम जेनरल वी के सिंह की बहुत इज्जत करते हैं . उन्होंने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत लड़ाई लड़ी . शायद इसीलिए उन्हें भी टार्गेट किया जा रहा है ! सर्कार ने लोकपाल से सेना को अलग रखा है ; अगर ऐसे केसों की जांच सी बी आई करेगी तो निष्कर्ष तो पूर्व निर्धारित ही होगा . 

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