नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Thursday, March 15, 2012

शिक्षा के नाम पर


महाराष्ट्र के एक दैनिक अख़बार दैनिक सनातन प्रभात के हवाले से ये महत्वपूर्ण खबर दे रहा हूँ . महाराष्ट्र के दहाणु शहर में एक स्कूल है - लोयोला माध्यमिक आश्रम शाला ; ये स्कूल संचालित हो रहा है ईसाई मिशनरियों द्वारा ; हालाँकि इस स्कूल को सरकारी सहायता मिलती है . ये स्थित है एक आदिवासी क्षेत्र में जिसे नाग्ज़री के नाम से जाना जाता है . घटना ये हुई कि चार आदिवासी बच्चों - साहिल नांगरे , रोहित मोर्घा , समीर मोर्घा और कृतिक देसाई को स्कूल में प्रथम कक्षा में दाखिला चाहिए था . स्कूल के प्रधानाध्यापक लुईस  मस्मर   और मुख्य पादरी जैकब ने उन चारों बच्चों के अनपढ़ माता पिता को बुलाया और कहा कि आपके बच्चों को दाखिला मिल सकता है अगर आप ईसाई धर्म  को स्वीकार कर लें . ग्रामीणों ने मना कर दिया . स्कूल ने बच्चों को दाखिला देने से मना कर दिया . ज्ञात हो कि इस स्कूल में छात्रों  को माथे पर तिलक या कन्याओं को हाथ में कंगन पहनने की अनुमति भी नहीं है .  निराश ग्रामीण हताश होकर पहुंचे शिव सेना के उस क्षेत्र के मुखिया श्री प्रभाकर रौल के पास . प्रभाकर अपने दल बल के साथ स्कूल पहुँच गए और जवाब तलब किया . भविष्य के लिए उन्होंने स्कूल के प्रशासन  को इस तरह कि करतूतों से बाज आने की चेतावनी दे दी . 
 
इस घटना से एक उदहारण सामने आता है की किस तरह इस देश के दिए हुए कर से अनुदान प्राप्त करके चलने वाले ये ईसाई स्कूल  गाँव के भोले भाले लोगों को ईसाई बनाने में लगे हैं . देश की सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता , क्योंकि सोनिया गाँधी के  चरणों में समर्पित ये यु पी ऐ सरकार पूरी तरह ईसाइयत के प्रचार  का समर्थन करती है . मुस्लमान इनके वोट बैंक है, इसलिए उनका भी पूरा साथ देती है ; लेकिन हिन्दुओं के लिए किसी प्रकार की सहानुभूति नहीं इस देश की सरकार के पास . 

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