आज के अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया की चार ख़बरों को पेश करता हूँ -
१. सबसे बड़ी हेड लाइन - कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी ने अपने दो प्रमुख मंत्रियों का झगडा मिटाया . जबसे सुभ्रमनियम स्वामी ने अदालत में प्रणव मुखेर्जी के विभाग के भेजे गए एक नोट को पेश किया है , तबसे कांग्रेस में खलबली मची हुई है . इस वर्ष के प्रारंभ में प्रधानमंत्री के पास भेजे गए इस नोट में बताया गया है कि २- जी घोटाले को टाला जा सकता था अगर उस समय के वित्त मंत्री चिदंबरम साहब अपने विभाग के उच्च अधिकारियों की सलाह को ताक पर रख के ऐ राजा के प्रस्ताव पर अड़े न होते . सारे कांग्रेसी नेता इस विषय पर अब तक मुंह छिपाते फिर रहें थे . प्रधानमंत्री का अमरीकी दौरा तक भी इस समस्या पर ज्यादा केन्द्रित है . अब आज की हेड लाइन ! कांग्रेस इस मुद्दे को अन्तर्विभागीय झगडा बता कर जनता का ध्यान बंटाना चाहती है . प्रणव बाबू का ये कहना कि चिदंबरम उनके महत्वपूर्ण सहकर्मी और शक्ति का स्तम्भ है; सर्कार का ये बयान कि उनके दोनों मंत्रियों ने कुछ गलत नहीं किया है ; सलमान खुर्शीद ने तो अदालत में प्रस्तुत उस नोट को मीडिया द्वारा बनाया गया महत्वहीन मुद्दा बता दिया .चिदंबरम बेसब्री से प्रधानमंत्री के स्वदेश लौटने का इन्तजार कर रहें हैं , क्योंकि उनके सहयोग के बिना उनका अब गृह मंत्री बने रहना नामुमकिन है .
लेकिन ये जो पब्लिक है ये सब जानती है . देश के न्यायलय इस सरकारी लीपा पोती से संतुष्ट होने वाले नहीं हैं , और न ही देश की प्रबुद्ध मीडिया ! आगे आगे देखिये होता है क्या !
२. दूसरी खबर जो मुख्य पृष्ठ के हासिये वाली कोलम में छपी है - बाबा रामदेव के आन्दोलन के दौरान पुलिस की लाठी से घायल राजबाला ने दम तोडा . खबर ये नहीं है , खबर ये है कि दिल्ली के जी बी पन्त हस्पताल ने राजबाला के बेटे को उनकी मेडिकल रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया है . मेडिकल रिपोर्ट में ये लिखा है कि राजबाला हस्पताल में लायी गयी थी जब उनके मेरुदंड के c -४ और c -५ के भाग में हड्डी टूटने और हड्डी के विस्थापित होने के कारण उन्हें वहां भर्ती किया गया था . उनके बेटे अनिल कुमार मलिक का कहना है कि उनकी माता की पीठ पर पुलिस ने लाठी से प्रहार किये थे . सर्कार इस घटना को ये रंग देना चाहती है कि राजबाला भीड़ में कुचल कर घायल हुई थी . मुद्दा ये भी भ्रष्टाचार का ही है . इस भ्रष्टाचार में शामिल दिल्ली की शीला दीक्षित की सरकार है. अगर ये रिपोर्ट अनिल कुमार को मिल जाती है तो ये सिद्ध करना बहुत मुश्किल नहीं होगा कि राजबाला की चोट एक लाठी के प्रहार से ही संभव है . हस्पताल की धृष्टता यहाँ तक है कि वो अनिल कुमार से कह रहें हैं कि हम तो ये रिपोर्ट तुम्हे नहीं देंगे चाहो तो आर टी आई के माध्यम से मांग लो .
कहाँ तक भागेगी दिल्ली सरकार अपनी पुलिस के निर्मम करतूतों से !
३. तीसरी खबर उत्तर प्रदेश के चंदौली स्थित यु पी - बिहार सीमा पर बने आर टी ओ - चेक पोस्ट की है . जैसी कि सारे देश के चेक पोस्टों की सर्व विदित परिपाटी है , आर टी ओ विभाग के लोग हर माल वाहक ट्रक से घूस लेते हैं . यहाँ भी ऐसी ही घटना हुई . अगर गाडी का ड्राइवर अनंत कुमार गाडी रोक कर परम्परानुसार घूस के पांच हजार रुपैये दे देता तो ये घटना नहीं घटती . आर टी ओ दफ्तर के सभी लोगों ने अनंत का पीछा किया और उसे धर दबोचा . उसके पैसा देने से मना करने पर उसे पीट पीट कर वहीँ मार डाला .
इस स्तर का भ्रष्टाचार सरकार को क्यों नहीं दीखता , जब की देश की पचास लाख माल वाहक गाड़ियाँ रोज २ या ३ चेक पोस्टों पर ये रिश्वत देने के लिए बाध्य है . कार्यवाही इस लिए नहीं होती , क्योंकि इस लूट का पैसा हाई वे पर खड़े आर टी ओ विभाग से एकत्र होकर ऊपर मंत्री स्तर तक पहुँचता है .
४. और अंत में एक छोटी सी प्रेस क्लिप - दिल्ली में एशियन डेवलपमेंट बैंक और ओर्गेनिजेसन फॉर इकोनोमिक को ओप्रेसन एंड डेवलपमेंट ने मिल कर भ्रष्टाचार पर २८ देशों की एक कोंफेरेंस आयोजित की है- इसी महीने की २८ और २९ तारीखों को . इस वर्कशॉप में टीम अन्ना को भी आमंत्रित किया गया है .
समझ में नहीं आता की देश के नीचे से लेकर ऊपर तक के ढाँचे में व्याप्त भ्रष्टाचार का मुकाबला एक टीम अन्ना कैसे और कितने दिनों तक करेगी .
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