नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Sunday, September 25, 2011

अमीर या गरीब

भारत की जनसँख्या ताजा गणना के अनुसार है १२१.०९ करोड़ . इसमें से ६५ % लोग ३५ वर्ष की आयु के नीचे हैं . करीब ५०% लोग २५ वर्ष की आयु के नीचे हैं . ७२. २० % जनता देश के ६.३८ लाख गाँव में  रहती है ; बाकि बची हुई  २७.८ %  जनता ५४८० शहरों में रहती है . कुल जनसँख्या का ७५.९६ % साक्षरता की सीमा में है , बाकि सभी निरक्षर . 

१२१ करोड़ की जनसँख्या में आयकर देने वालों की संख्या इस प्रकार है -

२००६-०७ - ३.१९ करोड़ 
२००७-०८ - ३.२८ करोड़ 
२००८-०९ - ३.३४ करोड़ 

इस गति के अनुसार आयकर देने वालों की वर्तमान संख्या ज्यादा से ज्यादा ३.५० करोड़ होगी . वास्तव में ये संख्या पैन कार्ड धारकों की है , इसमें वो लोग भी शामिल हैं जो आयकर से मुक्त हैं .

प्लानिंग कमीशन के दिए गए आंकड़ों के अनुसार गरीबी रेखा के नीचे की जनसँख्या है - ४०.७४ करोड़. यानि वो लोग जो रोज का औसत ३० रुपैये से भी कम कमाते हैं .

आइये अब इन सभी आंकड़ों का निचोड़ निकालें .

१. भारत की ३३.६५ प्रतिशत जनता रोज ३० रुपैये से  भी कम कमाती है .

२. भारत की २.८९ प्रतिशत इतना कमाती है की उन्हें आयकर विभाग में दर्ज होना पड़ा .

३. भारत की ३६.५४ जनता इतना कमाती है की वो गरीबी रेखा के ऊपर है , लेकिन इतना नहीं कमाती की आयकर में दर्ज होने की सीमा में आती है .

मित्रों इन सब आंकड़ों का निष्कर्ष ये है की सिर्फ २.८९ % जनता इज्जत के साथ अपना और अपने परिवार का गुजर बसर करती है , बाकी सारा देश अपना जीवन कैसे चला रहा है उसकी कल्पना आप स्वयं कर लीजिये . हमारे सरकारी आंकडें देश की कितनी भी आर्थिक प्रगति को दर्शाते रहें , लेकिन वास्तविकता ये है की मुट्ठी भर लोगों के अलावा ये देश एक विशाल गरीब जनसमूह का देश है .   

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