नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Wednesday, August 24, 2011

याद है फिल्म गाइड ?

कल से फिल्म गाइड याद आ रही है . देव आनंद साहब की एक जबरदस्त फिल्म ! जब जब समाचारों में देखता हूँ , अन्ना के उपवास का कल नौवां और आज दसवां दिन - मुझे वो फिल्म याद आती है . फिल्म का नायक राजू पहुँच जाता है एक गाँव में . राम राम की चादर ओढ़े गाँव के एक मंदिर के पास बैठा होता है तो लोग धीरे धीरे उससे जुड़ने लगते हैं . पूरे गाँव के लोगों को लगने लगता है की उनकी सारी समस्याओं का हल है, उस अलग किस्म के स्वामीजी के पास . राजू यानि स्वामीजी को मुकाबला करना पड़ता है, गाँव के पंडों से जो गाँव को धर्म की आड़ में डरा कर अपना उल्लू सीधा किया करते थे . स्वामीजी उन्हें शास्त्रार्थ में भी हरा देते हैं . गाँव के पण्डे सोचने लगते हैं कि ये व्यक्ति तो उनकी जड़ें ही काट देगा .

तभी गाँव में सूखा पड़ता है . पानी बिना सारी खेती सूखने लगती है . गाँव भूखा मरने लगता है . गाँव के पण्डे इस मौके का फायदा उठा कर गाँव वालों के मन में ये बात बिठा देते हैं कि अगर स्वामीजी गाँव के लिए अनशन करेंगे तो बरसात हो सकती है . गाँव वालों का इतना दृढ़ विश्वास देख कर स्वामीजी अनशन पर बैठ जाते हैं . उनका ये उपवास लम्बा होता चला जाता है . देश विदेश की मीडिया उनके दर्शन करने और कराने के लिए गाँव आती है . आखिर राजू यानि स्वामीजी प्राण त्याग देते हैं , और उसी क्षण आसमान पर बादल घिर आते हैं , और जोरदार बरसात शुरू हो जाती है .

वो तो एक फिल्म थी , एक काल्पनिक कहानी ! लेकिन आज जो देश में घट रहा है वो काल्पनिक नहीं है . ७३ वर्ष के अन्ना भ्रष्टाचार के खिलाफ एक लड़ाई लड़ रहें हैं देश के ठेकेदारों से जो आजादी के ६४ वर्षों के बाद भी देश को ग़ुलाम बनाये हुए है . सरकार सारे हथकंडे अपना रही है , फिर एक बार बेवक़ूफ़ बना कर इस आन्दोलन को समाप्त करने की . बाबा रामदेव का आन्दोलन इसी तरह ख़त्म कर दिया गया था . बाबा अकेले लड़ना चाह रहे थे , इसलिए कहीं चूक गए ; लेकिन अन्ना की नजर एकटक उनके लक्ष्य की तरफ है ; बाकी सारी बातें करने के लिए उनके पास एक बहुत समझदार और मजबूत टीम है . और उससे भी बढ़ कर पूरे देश में उठी हुई समर्थन की लहर है .

प्रधानमंत्रीजी ! ये गाइड फिल्म नहीं है . यहाँ स्वामीजी मरेंगे नहीं . मरेगी आपकी सरकार ! समय रहते चेत जाएँ वर्ना ये जन लहर आपको तथा आपकी सरकार को न जाने कहाँ बहा ले जायेगी . जो जनता आपकी संसद को चुनती है वही जनता आप को कुर्सी से हटा भी सकती है . राजनीति को वेश्या बनाने वाले भ्रष्टाचार को विदा कीजिये .

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