प्रधानमंत्री ने कहा की इस वक़्त हमें जरूरत है आपसी समझ बूझ और अपने ऊपर लगाम लगाने की वर्ना देश की सुरक्षा और अखंडता को खतरा है । कुछ लोग देश में गड़बड़ी फ़ैलाने की कोशिश कर रहें हैं , ताकि हमारी प्रगति रुक जाये । हम ऐसा नहीं होने देंगे ।
प्रधानमंत्रीजी जनता ने बहुत कुछ समझ बूझ लिया है । लगाम भी बहुत लम्बे समय तक लगा चुकी । सही है कुछ लोग देश में गड़बड़ी फ़ैलाने की कोशिश कर रहें हैं , उनमे से कुछ तो तिहाड़ चले गए, लेकिन बहुत सारे अभी भी संसद में बैठें हैं । अगर आपका इशारा स्वामी रामदेव और अन्ना हजारे जैसे देश भक्तों की तरफ है तो आप की सोच ग़लत है । ये लोग आज के समय के क्रन्तिकारी हैं , सच्चे देशभक्त हैं । प्रगति का अर्थ तो सिर्फ उन लोगों की ही प्रगति है , जो शासन के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार करते हैं । काश आप ऐसा नहीं होने देते ।
प्रधानमंत्री ने कहा - समय है व्यक्तिगत और राजनैतिक फायदों से ऊपर उठ कर देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर एकमत होने का ।
जनता का कौन सा व्यक्तिगत और राजनैतिक फायदा है, महामहिम ! एकमत होने का परिणाम भुगत चुकें हैं रामलीला मैदान में ।
प्रधानमंत्री ने माना की भ्रष्टाचार देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा है , लेकिन भ्रष्टाचार पर बहस इस प्रकार नहीं होनी चाहिए जिससे प्रगति के रास्ते में रुकावट आये । उन्होंने कहा की भ्रष्टाचार का मुद्दा हमारे आत्मा विश्वास को कहीं बिगाड़ ना दे !
प्रधानमंत्रीजी , इन सब बातों का क्या अर्थ है जरा खुल के बताते तो अच्छा होता । आपने अपने भाषण में अपनी सात सालों की उपलब्धियों का भी हवाला दिया , क्या अगले बचे हुए साल उसी प्रकार की उपलब्धियों का नंगा नाच देखे ये देश ? आत्म विश्वास जनता में तो बढ़ा ही है , लेकिन आपकी यू पी ऐ सरकार का आत्म विश्वास गिरा है ।
प्रधानमंत्री ने कहा - हम एक बहुत ही मजबूत लोकपाल का निर्माण चाहते हैं जो ऊंचे बैठे लोगों के भ्रष्टाचार की भी जांच पड़ताल कर सके । उन्होंने कहा की भूख हड़ताल और अनशन आदि से कोई लाभ नहीं । इन्होने कहा की न्यायपालिका की स्वायत्ता को कम नहीं किया जाना चाहिए । उन्होंने ये भी कहा उनकी सरकार भ्रष्टाचार को मिटने और सरकारी खरीद फरोख्त में कम करने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है लेकिन सरकार के पास कोई जादुई छड़ी नहीं है .
बहुत खूब ! प्रधानमंत्री के आदरणीय स्थान से इतना बड़ा झूठ स्वीकार्य नहीं । आपकी सरकार के लोकपाल बिल की धज्जियाँ तो पूरे देश में उड़ चुकी हैं । औरों की जाने दीजिये आप ने तो अपने आप को भी लोकपाल के दायरे में रखने की हिम्मत नहीं दिखाई । आपकी सरकार द्वारा उठाये हुए क़दमों को तो देश झेल ही रहा है । अगर १२१ करोड़ लोगों का दिया हुआ अधिकार ही कोई जादुई छड़ी नहीं है तो क्या अधिकार है आपकी सरकार को इस देश पर शासन करने का ?
प्रधानमंत्रीजी ! लाल किले से दिया हुआ आपका भाषण आपके दिल की कही हुई बातें नहीं थी । सरकारी वक्तव्य ही था । आम आदमी से आप दूर होते जा रहें हैं । अपनी सरकार की छवि को जनता के बीच जाकर पहचानिए । आपके प्रवक्ता टी वी पर एक हारी हुई लड़ाई लड़ते ही नजर आते हैं । ऐसे माहौल में आप भाषण लाल किले से दें या क़ुतुब मीनार से - एक ही बात है !
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