नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Wednesday, August 17, 2011

किंकर्तव्य- विमूढ़ सरकार

तमाशा शुरू हुआ था प्रधानमंत्री के १५ अगस्त के भाषण से ! प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण में सारा जोर लगा दिया था ये बताने में की सरकार अपनी तरफ से पूरा जोर लगा रही है भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए ।प्रधानमंत्री जी के भाषण को पूरे २४ घंटे भी नहीं हुए थे की सरकार का असली चेहरा सामने आ गया ।

अन्ना हजारे ने अपने पिछले अनशन तोड़ने के समय से ही घोषणा कर दी थी की अगर सरकार ने लोकपाल बिल में ईमानदारी नहीं दिखाई तो १६ अगस्त से उनका अनशन फिर शुरू हो जाएगा । इस से ज्यादा लम्बी सूचना शायद सरकार को कोई दे भी नहीं सकता था । कमिटी के नाम पर सरकार के मंत्रियों ने अन्ना और उनकी टीम का मजाक उड़ाया सरकार की नीयत किसी भी क्षण साफ़ नहीं थी ।

अन्ना की टीम ने देश को सिखाया की प्रजातंत्र में किसी मुद्दे पर कैसे लड़ा जाता है । एक दिन भी ऐसा नहीं गया जब लोकपाल बिल के विषय में टीम अन्ना ने कहीं ना कहीं अपने विचार नहीं दिए हों । मीडिया ने भी अन्ना के विचारों का प्रसारण किया क्योंकि उनकी बात में सच्चाई थी । अरविन्द केजरीवाल जैसे सुलझे हुए लोगों ने सरकारी लोकपाल को जोकपाल बताते हुए उस बिल की खामियों को उदाहरणों के साथ मीडिया में रखा । सरकार के पास किसी भी स्थिति में उनके दिए गए उदाहरणों का कोई जवाब नहीं था ।

कल १६ अगस्त की सुबह दिल्ली पुलिस ने अन्ना हजारे को उनके दिल्ली के निवास से ही गिरफ्तार कर लिया । अरविन्द केजरीवाल, किरण बेदी और शांतिभूषण को भी गिरफ्तार कर लिया गया । मानसिक रूप से दिवालिया हो चुकी सरकार का ये आत्मघाती कदम उनके लिए कितना भारी पड़ रहा है ये पूरा देश देख रहा है । कल शाम होते होते देश के हर शहर में जनता सड़क पर उतर चुकी थी । तिहाड़ जेल के बाहर हजारों लोगों का जमावड़ा अन्ना के समर्थन में रात भर बैठा रहा । शाम होते होते सरकार के उग्र तेवर एक किंकर्तव्य विमूढ़ स्थिति में बदले नजर आये । किरण बेदी और शांतिभूषण को बिना किसी सफाई के छोड़ दिया गया । अन्ना की रिहाई का कोर्ट का आदेश लेकर सरकारी नुमाइंदा तिहाड़ पहुंचा । सरकार ने सोचा की दिन भर तिहाड़ में रहने के बाद शायद अन्ना चुपचाप बाहर आ जायेंगे । लेकिन ऐसा हुआ नहीं । अन्ना ने शर्त रख दी की वो तब तक तिहाड़ के बाहर नहीं आयेंगे जब तक सरकार उन्हें लिखित में इस बात का आश्वाशन नहीं देती की उन्हें अपना अनशन बिना किसी शर्त के दिल्ली में करने देगी ।

सरकार अन्ना की शर्तों के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंस गयी है .अन्ना की शर्तों को मानना सरकार के लिए थूक कर चाटने के सामान होगा । ना मानने का मतलब है देश में अन्ना के आन्दोलन को बढ़ने देना । एक टी वी चैनल ने बहुत बढ़िया हेड लाइन लिखी - अन्ना ने सरकार को गिरफ्तार किया ।



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