नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Wednesday, July 28, 2010

क्या आप विश्वास करते हैं - ज्योतिष में ?

क्या आप विश्वास करते हैं - ज्योतिष में ? मेरा अगला प्रश्न होगा -अगर हाँ तो क्यूं ? मैं तो समझ नहीं पाता ज्योतिष का आधार .कैसे कोई किसी के हाथ को देख कर उसके भविष्य के बारे में बता सकता है ? कैसे कोई जन्म कुंडली निर्धारित करती है किसी व्यक्ति का पूरा जीवन ? ईश्वर  ने बनाया मनुष्य को कर्म करने की स्वंत्रता देकर .तभी तो हम हमेशा उपदेश देते और सुनते हैं की हमेशा भला करो , बुरा मत करो . अगर सारे कर्म और फल पूर्व निर्धारित हैं , तो ऐसी शिक्षा का क्या तात्पर्य ?
कुछ ज्ञानी लोग समझाते हैं कि ग्रह और नक्षत्रों की अवस्था प्रभावित करती है प्रत्येक मनुष्य के जीवन को . फिर इस से जुड़ कर मेरे कुछ प्रश्न -
१. अगर प्रकृति मनुष्य को प्रभावित करती है तो फिर सब मनुष्यों को एक सा ही करेगी . अगर ठण्ड है तो सबके लिए है , अगर गर्मी है तो भी सब के लिए है ; एक एक व्यक्ति छंट छंट कर प्रभावित कैसे होगा.
२. ग्रह  नक्षत्रों की वर्तमान अवस्था निकाल  पाना कैसे संभव है ? आप कहेंगे विज्ञानं ने ऐसी मशीने बना ली है जिससे उसे हर गृह की आज की अवस्था (लोकेसन ) पता चल सकती है . मेरा कहना है - की एक एक ग्रह और नक्षत्र पृथ्वी से लाखों करोड़ों प्रकाश वर्ष की दूरी पर है . एक प्रकाश वर्ष का अर्थ हुआ वो फासला जो प्रकाश की एक किरण तय करती है पूरे एक बरस में . अंदाज लगा सकते हैं ये कितना फासला हुआ . प्रकाश की गति है १,८६,२८२ मील प्रति सेकण्ड . यानि एक प्रकाश वर्ष दूरी का अर्थ हुआ - १,८६,२८२ x ६० x ६० x २४ x ३६५ मील . यानी अगर एक प्रकाश की किरण एक  जनवरी को चलती है तो पृथ्वी तक पहुंचेगी अगली एक जनवरी को उसी समय .यानी की जो अवस्था हम देखेंगे वो अवस्था होगी एक वर्ष पूर्व की ना कि आज की .

ये गणना तो थी एक प्रकाश वर्ष पूर्व दूरी पर स्थित एक नक्षत्र की . लाखों करोड़ों प्रकाश वर्ष दूरी पर स्थित सितारों की आज की स्थिति हमें पता चलेगी लाखों करोड़ों वर्षों के बाद ही. 

बड़ा जटिल लगता है ना ये सब . इतने बड़े ब्रह्माण्ड में एक एक व्यक्ति का भविष्य बता पाना , वो भी उसी ब्रह्माण्ड के सहारे, मेरी दृष्टि में असंभव  है. आप कि प्रतिक्रिया , सहमती, असहमति दोनों का स्वागत है . जरूर लिखें .  

4 comments:

  1. िआस्था के आगे कुछ असम्भव नही\ लोगों ने भगवान को नही देखा फिर भी सारी दुनिया उसे मानती है। अगर तकदीर नाम की चीज़ न होती तो भी सब लोग एक जैसे होते एक जैसे हालात होते । ऐसा क्यों है कि एक तरह से काम करने पर भी दो व्यक्तिओंको एक जैसा फल नही मिलता। लोगों के सुख दुख का आधार क्या है? बात वहीं पर आ कर रुकती है कि आस्था आदमी को जीने के लिये आशा देती है। ज्योतिश एक विग्यान है जिस पर कोई शोध नही हुया बल्कि गलत लोगों के हाथ आने से इसका दुरुपयोग हुया ह। जो कुछ साँईस आज बता रही है हमारे रिशियों मुनिओं ने बहुत कुछ पहले वेद ग्रंथों मे लिख रखा है मगर कुछ विदेशी और स्वार्थी तक़कतों ने इस विद्या को तहस नहस कर दिया। धन्यवाद्

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  2. निर्मलाजी . सबसे पहले तो आपका धन्यवाद की आपने अपनी प्रतिक्रिया दी. आपने चर्चा की - आस्था की , तकदीर की और भगवान की ; यहाँ तक आपकी बात से मैं सहमत हूँ ; लेकिन फिर आपकी बात भी वहीँ आ के रुक गयी . आपने लिखा की- "ज्योतिश एक विग्यान है जिस पर कोई शोध नही हुया बल्कि गलत लोगों के हाथ आने से इसका दुरुपयोग हुया ह।"
    वो वस्तु विज्ञान नहीं होती जिस पर शोध न हुआ हो . दुरुपयोग तो भरपूर है . ज्योतिष आज के युग के हताश मनुष्य को यथार्थ से दूर अलग कारन बता रहा है असफलता के.उसे दूर करने के शोर्ट कट उपाय.कुछ लोगों की दूकान इसी तरह चलती है .भविष्यवाणी अकर्मण्यता के अलावा कुछ नहीं दे सकती .

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  3. महेन्‍द्र जी नमस्‍कार

    बहुत बहुत आभार कि आपने दो सवाल उठाए। आपके दोनों सवालों के जवाब में मेरे पास दो सवाल हैं। सर्दी गर्मी एक जैसी है कि फिर सब पर अलग अलग प्रभाव कैसे पड़ता है। परसों मैं और मेरी पत्‍नी स्‍वीमिंग पूल में तैरने के लिए गए। मेरी पत्‍नी नियमित रूप से जाती हैं और कभी बीमार नहीं पड़ी लेकिन मैं एलर्जी का शिकार हो गया। चिकित्‍सक ने कहा कि ब्‍लीचिंग पाउडर से मुझे एलर्जी हो सकती है। दो दिन लगे ठीक होने में, दो इंसानों पर एक ही पानी का अलग अलग प्रभाव यह कैसे

    दूसरा सवाल कि लाखों साल पहले रवाना हुई प्रकाश की किरण मुझ तक कल भी पहुंची और आज भी पहुंच रही है और भी पहुंचेगी। यानि एक लाख साल और एक दिन पहले जो चली थी वह मुझ तक कल पहुंची और ठीक एक लाख साल पहले चली वह आज पहुंची और निन्‍यानवे हजार नौ से निन्‍यानवे साल और तीन सौ तिरेसठ दिन पहले चली वह कल पहुंचेगी। रश्मियां तो मुझे नियमित रूप से मिल रही है। शायद इन्‍ही रश्मियों का आंकलन कर महज कुछ हजार साल पहले सांख्यिकी आंकड़ों से ज्‍योतिष के योग बनाए गए होंगे। आपका क्‍या कहना है...

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  4. भाई सिद्धार्थजी ,
    सबसे पहले तो मेरी प्रशंसा और धन्यवाद स्वीकार करें ; क्योंकि आप के रूप में मुझे कम से कम एक प्रबुद्ध पाठक मिला जिसने मेरे तर्क की गहराई तक जाकर मेरे प्रश्नों के उत्तर ढूँढने की कोशिश की. आपके चिंतन के लिए साधुवाद .

    मेरे पहले प्रश्न के रूप में आपका पहला प्रश्न! सर्दी गर्मी एक जैसी है लेकिन लोगों के शरीर पर उसका भिन्न प्रभाव क्यों? मित्र, सर्दी अगर १० डिग्री सेल्सिअस की है तो आपके और मेरे लिए वही दस डिग्री है . प्रभाव भी दोनों पर सामान पड़ता है , लेकिन परिणाम अलग अलग हो सकते हैं - जो की निर्भर सर्दी पर नहीं हैं, वो निर्भर हैं हमारी शारीरिक शक्ति या दुर्बलता पर . इसलिए प्राकृतिक प्रभाव अपने आप में तो एक ही होगा हर स्थिति में, उसके परिणाम होंगे व्यक्तिगत वर्तमान स्थिति के अनुसार . शारीरिक परिणाम तो फिर आंके जा सकते हैं - व्यक्ति की नब्ज और लक्षण देख कर ; लेकिन भविष्य में आने वाले सुख दुःख,जीवन मृत्यु , संतान ,धन, विरह मिलन - ये सारी बातें कौन से विज्ञानं के सहारे बता पाना संभव है. यदि कोई बता पाता है तो दो ही बात संभव है- या तो वो हेड या टेल में से एक चुन रहा है , जिसके परिणाम ५०% सही होने की सम्भावना है . और या फिर मनुष्य की सत्ता से दूर कोई दैविक शक्ति उसके पास है . और ये है हमारे विश्वास का सस्पेंस अकाउंट , जिसमे हम भारत वासी ज्यादा गहरे जाने में विश्वास नहीं करते .

    अब मेरे दुसरे सवाल के रूप में आपका दूसरा सवाल. आपका तर्क था- "एक लाख साल और एक दिन पहले जो चली थी वह मुझ तक कल पहुंची और ठीक एक लाख साल पहले चली वह आज पहुंची और निन्‍यानवे हजार नौ से निन्‍यानवे साल और तीन सौ तिरेसठ दिन पहले चली वह कल पहुंचेगी। रश्मियां तो मुझे नियमित रूप से मिल रही है। शायद इन्‍ही रश्मियों का आंकलन कर महज कुछ हजार साल पहले सांख्यिकी आंकड़ों से ज्‍योतिष के योग बनाए गए होंगे।"
    मित्र , आपने तो सिर्फ वही बात बताई जो विज्ञानं ने नक्षत्रों की दूरी बताने की प्रक्रिया में कही है .हमारे ज्योतिष को तो आपने फिर विश्वास के सस्पेंस अकाउंट में डाल दिया .रश्मियों के पहुँचने का आकलन करने वाला कोई एक ग्रन्थ तो हो , जो हमें यह बताये की भविष्य वाणी का आधार यह आकलन है .हमारा आकलन तो बड़ा सीधा सरल एक सोफ्टवेयर है जिसमे आप चंद जानकारी - जैसे की जन्म समय, जन्म तिथि और जन्म स्थान डालते हैं - और तुरंत आपके पास आ जाता है एक भविष्य वक्तव्य .

    जरूरी नहीं की मेरा सोचना बिलकुल सही है ; लेकिन मेरा यह सोचना कि कम से कम हर विषय पर सोचना बहुत जरूरी है, बिलकुल सही है .आप क्या कहते हैं?

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