नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Wednesday, July 21, 2010

कश्मीर समस्या






दो थी पडोसने - भारती और पाकीजा . दोनों के घरों के चारों तरफ बगीचे थे .दोनों को अलग करने के लिए थी एक बाड़. भारती के बगीचे में बहुत सारे फूल खिले थे. बाड़ के पास भी बहुत सारे गुलाब के फूल खिले थे .फूलों की डालियाँ बाड़ के ऊपर भी लहराती थी. उन फूलों को देख कर पाकीजा का मन बहुत ललचता था . लेकिन वो फूल उसके नहीं थे इस लिए वो इन्हें पा नहीं सकती थी.

एक दिन सवेरे सवेरे पाकीजा ने भारती से झगडा मोल ले लिया .पाकीजा ने दावा किया कि दोनों के ससुर-मित्रों ने ये जगह मिल कर खरीदी थी .बाद में जब दोनों के पतियों ने जगह का बंटवारा किया तो बीच कि रेखा जरा गलत खींच दी गयी , जिसके फलस्वरूप गुलाब के पौधे जो उसके हिस्से में आने चाहिए थे , वो भारती के हिस्से में चले गए . भारती ने कहा जो काम बुजुर्ग कर के चले गए उस पर अब कोई प्रश्न खड़ा करने का लाभ नहीं. लेकिन पाकीजा किसी भी तरह समझने को तैयार नहीं थी.इस प्रकार दोनों पड़ोसनो के संबंधों में खिचाव आने लगा .ये अवस्था काफी महीनों तक चली.

पाकीजा को जब कोई फायदा होता हुआ नहीं दिखा तो उसने अपने बच्चों के द्वारा रात के समय भारती के गुलाबों को तहस नहस करने का षडयन्त्र रचा. अगले दिन सुबह जब भारती ने उठ कर अपने बगीचे कि दुर्दशा देखी तो उसने पाकीजा को आवाज दे कर बुलाया और शिकायत की.पाकीजा ने साफ़ इनकार कर दिया की ये काम उसके बच्चों का नहीं है. भारती ने आस पास के घरों में भी इस व्यवहार की चर्चा की. लेकिन पाकीजा के रुख में कोई बदलाव नहीं आया. इस तरह की घटनाएँ फिर होती रही , जिसके कारण उनकी आपस की बोलचाल करीब करीब बंद हो गयी.

बड़े बुजुर्गों ने दोनों को समझाया की पडोसी हो , आपस के रिश्ते ठीक रखो , दोनों के लिए अच्छा रहेगा. लेकिन जब भी बात चीत का माहोल बनता पाकीजा गुलाब के पौधों के अपने पुराने झगडे को लेकर बैठ जाती. इसलिए आपस की बोलचाल बंद ही रही. बच्चे जो कभी आपस में एक दूसरे के घर खेलने जाते थे, उनका आपस में आना जाना बंद हो गया. छोटे मोटे झगडे भी होने लगे .

एक दिन तो हद हो गयी . भारती और उसके पति किसी काम से बाहर गए थे .पीछे से पाकीजा के बच्चे हाकी की स्टिक लेकर आ गए . आकर उन्होंने सारे घर में तोड़ फोड़ की . भारती के बच्चों को मारा , लहू लुहान कर दिया . सारे पौधों को तहस नहस कर दिया . जब भारती घर लौटी तो घर की दुर्दशा देखी.भारती का मन गुस्से और आक्रोश से भर गया .भारती ने अपने पति मोहन से बात की और कहा की आप को अब पाकीजा के ऊपर कार्यवाही करनी पड़ेगी. उसका कहना था की या तो आप सीधे चढ़ाई कर दें , जैसा की वो लोग करते हैं , या फिर कोई पुलिस की कार्यवाही करें .

मोहन ठन्डे स्वभाव के आदमी हैं . उन्होंने समझाया , लड़ाई झगडे से कुछ नहीं होगा . धीरे धीरे बात चीत से सब सुलझ जायेगा . आपस का मामला है इसलिए पुलिस वैगरह बुलाना भी ठीक नहीं है . इन सब बातों को वर्षों बीत चुके हैं .पाकीजा और उसके बच्चों की बदमाशियां वैसे ही जारी है. भारती अकेले में बैठ कर रो लेती है.मोहन अपने ठन्डे स्वभाव के साथ बुढ़ापे की और बढ़ रहें हैं.

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