नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Monday, June 6, 2011

ये कैसी सरकार !

रामदेव बाबा का आमरण अनशन शुरू भी हुआ और समाप्त भी . ३ जून से ५ जून की सुबह तक में एक ऐसी दास्ताँ लिखी गयी , जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया .
एक साधु बस साधु ही होता है, राजनैतिक हथकंडों को कभी समझ नहीं पायेगा . जिस दिन अन्ना हजारे और उनकी लोकपाल समीति के सामान्य समाज के सदस्यों ने जिद पकड़ी की प्रधानमंत्री और न्याय पालिका भी लोकपाल के कार्यक्षेत्र में आने चाहिए ; उस दिन बाबा रामदेव ने सिर्फ इतना कह दिया की इस विषय पर सामाजिक स्तर पर खुल कर चर्चा होनी चाहिए . बस इस वाक्य को ब्रह्मास्त्र बना कर UPA  सरकार ने दोनों भ्रष्टाचार विरोधी खेमों में फूट डालना शुरू कर दिया . बाबा को जरूरत से ज्यादा महत्व दिया जाने लगा ताकि अन्ना वाली समीति का वर्चस्व कम किया जा सके .
बाबा रामदेव ने अपने उपवास की घोषणा एक महीने से कर रखी थी. इस बात को पूरा देश जानता था . और जब २ तारीख को बाबा अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत दिल्ली पधारे तो हवाई अड्डे पर उनसे मिलने के लिए सरकार के  उच्चतम नेतृत्व के मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी , श्री कपिल सिब्बल , श्री सुबोधकांत सहाय और श्री पवन बंसल . उनका मकसद था की बाबा को मन कर उनका अनशन स्थगित करवा लिया जाए . अनशन तो स्थगित नहीं हुआ , लेकिन कांग्रेस की इस बेचैनी को मीडिया ने पूरे जोर से उछाला . सरकार दबाव में आ गयी .
३ जून को बाबा और उनके हजारों समर्थकों ने डेरा डाला रामलीला मैदान में . एक भव्य पंडाल बनाया गया था , इस पंडाल में आराम  से बैठने  के लिए पंखे आदि की व्यवस्था  की गयी थी , बाबा के समर्थकों द्वारा . दिग्विजय सिंह जैसे जले भुने लोग इसे फाइव स्टार अनशन का नाम दे रहे थे , जैसे की भूख के अलावा गर्मी झेलना भी कोई आवश्यक  अंग हो किसी सत्याग्रह  के !

शाम होते होते भीड़ बढ़ कर एक लाख के करीब हो गयी . मीडिया के माध्यम से लोगों की बातचीत प्रसारित हो रही थी , जिससे मालूम पड़ रहा था की इस महान अभियान में शामिल होने के लिए पूरे देश से लोग जमा हुए थे . हर व्यक्ति जागरूक था बाबा के आन्दोलन के मुद्दों के बारे में . शाम से पहले ही फिर सरकार ने बाबा से मिलने की इच्छा जाहिर की . इस बार मिलने का स्थान चुना गया होटल क्लारिजेस . सरकारी हथकंडों को न समझते हुए बाबा पहुँच गए मिलने को , साथ में ले गए अपनेआन्दोलन के महामंत्री बालकृष्ण को . वहां मिले उन्हें वही दिग्गज कपिल सिब्बल और सुबोध कान्त सहाय . बाबा रामदेव सरकार से बातचीत के दो जरूरी नियम नहीं जानते थे . पहला ये की सरकार जो कहती है उसे सतही तौर पर ही लें और दूसरी ये सरकार से हर वादे को लिखित में और मीडिया के सामने करवाएं. इस मामलें में उन्हें अन्ना हजारे का अनुसरण करना चाहिए था . कपिल सिब्बल ने उन्हें मौखिक आश्वाशन दे दिया की उनकी सारे बातें मान ली जायेंगी लेकिन उन्हें भी ये आश्वाशन देना पड़ेगा , की उसके बाद बाबा अपना उपवास तोड़ देंगे . फरक ये था का कपिल सिब्बल का आश्वाशन मौखिक था , लेकिन बाबा का आश्वाशन लिखित रूप में लिया गया , उनके महामंत्री बालकृष्ण के हस्ताक्षर के साथ . बहाना ये बताया गया की प्रधानमंत्री जी को लिखित आश्वाशन दिखाने के बाद ही सरकारी सहमति औपचारिक रूप  से लिखित पत्र के रूप में   मिलेगी . बाबा आ गए झांसे में . उसके बाद उन्होंने बाबा पर ये दबाव डाला की वो मीडिया के सामने घोषणा करें की उनकी सारी बातें सरकार ने मान ली है . इस पर बाबा ने शर्त रखी की पहले सरकारी पत्र लाकर दीजिये उसके बाद ही वो कोई घोषणा करेंगे. 
अगर सरकार की मंशा ठीक होती तो उसी रात सरकारी सहमति का पत्र बन भी जाता और बाबा रामदेव तक पहुँच भी जाता और अगले दिन की सुबह शुरू होने वाला उपवास अभियान टल जाता; यही सरकार की कुटिलता नजर आती है . अगले दिन कपिल सिब्बल ने एक तरफ तो फोन पर बाबा से ये बात की की आपकी सारी बातें मान ली गयी है , और उसके ठीक बाद प्रेस कांफेरेंस में दिखा दिया वो हस्तलिखित पत्र जो पिछले दिन बालकृष्ण जी से लिखवाया गया था . योजना थी बाबा को बदनाम करने की की बाबा ने तो ३ जून को ही उनसे समझौता कर लिया था लेकिन ४ जून का सत्याग्रह एक दिखावा मात्र था . उधर बाबा फिर एक बार कपिल सिब्बल की फोन पर की हुई बातों के झांसे में आ गए , और घोषणा कर दी की सरकार ने उनकी सब बातें मान ली है ; तब तक उन्हें ये नहीं पता था की वहां दूसरी तरफ कपिल सिब्बल प्रेस कांफेरेंस में उन पर क्या आरोप लगा रहे थे .
कोई सरकार से ये  प्रश्न क्यों नहीं पूछता ;
१.अगर किसी व्यक्ति की मांग पर सरकार कोई समझौता करती है तो पत्र सरकार की तरफ से होता है न की उस व्यक्ति की तरफ से जो अपनी मांगों को लेकर आन्दोलन कर रहा है .  
२. अगर कोई समझौता भी होता है तो उस पत्र पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर होतें हैं , न की मात्र उसके जिसने मांग रखी है .
३. पत्र को ही आधार मान लिया जाए तो ऐसा उसमे क्या लिखा था जिससे बाबा पर किसी अपारदर्शिता का आरोप लगे . पत्र में यही तो लिखा था की उनकी जो मांगे हैं , वो सरकार मानने को तैयार है , और अगर वो मानने की प्रक्रिया को पूरी कर देती है तो उनका आन्दोलन २ दिनों में ख़त्म हो जाएगा . क्या ये बात वो पूरे एक महीने से नहीं कह रहे थे .
सरकार ने एक योगी साधु को धोखा दिया . जो आन्दोलन सरकार की सहमति से दोनों पक्षों के लिए सन्मान पूर्ण  तरीके से समाप्त हो सकता था , सरकार ने उसको स्वतंत्र भारत के सबसे घ्रणित अध्याय के रूप में परिवर्तित कर दिया . शायद जालियांवाला बाग़  से भी ज्यादा शर्मनाक !  जेनरल डायर और उसकी पूरी फ़ौज अंग्रेजी शाशन के आदेश का पालन करते हुए निहत्थे  लोगों पर गोली बरसा रही थी; लेकिन दिल्ली पुलिस के कमिश्नर साहब और उनकी पांच हजार लोगों फ़ौज तो स्वतंत्र भारत के सेवक हैं , जिनकी पगार देती है भारत की १२१ करोड़ जनता . उन्हें किसने आदेश दिया था रात के डेढ़ बजे से आधी बजे तक वो भूखे प्यासे , थके हुए नींद में बेहाल एक लाख लोगों पर अपना कहर बरसायें . बाबा रामदेव जैसे लोकप्रिय सन्यासी को जबरदस्ती उठाकर दिल्ली से बेदखल कर दें .
पूरे रविवार के दिन , ५ जून को देश के सारे टीवी चेनल निरंतर दिखाते रहे बाबा और उनके समर्थकों पर हुए अत्याचार को , देश के नेताओं और आम आदमियों की दुहाई को - लेकिन प्रधानमंत्री में हिम्मत नहीं थी , दो शब्द दिलासा और क्षमा याचना के टीवी पर कह देते . प्रधानमंत्री छोड़ो , केंद्रीय सरकार का कोई मंत्री तैयार नहीं था देश का सामना करने को . दिग्विजय सिंह जैसे घटिया व्यक्ति को खुला छोड़ दिया सरकार ने लोगों के घाव पर नमक छिड़कने के लिए .
बाबा ! तुम्हारा आन्दोलन सफल हुआ . तुमने तो बीड़ा उठाया था काले धन को विदेशों से वापस देश में लाने का ; लेकिन सरकार ने तो खुद रास्ता  बना दिया इन काले अंग्रेजों की सरकार के पतन का . बाबा , तुम आज के युग के चाणक्य हो ! जुटे रहो ! देश तुम्हारे साथ है !         

4 comments:

  1. Baba Ram-Dev se m pahile sah-mat nahi tha.....pr in Ramleela kand aur uske baad ki bak-waad n mujhko Baba aur Anna k paale m la diya h.....jo aaj choop h......wahi desh k gaddaaar h......desh congress ko to maaf nahi karega

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  2. The fight against corruption, from across the border is changed qualitatively, 'SAVE DEMOCRACY' being the new slogan. RAMDEV'S FOLLOWERS must be congratulated for sticking to the YOGA principles of NON-VIOLENCE. They have passed the first test with flying colours, the fight is NOT EASY, even if they fail once , they should remember loosing some battles cant stop them FIGHTING THE WAR AGAINST CORRUPTION ,HUNGER......
    Fighting corruption is symbolic. When a corrupt CVC is appointed to save ????? Bofors case is given burial, Bhopal is ancient history . Supreme court interferes in Hasan ali case .Symbols become a wind of change.....

    When it is war, no one wins everyone looses, some claims they have won. Remember world war 1 , which culminated in world war 2,which created atom bomb and Hirosima....AND a nuclear holocaust is waiting to happen? The afgan war then 9/11 then war with Taliban.....wind becomes storm and may be a TWISTER CYCLONE, WHICH none can control....TOOLS are democratic, non violence is the INDIAN mantra. It took 15 yrs. for RTI act, which gives some transparency ,wind of RTI has become storm of LOKPAL, TWISTER of RAMLILA GROUND, now CYCLONE IS COMIN

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  3. Well narrated the situation. Problem with our country is that when it comes to voting , the thinkers do not go for voting and others vote for their cast or community. People like Shiv Khera are rejected when they try. Our options become between Mr. A and Mr.B and the basis becomes who is less bad. A total reform in the democratic system is needed.

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  4. The corruption is a word only, KUSAASAN is what describes today , when CVC was rejected by supreme court, either chidambaram or manmohan should have resigned, But not a single congressman protested.This is what worries people. Power corrupts and absolute power corrupts absolutely.DMK WAS IN CENTRAL GOVT since 1996 with one or two year in 2003-4 . and see what they have done. Indian politics suffer more from the family rules than any other ills. See Lalu,Karunanidhi.Indira and Abdulla Thakres Pawar vs Modi ,Nitish, Hegde even achyutanand.

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