नील स्वर्ग

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प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Saturday, June 4, 2011

बाबा रामदेव का आमरण अनशन


  मई को जब बाबा रामदेव ने घोषणा की कि ठीक एक महीने बाद यानि कि जून से वो भ्रष्टाचार  के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर आमरण अनशन करेंगे ; तो मीडिया ने उस बात को महत्व नहीं दिया . कुछ चैनेलों ने तो बहुत ही घटिया टिपण्णी की; कुछ ने कहा की अन्ना हजारे ने सारा श्रेय ले लियाइस लिए बाबा अपने आप को उपेक्षित अनुभव कर रहें हैं . लेकिन इस एक महीने के समय में बाबा ने पूरे देश में घूम घूम कर अपने आन्दोलन पर और अपने घोषित अनशन पर अपने श्रोताओं में जागृति पैदा की. भ्रष्टाचार और खास कर विदेशों में जमा भारतीय काले धन को लेकर बाबा का आन्दोलन कोई एक महीने का नहीं  है, ये आन्दोलन पिछले एक डेढ़ वर्षों से लगातार चल रहा है . बाबा अपने योग शिविरों में हजारों और टीवी के माध्यम से लाखों लोगों को संबोधित करते हैं . उनके कार्यक्रमों में भाग लेने वाले लोग जानते हैं कि योग और प्राणायाम के अलावा बाबा अपने व्याखानों में चर्चा करते हैं - सामाजिक तथा राजनैतिक सुधारों  की .

इस एक महीने में मीडिया ने सारी अटकलबाजी लगा ली. मीडिया ने यहाँ तक कह दिया की अब सामाजिक प्रतिनिधियों  में दो खेमे बन गए हैं - एक लोकपाल बिल वाला अन्ना हजारे का और दूसरा समग्र भ्रष्टाचार विरोधी रामदेव वालाकांग्रेस की सरकार ने मौके का फायदा उठा कर अपनी पुरानी राजनीति - बांटो और राज करो वाली - खेलने के लिए कपिल सिब्बल , पवन बंसल और सुधीर सहाय जैसे दिग्गजों को भेजा .उन्हें पटाने के लिए सारे प्रलोभन दिए गए ; बाबा टस से मस नहीं हुए. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंघजी ने एक प्रेमपत्र लिखा की बाबा अनशन वन्शन छोड़ो , और कोई काम की बात करो .  बाबा अपने कार्यक्रम से पीछे नहीं हटे . मीडिया से उन्होंने कह दिया - अन्ना हजारे और उनके आन्दोलन में कोई फर्क नहीं है . अन्ना ने आन्दोलन का एक पक्ष हाथ में लिया - लोकपाल बिल वाला , जिसमे वो अब तक सफल हैं . जब की उनकी मांगे कई हैं , जिस पर वो सरकार का सिर्फ आश्वाशन नहीं बल्कि कार्यक्रम चाहते हैं . आखिर बाबा क्या चाहते हैं ?   बाबा की मांगे इस प्रकार हैं -

. भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं को मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान  
. बड़े मूल्य वाले करेंसी नोटों ( १००० और ५०० रुपैये ) के नोटों का निषेध
. विदेशी बैंकों में जमा अरबों रुपैये का कला धन तत्काल रह्स्त्रिया सम्पति घोषित किया जाए और उसे वापस देश के काम में लाने के लिए सारे प्रयास किया जाए
. लोकपाल बिल को पूरी तरह मजबूत बना कर अगस्त २०११ तक लागू किया जाए
. सरकार को तुरंत यूनाइटेड नेशन कन्वेंसन अगेंस्ट करप्सन के अंतर्राष्ट्रीय मसौदे पर हस्ताक्षर कर के उसके प्रावधानों को देश में लागू करना चाहिए
. अंग्रेजी राज की चल रही सारी प्रथाओं और अंग्रेजी भाषा के प्रभुत्व को समाप्त किया जाना चाहिए
. प्रधान मंत्री का चुनाव सीधे देश के मतदान से होना चाहिए
. सभी राजनेताओं को प्रत्येक वर्ष अपनी आमदनी और सम्पति का ब्यौरा देना चाहिए; की    केवल चुनाव के वक़्त
. आयकर सम्बन्धी जानकारी मांगने का अधिकार राईट टू इनफोर्मेसन के अंतर्गत लाया जाना चाहिए

अब सरकार के सामने सबसे बड़ी मुश्किल ये है की इनमे से कौन सी मांग को अनुचित ठहराए . उधर अन्ना हजारे ने अपना समर्थन बाबा रामदेव के अनशन में शामिल होने की बात कह कर और देकर  सरकार का रहा सहा हथियार भी छीन लिया. दुनिया के एक बहुत प्रसिद्द गुरु श्री रविशंकर जी ने भी रामदेवजी की मांगों को उचित बताया है , हालांकि आमरण अनशन पर उनके विचार थोड़े भिन्न है .

जहाँ समझदार आदमी या तो समझदारी से बात करता है , या फिर चुप रहता है , वहीँ मूर्ख व्यक्ति अपनी राय देने के उतावलेपन में कुछ भी कह डालता है . ऐसे ही एक प्रवक्ता हैं कांग्रेस के - श्री दिग्विजयसिंह . जहाँ एक तरफ कांग्रेस बाबा रामदेव की मुनव्वल के सारे रास्ते ढूंढ रही है , वहीँ ये महा पुरुष टीवी पर धमकी दे रहें हैंकी  अगर कांग्रेस इन हथकंडों से घबराती तो बाबा रामदेव अब तक जेल में होते . उन्हें ये नहीं मालूम की बाबा जैसे जनप्रिय आदमी को जेल में भेजने का क्या असर होगा ! खैर , सरकार ने समझदारी से काम लेते हुए अपने सभी नेताओं का मुंह बंद कर दिया है इस विषय  पर. एक और हमारे बहुत ही लोकप्रिय अभिनेता श्री शाहरुख़ खान जी भी बोल पड़े - की हर व्यक्ति को अपने काम पर ही ध्यान देना चाहिए और नेता बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. अपने काम पर या कमाई पर पूरा ध्यान देने वाले शाहरुख़ बुरा वक़्त पड़ने पर अपने मित्रों को भी पहचानने से इनकार कर देते हैं , जैसा उन्होंने बेचारे करीम मोरानी के साथ किया; ऐसे व्यक्ति को अपना मुंह बंद रखना चाहिए था . जहाँ तक नेता बनने या बनने का सवाल है , तो उन्हें पता होना चाहिए की किसी भी राजनेता से बड़े नेता हैं बाबा रामदेव . सारे नेता सिर्फ अपने चुनाव क्षेत्र से ही जीतने की क्षमता रखते हैं , जब की बाबा रामदेव ने पूरे देश को अपनी सोच का भक्त बना दिया है . है कोई एक भी राजनेता इस देश का जिसमे ये कहने की शक्ति हो की जब वो अपने आमरण अनशन पर बैठेंगे तो पूरे देश में एक करोड़ हिन्दुतानी उनके साथ उपवास पर बैठेंगे !

समय  गया है बाबा और अन्ना  जैसे लोगों के साथ मैदान में उतरने का . यही लोग हैं जो इस देश को कलमाड़ी , राजा और मारण जैसे भ्रष्ट नेताओं के हाथ लुटने से बचा सकते हैं .  




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