नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Monday, June 9, 2014

ऐसे होते हैं अच्छे दिन !

मोदी जी ने कहा था - अच्छे दिन आने वाले हैं ! पूरा देश कह रहा है - अच्छे दिन आने वाले हैं ! लेकिन अच्छे दिन कैसे होंगे , आम आदमी के जीवन में उसका क्या प्रभाव होगा - आइये इसकी चर्चा करें !

 अपनी ही बात करता हूँ।  मेरा ट्रांसपोर्ट सेवा का व्यापार है।  व्यापार में अपने ग्राहकों को उधार देना पड़ता है। मेरा एक ग्राहक एक बहुत बड़ी कंपनी है ,  सरकारी और निजी क्षेत्र के लिए बड़े बड़े कारखाने और अन्य प्रकल्प लगाती है।  हमारी सेवा उसमे लगती है , उनकी बड़ी बड़ी मशीनों और अन्य वस्तुओं का परिवहन करने में।  २०११ से उन्होंने मेरा भुगतान बंद कर दिया , २०१२ से मैंने उन्हें सेवाएं देना बंद कर दिया। जब काफी कोशिशों के उपरांत भी पैसा नहीं मिला , तो मैंने अदालत का दरवाजा पकड़ा। मैंने अपने मूल धन के अलावा ब्याज का भी दावा कोर्ट में कर दिया।

अदालतों में फैसले बहुत समय लेते हैं।  मेरा मुक़दमा भी मंथर गति से चल रहा है।  दो दिन पहले मेरे पास मेरे ग्राहक के दफ्तर से फोन आया और उन्होंने मुझे बात चीत के लिए बुलाया। उनके सर्वोच्च अधिकारी ने मुझसे मुलाकात की।  सबसे पहले उसने मुझसे क्षमा मांगी  और कहा की उनकी कंपनी शर्मिंदा है की इतने लम्बे समय से वो पैसा नहीं दे पा रही थी।  उसने मुझे अपने कारण  बताये . कारण  ये था की उनके कई बड़े बड़े प्रकल्पों में उनका पैसा फंस गया था ,  उन्हें  ग्राहकों से पैसे नहीं मिले थे।  उनके ग्राहकों के पैसे न देने का कारण  था , कांग्रेस सरकार का पर्यावरण मंत्रालय , जिसने बहुत आगे बढ़ चुके प्रकल्पों पर पर्यावरण के नाम पर पाबंदी लगा दी थी। लेकिन अब स्थिति बदल रही थी ;  प्रकल्प आगे बढ़ने लग गए थे।  ग्राहकों से पैसे मिलने शुरू हो गए थे , इसलिए वो चाहते थे की हमारे पैसे भी कुछ किस्तें बना कर चुका  दिए जाएँ। उन्होंने मुझसे ब्याज और मूल में  भी कुछ छूट मांगी।  मैंने पैसों  की आशा में उनकी बात मान ली।  एक दस्तावेज बन गया , जो अदालत में पेश करके केस को समाप्त करने का निर्णय हो गया।

 इतना ही नहीं उन्होंने मुझसे सेवाएं पुनः शुरू करने का अनुरोध किया , जिस पर मैं विचार कर रहा हूँ।

और कैसे होते हैं अच्छे दिन ?

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