नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Wednesday, June 4, 2014

एयर इंडिया

अच्छा समय आने वाला है ; मोदीजी की आशावादिता पूरे भारत पर भले ही लागू हो सकती है , लेकिन एयर इंडिया पर नहीं।  '  हम नहीं सुधरेंगे '- के सिद्धांत पर अडिग है एयर इंडिया ! आप सोचेंगे की बिना मौसम बरसात की तरह मैं क्यों आज एयर इंडिया के पीछे पड़ा हूँ।  लीजिये मेरा ये अनुभव पढ़िए और फिर आप तय कीजिये कि कौन किसके पीछे पड़ा है .

कुछ दिनों  पहले एक कॉन्फरेंस के लिए चेन्नई गया था। अगले दिन शाम को वहां से हैदराबाद जाना था।  मेरे बच्चों की मुझे सख्त हिदायत दे रखी है कि कोई  टिकट न मिले तो यात्रा रद्द कर देना लेकिन एयर इंडिया से मत जाना। लेकिन मैंने अपनी मूर्खता का सहारा लेते हुए इस लिए एयर इंडिया की टिकट खरीद ली थी , क्योंकि वो दूसरी एयर लाइन से काफी  सस्ती थी। मैंने सोचा की यात्रा पूरी होने के बाद बच्चों को बताऊंगा कि तुम्हारी बात न मान कर मैंने कितने पैसे बचाये।

एयरपोर्ट पहुँच कर चेक इन किया तो पता चला की फ्लाइट अपने निर्धारित समय ५ बज कर २० मिनट पर उड़ने वाली है। ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।  मन ने कहा - आखिर अच्छे दिन आ गए हैं। समय पर बोर्डिंग की घोषणा हो गयी। बस में बैठ कर जब विमान के पास पहुंचा तो पूरा विश्वास  हो गया की अब सब कुछ सही चल रहा है। हमसे पहले एक और हमारे बाद एक और यात्रियों से भरी बस आकर खड़ी  हो गयी. बस यहीं से शुरू हो गयी वही पुरानी वही कहानी - एयर इंडिया स्टाइल।

१५-२० मिनट तक खड़े रहने के बाद भी किसी ने आकर बस का दरवाजा खोलने का निर्देश नहीं दिया।  एयरपोर्ट के अंदर की बसों में बैठने   सिर्फ ८-१० सीटें ही होती है , बाकी २०-३० यात्री किसी तरह से फंस कर  खड़े रहते हैं। लगातार एक ही स्थान पर इतनी देर  तक खड़े खड़े लोगों का गुस्सा बढ़ना शुरू हुआ।  स्थिति को भांप कर एक वयोवृद्ध महिला ( एयर इंडिया में सभी वयोवृद्ध ही होते हैं ) बस में आई , उसने कहा - प्लेन में कोई टेक्नीकल स्नैग होने की वजह से ये विलम्ब हो रहा है।  मैंने कहा - मैडम , क्या बोर्डिंग की घोषणा करने के पहले आपके यहाँ टेक्नीकल चेक पूरी करने का प्रावधान नहीं है। दुसरे अगर ऐसी  समस्या है तो यात्रियों को इस प्रकार अमानवीय तरीके से बसों में भर कर रखने का क्या औचित्य है। देवीजी ने आश्वासन दिया कि दस मिनट के अंदर समस्या दूर हो जायेगी और सब से शांति बनाये रखने का अनुरोध किया। दस मिनट में समस्या तो नहीं सुलझी लेकिन देवीजी ने घोषणा कर दी की ये विमान अब नहीं जाएगा , इस लिए सभी को वापस टर्मिनल बिल्डिंग में जाना है।

वहां पहुँच कर कहा गया की आप अपने बोर्डिंग पास नए ले लेवें।  विकल्प की व्यवस्था होने पर ले जाया जाएगा। यह भी कहा गया कि जो यात्री न जाना चाहें , अपनी टिकट कैंसल करवा सकते हैं। मैं असमंजस में था तभी घोषणा हुई की यह यात्रा अब रात  ९ बजे होगी। यह सुनकर मैंने मन बना लिया की अब नहीं जाना इस विमान में। ९ कह रहें हैं बाद में फिर कितना और विलम्ब कर दें। मैंने पता किया दूसरी एयरलाइंस में। हैदराबाद जाने वाली सभी फ्लाइट जा चुकी थी। मैंने सोचा की अब चेन्नई में होटल का पैसा चुकाने से अच्छा है , की अपने घर मुंबई चलें।  एक बहुत महंगी टिकट मिली स्पाइस जेट में। वो लेकर मैं गया एयर इंडिया के काउंटर पर। मैंने कहा मेरी टिकट कैंसल कर दीजिये , और मेरा सामान वापस मंगवा दीजिये।

देवीजी ने कहा - आप क्यों कैंसल करना चाहते हैं , अब हमारा विमान ठीक हो गया है और थोड़ी देर में उड़ सकेगा। मैंने अपना सर पीट लिया. मेरी स्पाइस जेट की टिकट कैंसल होने की सीमा के बाहर  थी। मैंने गुस्से में कहा - देवीजी , आप लोग खुद नहीं जानते की आप क्या कर रहें हैं। मेहरबानी करके मुझे मुक्त कर दीजिये।  बड़ी मुश्किल से मेरा सामान वापस लाया गया।

कैसे किसी यात्रा को एक अभूतपूर्व कटु अनुभव के रूप में बदला जाए - इस पर महारत हासिल है - एयर इंडिया को।  मैंने हमेशा के लिए मेरे बच्चों की बात मान ली है - भर पाये एयर इंडिया से !


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