रक्षा बंधन - एक ऐसा दिन जो याद दिलाता है हर भाई को अपनी बहन की रक्षा करने के कर्तव्य का ! एक ऐसा दिन जब एक बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँध कर जताती है अपना विशवास अपने भाई की शक्ति में ! क्या भाई सिर्फ वो होता है जो उसका अपना सहोदर हो ; या फिर वो जो उसकी रक्षा करे भाई की तरह !
भ्रष्टाचार का प्रेत पूरे देश को निगल रहा है . पहले इसके निवाले होते थे छोटे छोटे , लेकिन अब ये अजगर बहुत जल्दी में है सब कुछ खा जाने के लिए . सत्य वो नहीं है जो मिडिया हमें दिखने की कोशिश कर रही है ; सत्य वो भी नहीं जो बहुत से तथाकथित बुद्धिजीवी टेलीविजन के वातानुकूलित स्टूडियो में बैठ कर बताते हैं ; सर्कार जो बताती है उसमे सत्य का कोई अंश तक नहीं है . सत्य ये है की चार देशभक्त - अन्ना , अरविन्द, गोपाल और मनीष सिसोदिया अपने प्राणों की बाजी लगाकर एक क्रांति लाने का प्रयास कर रहें हैं , इस देश में . मिडिया को जब कोई दूसरा कारण नहीं मिलता , उन लोगों के खिलाफ कुप्रचार का , तो ये इल्जाम लगाते हैं की उनका कोई छिपा हुआ राजनैतिक अजेंडा है . काश कोई राजनैतिक अजेंडा ही होता , कम से कम इस देश के भ्रष्ट राज नेताओं के सामने कोई देशभक्त तो खड़ा होता चुनौती लेकर .
आज रक्षा बंधन के दिन मैं आह्वान करता हूँ देश की तमाम बहनों का कि आपके चार भाई दिल्ली के जंतर मंतर पर बैठे हैं , अनशन पर - सिर्फ आपकी और हम सब की रक्षा के लिए . जाइए और उन सब की कलाइयों पर बांधिए राखियाँ अपनी भावना को साकार रूप देने के लिए . आपकी राखियों से जहाँ उन सेनानियों को बल मिलेगा , वहीँ देश के तमाम भाइयों को मिलेगी प्रेरणा इस महायज्ञ में आहुति देने की ! और डरेगी ये सरकार जो भ्रष्ट नेताओं का बचाव करने में लगी है .
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