नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Tuesday, July 3, 2012

कृष्ण लीला - एक लघु कथा

किशन अपने ड्राइंग रूम में टेलीविजन के  चैनल पर भजन सुन रहे थे . वाचमैन ने आकर कहा की कोई आपसे मिलने आये हैं . किशन ने झल्ला कर पुछा - ' नाम तो पूछते कि  कौन है !' बेमन से उठ कर किशन दरवाजे पर आये .सामने एक गरीब आदमी मैली कुचैली जींस पहने खड़ा था ; कई दिनों की बढ़ी हुई दाढ़ी  थी .

किशन ने कहा - ' यस ? क्या काम है ?'

आगंतुक दो पल एकटक किशन को देखता रहा और फिर बोला - ' किशन भैया , नहीं पहचाना ? मैं हूँ सुदामा ! सुदामा शर्मा , तुम्हारा होस्टल का मित्र ! '

किशन ने तुरंत पहचान लिया , एक बार चमक सी उठी उसकी आँख में ; लेकिन दूसरे  ही पल चेहरा बदल    गया . किशन ने कहा - ' आई डोंट रिमेम्बर एनी सुदामा ! सॉरी !' - ये कह कर गेट बंद कर लिया .

अन्दर से रुक्मिणी आई . बोली - ' कौन था जी ?'

किशन ने कहा - ' पता नहीं ; नौकरों का दोस्त होगा कोई ! मैंने कह दिया की ये समय नौकरों से मिलने का नहीं है . '

और इस तरह आज के समय की कृष्ण लीला समाप्त हुई !

 

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