किशन अपने ड्राइंग रूम में टेलीविजन के चैनल पर भजन सुन रहे थे . वाचमैन ने आकर कहा की कोई आपसे मिलने आये हैं . किशन ने झल्ला कर पुछा - ' नाम तो पूछते कि कौन है !' बेमन से उठ कर किशन दरवाजे पर आये .सामने एक गरीब आदमी मैली कुचैली जींस पहने खड़ा था ; कई दिनों की बढ़ी हुई दाढ़ी थी .
किशन ने कहा - ' यस ? क्या काम है ?'
आगंतुक दो पल एकटक किशन को देखता रहा और फिर बोला - ' किशन भैया , नहीं पहचाना ? मैं हूँ सुदामा ! सुदामा शर्मा , तुम्हारा होस्टल का मित्र ! '
किशन ने तुरंत पहचान लिया , एक बार चमक सी उठी उसकी आँख में ; लेकिन दूसरे ही पल चेहरा बदल गया . किशन ने कहा - ' आई डोंट रिमेम्बर एनी सुदामा ! सॉरी !' - ये कह कर गेट बंद कर लिया .
अन्दर से रुक्मिणी आई . बोली - ' कौन था जी ?'
किशन ने कहा - ' पता नहीं ; नौकरों का दोस्त होगा कोई ! मैंने कह दिया की ये समय नौकरों से मिलने का नहीं है . '
और इस तरह आज के समय की कृष्ण लीला समाप्त हुई !
किशन ने कहा - ' यस ? क्या काम है ?'
आगंतुक दो पल एकटक किशन को देखता रहा और फिर बोला - ' किशन भैया , नहीं पहचाना ? मैं हूँ सुदामा ! सुदामा शर्मा , तुम्हारा होस्टल का मित्र ! '
किशन ने तुरंत पहचान लिया , एक बार चमक सी उठी उसकी आँख में ; लेकिन दूसरे ही पल चेहरा बदल गया . किशन ने कहा - ' आई डोंट रिमेम्बर एनी सुदामा ! सॉरी !' - ये कह कर गेट बंद कर लिया .
अन्दर से रुक्मिणी आई . बोली - ' कौन था जी ?'
किशन ने कहा - ' पता नहीं ; नौकरों का दोस्त होगा कोई ! मैंने कह दिया की ये समय नौकरों से मिलने का नहीं है . '
और इस तरह आज के समय की कृष्ण लीला समाप्त हुई !
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