नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Saturday, February 4, 2012

भारत और चीन

मेरे पास एक सज्जन ने एक ईमेल फॉरवर्ड की  , जो की रवि वर्मा नाम के एक सज्जन ने लिखी है . उनके पत्र के चीन से सम्बंधित विचारों को मैं यहाँ उनकी ही भाषा में उद्धृत कर रहा हूँ . कारण ये है की इससे अधिक ज्ञानवर्धक भारत और चीन की नीतियों की तुलना मैंने कहीं और नहीं पढ़ी . आप भी पढ़ कर देखिये -

आदरणीय राष्ट्रप्रेमी भाइयों और बहनों  
अभी वालमार्ट का मामला चल रहा था (है) और मैं कई बुद्धिजीवियों के विचार पढ़ रहा थासुन रहा था,देख रहा था उसमे कुछ बाते जो समान रूप से मुझे देखने को मिली वो थी कि "बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हमें Quality Products मुहैया कराती हैं"दूसरा कि "चीन में भी तो वालमार्ट है वहाँ कौन सा पहाड़ टूट पड़ा है"आदि आदि आज मैं इसी विषय पर कुछ तथ्य उन बुद्धिजीवियों के साथ-साथ आम लोगों के समक्ष लाने की कोशिश कर रहा हूँ 
चीन और विदेशी पूंजी निवेश 
चूकी Quality Products की सूचि थोड़ी लम्बी हैइसलिए मैं पहले चीन से ही शुरू करता हूँ - चीन में भी विदेशी कंपनियाँ निवेश करती हैं लेकिन वो वहाँ से भारत की तरह पूँजी उठा के सीधे अपने देश में नहीं ले जा सकतीं मान लीजिये कि किसी कंपनी ने वहाँ अगर 100 करोड़ रूपये का मुनाफा कमाया तो चीन की सरकार क्या करती है कि उस कंपनी को 100 करोड़ रूपये का अपना उत्पाद पकडाती है और कहती है कि जाओ विश्व बाजार मेंऔर इसको बेच के आओ और 100 करोड़ रुपया हमें वापस करो और उसके बाद ये 100 करोड़ रुपया तुम ले जाओ जो तुमने यहाँ से कमाया है अमेरिका की सरकार अपने उद्यमियों के सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहती है और बिल क्लिंटन जब राष्ट्रपति थे तो पूरा दल-बल लेकर चीन गए कि इस तरह के नियम को बदलवा देलेकिन हुआ कुछ नहींउल्टा चीन की सरकार ने बिल क्लिंटन को थ्येन-आन-मन चौक पर ले जाकर खड़ा कर दिया और कहा कि "झुको और सलाम करो" और क्लिंटन ने वो सब किया जो एक अमेरिकी राष्ट्रपति को नहीं करना चाहिए था और इसी थ्येन-आन-मन चौक को लेकर अमेरिका और यूरोप ने चीन पर बहुत दबाव बनाया था आप चीन जायेंगे तो देखेंगे कि वहाँ के लोग गोरी चमड़ी वालों से मिलना तो दूरबात तक करना पसंद नहीं करतेलेकिन ये बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए मजबूरी होती है क्योंकि इतना बड़ा बाजार जो उन्हें मिला है,इसलिए वालमार्टजो कि अमेरिका की कंपनी हैउसके दुकानों में भी चीन के समान भरे रहते हैं |आपके पास (भारत के पास) कौन सा उत्पाद है जो आपसे वालमार्ट खरीदेगा आपने तो भारत के बाजार काव्यापार कायहाँ उत्पन्न होने वाले कृषि उपज का सत्यानाश कर दिया है और भारत सरकार की हिम्मत नहीं है कि ऐसा कानून बना दे इस देश में विदेशी कंपनियों के लिए इन्होने तो विदेशी कंपनियों को यहाँ से पैसे बाहर भेजने के लिए पता नहीं कितने कानूनों को बदला चीन भारत से दो साल बाद आजाद हुआ यानि 1949 में और चीन कभी भी GATT का सदस्य नहीं रहासाल 2000 के बाद वह इसका सदस्य बना और अपनी शर्तों पर बना चीन की सत्ता देशभक्त लोगों के हाथ में है और भारत की सत्ता ????????? तो चीन के उदारीकरण का भारत के उदारीकरण से तुलना करना सबसे बड़ी मुर्खता होगी भारत के लोग चाहे जितनी गाली दे ले चीन कोउनके शासन तंत्र को जितना उल्टा सीधा कह लीजियेअपने लोकतंत्र का जितना झूठा गुणगान कर लीजिये लेकिन सच्चाई यही है भारत के लोग अपने देश की तुलना करते हैं तो पाकिस्तान सेएक कमजोर देश सेकहाँ आगे बढ़ने वाले हैं आप ?चीन पर लिखूं तो पूरा चीन-पुराण तैयार हो जायेगाइसलिए आज यहीं तक ...... 

[ इस लेख का दूसरा हिस्सा मैं एक अलग लेख के रूप में प्रस्तुत कर रहा  हूँ , जिसका शीर्षक है - टूथपेस्ट ]

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