जुलाई २७, २०११ ! मुझे आमंत्रित किया था कवि नारायण जी अगरवाल नें अपने लिखे हुए भजनों की सी डी के विमोचन के अवसर पर . मेरे लिए ये निमंत्रण और भी अधिक महत्व पूर्ण बन गया , जब मैंने देखा की भजन श्री जगजीत सिंह जी ने गाये थे .
इस्कोन के हाल में , जब विमोचन का कार्यक्रम शुरू हुआ तो देखा की कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि थे प्रसिद्द संगीतकार खय्याम साहब . स्टेज पर बैठे थे खैय्याम , जगजीत सिंह और नारायण अगरवाल . जगजीत सिंह ने माइक अपने हाथ में लिया , और घोषणा की वो किसी और को भी मंच पर बुलाना चाहते हैं . किसे बुलाना है उसका परिचय देने के लिए उन्होंने एक गीत की दो पंक्तियाँ गा कर सुनाई - " तुम अपना रंजो ग़म अपनी परेशानी मुझे दे दो .."
इसके बाद जगजीत ने कहा - मैं बुलाना चाहता हूँ , खय्याम साहब की हमसफ़र और मेरी हमनाम जगजीत कौर को . जगजीत कौर जी शरमाते हुए मंच पर आ गयी .
सचमुच जगजीत सिंह का अपना ही अंदाज था . उस दृश्य का एक थोडा अस्पष्ट विडिओ मैंने अपने ब्लैक- बेरी पर लिया था , वोमैन यहाँ अपलोड कर रहा हूँ , मेरे सभी पढने वालों के लिए .
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