नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Saturday, September 11, 2010

नेता उवाच : एक हरयाणवी लघु कथा

चुनाव की सरगर्मी जोरों पर थी . गाँव में नेता आ रहे थे जा रहे थे . हर नेता का जोरदार भाषण होता ; गाँव के भोले भाले लोग मनोरंजन समझ कर सुनने आ जाते थे .

सत्ता पार्टी के नेता ने गाँव वालों को अपनी पांच सालों की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा - "भाइयों और बहनों , म्हारी  सरकार ने आप को लगातार बिजली देने के लिए एक हैडरो पावर का निर्माण किया सै . इसमें हमने  बिना आपसे कुछ लिए,  नदी के पानी से ही बिजली  पैदा  कर दी . आपको हुआ दूना फायदा - पानी का पानी और बिजली की बिजली . .................. "

विपक्ष के नेता पधारे . उन्हें पता चला की सत्ता पक्ष ने किस पॉइंट पर गाँव वालों को प्रभावित किया था . उन्होंने उन्ही मुद्दों पर अपना भाषण कुछ यूँ दिया - " भाइयों और बहनों ! मैं आपको असलियत बताऊँगा इस भ्रष्टाचारी सर्कार की . ये कहते हैं की इन्होने नदी के पानी से आपको बिजली निकाल कर दी . तो भाइयों अगर आप दूध से मलाई निकाल लो तो क्या बचता है - निरा सफ़ेद पानी , जिसके गुण सारे निकाल गए हों . सारा माखन घी तो बाहर चला जाता है , छाछ रह जाती है. उसी तरह ये सर्कार हमारे पाणी की सारी बिजली निकाल लेती है और हमें देती है पोका पाणी . ऐसा पाणी पीकर म्हारे टाबर (बच्चे) बड़े होंगे , तो क्या होगी शक्ति उनमे और क्या होगा दिमाग . और तो और हमारी फसल जो होगी उसमे क्या बचेगा ? इसलिए भाइयों उनके झांसे में मत अइयो . ................."

और विरोधी पक्ष का उमीदवार जीत गया , हरयाणा के उस गाँव से .

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