बिंदु = व्यक्ति , एक अकेला जिसका अस्तित्व बहुत सूक्ष्म होता है
सरल रेखा = जीवन , जिसका प्रारंभ है तो अंत भी निश्चित है .
वृत = आत्मा , जिसका न कोई प्रारंभ है न अंत .
समानांतर रेखाएं = सुख और दुःख , दोनों जीवन में साथ चलती है लेकिन आपस में मिल नहीं सकती .
कोण = घर , दो रेखाएं- यानि दो जीवन जब मिलते हैं तो अपने लिए बनाते है, एक कोना, जिसे घर कहते हैं .
त्रिकोण - परिवार , दो रेखाओं से मिलती है जब तीसरी रेखा तब पति पत्नी के साथ होती है उनकी संतान ; और बनता है परिवार .तीनों रेखाओं का झुकाव आपस में कैसा भी हो लेकिन उनके तीनों कोणों का योग होगा १८० डिग्री . यानि परिवार में आपस में कितने भी परिवर्तन आयें लेकिन परिवार का प्रेम उतना ही रहने वाला है .
चतुर्भुज - वृहत परिवार - एक और सदस्य का आना परिवार के प्रेम के जोड़ को दुगुना देता है , क्योंकि चारों कोणों का योग हो जाता है ३६० डिग्री .
waowwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww
ReplyDeleteसुन्दर परिकल्पना । मानो तो सहज - सरल है जीवन बिलकुल आपकी ज्यामिति की ही तरह । मजा आ गया । शुभ कामनायें । -आशुतोष मिश्र
ReplyDelete