आइये २०१३ से २०१५ तक के परिवर्तन के परिणामों के आंकड़ों पर नजर डालें -
परिणाम सीटों के दृष्टिकोण से -
२०१३ २०१५ अंतर प्रतिशत
बीजेपी ३१ ०३ -२८ -९०.३२ %
आम आदमी २८ ६७ ३९ + १३९.२८ %
कांग्रेस ०८ ०० -०८ -१०० %
अन्य ०३ ०० -०३ - १००
इन आंकड़ों को देख कर ऐसा लगता है जैसे आम आदमी ने तो अपनी स्थिति दुगने से ज्यादा मजबूत कर ली है और अन्य सभी दल करीब करीब साफ़ हो गए हैं। लेकिन वास्तविकता ये नहीं है।
सीटें परिणाम होती है - बहुमत का। अगर दो दलों के बीच में सिर्फ एक वोट का भी अंतर हो तो उसमे से एक उस सीट का १०० % विजेता होता है और दूसरा उस सीट पर १०० % पराजित !
आइये देखें जनता ने कितना किसे समर्थन दिया और कितना किसे नकार दिया। ये तुलना मतों की गिनती के आधार पर है।
परिणाम प्राप्त मतों के दृष्टिकोण से -
२०१३ २०१५ अंतर प्रतिशत
बीजेपी ३३.०७ % ३२.१०% -०.९७ % -०२.९३%
आम आदमी ३०.०० % ५४.०० % +२४ % +८०.०० %
कांग्रेस २४.५५ % ०९.८०% - १४. ७५ % - ६०.०८ %
अन्य १२.३८ % ०४.१० % - ०८.२८ % -६६.८८ %
इन नतीजों से जो पता चलता है वो इस प्रकार है -
१. बीजेपी ने अपना मुख्य आधार बचा कर रखा लेकिन उसमे बढ़ोतरी नहीं कर पायी।
२. कांग्रेस ने अपना वोट बैंक आम आदमी के हाथों खो दिया।
३. अन्य दल जिसमे मुख्य रूप से आते हैं - बीएसपी , जेदीयु और स्वतंत्र। उनके वोटों का भी वही हुआ जो कांग्रेस के वोट बैंक का हुआ।
४. दिल्ली में मुस्लिम जनसँख्या २५ से २७ प्रतिशत है ; जो कभी भी बीजेपी को वोट नहीं देगी ।
जब पूरी दिल्ली दो खेमों में बँट गयी हो तो परिणाम तो ऐसे ही आने थे। बिजली मुफ्त ,पानी मुफ्त , अवैध निर्माण बनेंगे वैध - ऐसे नारों से सारी दलित जनता , सारे अवैध रूप से बसे बंगला देशी - पूरी की पूरी जमात आम आदमी के पक्ष में चली गयी।
ये चुनाव था - सुधार और उधार के बीच ; प्रगति और दुर्गति के बीच ; सौर बिजली और चोर बिजली के बीच तथा आत्म सन्मान और मुफ्तखोरी के बीच। दुर्भाग्य से सुधार , प्रगति , सौर बिजली और आत्म सन्मान को मुंह की खानी पड़ी।
दिल्ली को भगवान बचाये। सौभाग्य से पूरा भारत इस तरह से नहीं सोचता है।
No comments:
Post a Comment