किरण बेदी को दिल्ली के चुनाव में ला कर बीजेपी ने एक बहुत बड़ा दांव खेल दिया है। आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली में ये शायद सबसे बड़ी चनुौती होगी। दिल्ली में बीजेपी पर कई चुनावी आरोप थे। सबसे बड़ा आरोप था की दिल्ली में बीजेपी के पास कोई मुख्यमंत्री पद के लायक नाम और चेहरा नहीं है। इस शून्य का लाभ ले रहे थे अरविन्द केजरीवाल। जितने भी मुख्यमंत्री पद के लिए सर्वे हो रहे थे , उनमे अरविन्द केजरीवाल का नाम सबसे लोकप्रिय रहा था। वास्तविकता ये थी की सामने डॉक्टर हर्षवर्धन के कद का कोई नाम ही नहीं आ रहा था। अब ये कहानी बदल जायेगी। डॉक्टर किरण बेदी के नाम के साथ दिल्ली का एक स्वर्णिम इतिहास जुड़ा है। पूरा देश जानता है की किरण बेदी देश की पहली महिला आई पी एस अफसर हैं। दिल्लीवासी उस दबंग महिला पुलिस अफसर को भूले नहीं है , जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की कार को गलत पार्किंग के कारण क्रेन से खींच लिया था।
अरविन्द केजरीवाल देश के प्रकाश में आये अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी मंच के कारण। किरण बेदी अपने आप में एक हस्ती रही हैं। उनका टेलीविजन पर " आप की कचहरी " नाम के कार्यक्रम ने उनके सामाजिक न्यायाधीश के स्वरुप को पूरे देश के मस्तिष्क में स्थापित कर दिया। उनके जुड़ने से लाभ अन्ना के आंदोलन को ही हुआ था। अरविन्द ने आंदोलन की लोकप्रियता को भुना कर ' आम आदमी पार्टी ' की स्थापना की। अन्ना और किरण बेदी ने इस जन आन्दोलन को राजनीति में परिवर्तित करने का विरोध किया। इस प्रकार दिल्ली के चुनाव में भ्रष्टाचार विरोध का एकमात्र मुखौटा पहने हुए अरविन्द केजरीवाल को एक आजीवन समर्पित ईमानदार नेता का सामना करना पड़ेगा।
जहाँ अरविन्द केजरीवाल इनकम टैक्स विभाग में काम करते हुए सिर्फ विवादों से घिरे रहे , वहीँ किरण बेदी ने अपने जीवन में मैग्सेसे नाम का अंतर राष्ट्रीय स्तर का अवार्ड जीता। जेल में रहने वाले कैदियों के जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन लाने का अभियान उन्होंने शुरू किया। नवज्योत के नाम से उनके शुरू किये हुए एन जी ओ ने समाज में ड्रग सेवन के खिलाफ बहुत बड़ा मोर्चा खोला।
अगर आगामी चुनाव में केजरीवाल का सामना किरण बेदी से होता है , तो निश्चित रूप से किरण बेदी ही चुनाव जीतेंगी। दिल्ली के लोग अभी भी केजरीवाल के ४९ दिनों की सरकार को बिना कारण गिराने के अपराध को माफ़ नहीं कर पाये हैं।
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