नील स्वर्ग

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प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Tuesday, September 30, 2014

कश्मीर की विभीषिका - ईश्वर का फैसला

इस महीने कश्मीर को झेलनी पड़ी एक भयानक विभीषिका। एक बाढ़ - जिसकी कल्पना  कश्मीर वासियों ने सपने में भी नहीं की होगी। घरों के दुसरे तीसरे स्तर को जलस्तर पार कर गया।   न जाने कितने लोग मरे , न जाने कितने घर बहे ! लाखों लोगों को सेना के जवानों ने अपनी जान पर खेल कर बचाया। लाखों फंसे हुए लोगों तक सेना के विमानों ने खाद्य सामग्री को पहुँचाया। बूढ़ों, बीमारों, बच्चों और स्त्रियों को हेलीकॉप्टर से  कर उठाया गया।  एक अभूतपूर्व बाढ़ - और उतना ही अभूतपूर्व बाढ़ का मुकाबला।

जो हुआ वो बहुत बुरा हुआ।  लेकिन मैं इस घटना को एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखता हूँ। मुझे इसमें परिलक्षित  का एक बहुत बड़ा फैसला ! एक ऐसा फैसला जो भारत की आजादी  आज तक उलझा हुआ था। पाकिस्तान ने धर्म के आधार पर कश्मीरियों  एक उलझन दाल रखी  थी - की कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा होना चाहिए।   वो बार बार मांग उठाते रहें हैं की कश्मीर वालों को ये फैसला करने का मौका दिया जाना चाहिए। कल भी यू एन ओ में पाकिस्तान के राष्ट्रपति नवाज शरीफ ने अपना पुराना  राग दोहराया है की कश्मीर में प्लेबीसाईट ( स्वयंनिर्णय ) करना चाहिए।

कश्मीर के लोगों को इस बाढ़ से बहुत सी बातें सीखनी चाहिए।   ईश्वर  ने उन्हें इस बाढ़  माध्यम से कई सन्देश दिए हैं।  वो सन्देश इस प्रकार हैं -

१. घर से बेघर होने का दुःख क्या होता है - उन्हें कश्मीरी पंडितों के निष्कासन की पीड़ा समझनी चाहिए।

२. बार बार सेना की मौजूदगी से परेशान हर कश्मीरी -  इस बाढ़ में सेना के  आने की आशा में टकटकी लगाये बैठा था।  उनके प्राणों की रक्षा कर रही थी भारतीय सेना।

३. भारत की सरकार   ने कश्मीर के लिए क्या किया और पाकिस्तान की सरकार ने पाक अधिकृत कश्मीर के लिए क्या किया - ये विषय कश्मीरियों के लिए सोचने का है।

४. कश्मीर की विभीषिका  पूरे देश के सभी प्रान्त कश्मीर की सहायता   में जुट गए।  पंजाब में सिखों ने लाखों लोगों का भोजन बनवा कर प्रतिदिन भिजवाया।  मुंबई के गुजराती समाज ने समाज ने लम्बे चलने वाले थेपलों के पार्सल भिजवाये। राज्य सरकारों ने आर्थिक मदद भेजी। प्रधानमंत्री मोदी ने तो जैसे केंद्र का खजाना ही खोल दिया।

अब देखें अब देखें कश्मीर के खैरख्वाह बनने वाले हुर्रियत के नेताओं  अलगाववादी संघठनों ने क्या मदद की। आलम ये है की किसी भी  सूरत तक नजर नहीं आई कश्मीर वासियों की।  दोहरी   चाल चलने वाले ओमर अब्दुल्ला भी बहानेबाजी के अलावा कुछ नहीं कर पाये।

५. अभी तक तो मुकाबला था विभीषिका से ! अब सामने आएगी पुनर्वास की समस्या ! फिर एक बार काम आएगा उनका अपना मुल्क - भारत।

हँसता खेलता जामु कश्मीर पूरे देश की आँख का तारा  हुआ करता था।  पूरे कश्मीर की गुजर बसर  और विश्व के पर्यटकों से।  अमरनाथ यात्रा और वैष्णोदेवी  भक्त  कश्मीर की आर्थिक सम्पन्नता  बनते थे। पाकिस्तान ने क्या दिया - अशांति , आतंकवाद और अलगाव। कश्मीर का जीवन दूभर कर   दिया इस बेसिरपैर के पाकिस्तानी ख्वाब ने।


समय है हर कश्मीरी  के लिए स्थिति का जायजा लेने का और खुल कर दुनिया भर को सन्देश देने का कि



  -  कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा।








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