नए साल की पूर्व संध्या एक त्यौहार की तरह मनायी जाती है। पुराने वर्ष को विदाई तथा नए आने वाले वर्ष का स्वागत लोग करते हैं - पार्टी से , नाच गा कर, परिवार के साथ पर्यटन कर के और संगीत के साथ। मुझे याद आती है वो नव वर्ष की पूर्व संध्या जब हमने - मैं , बहन सविता , जीजाजी अशोक जी , बेला , रेणु और मेरे एक मित्र दंपत्ति पोद्दार - ने नव वर्ष का स्वागत किया ईश्वर की भक्ति के साथ।
उस वर्ष मेरे प्रिय अनुज अनिल ( फुफेरा भाई ) के शरीर में कैंसर का रोग प्रवेश कर चुका था। अनिल एक बहुत उत्साही युवक था जो जीना चाहता था। जनवरी से दिसंबर तक पूरे वर्ष उसने इस बीमारी से लड़ाई लड़ी। उस रात हम सब ने मिलकर यज्ञ किया तथा ईश्वर से प्रार्थना की कि अनिल को इस भयंकर रोग से लड़ने कि शक्ति दे और इस रोग से मुक्त कराये। जब रात के बारह बजे तो हमने उस उदास वर्ष को विदाई दी। एक नए वर्ष में प्रवेश किया कुछ नयी आशाओं के साथ।
अगले वर्ष अनिल ने जीवन के बस नौ महीने पूरे किये और उसके बाद निकल गया अपनी अगली यात्रा पर।
उस वर्ष मेरे प्रिय अनुज अनिल ( फुफेरा भाई ) के शरीर में कैंसर का रोग प्रवेश कर चुका था। अनिल एक बहुत उत्साही युवक था जो जीना चाहता था। जनवरी से दिसंबर तक पूरे वर्ष उसने इस बीमारी से लड़ाई लड़ी। उस रात हम सब ने मिलकर यज्ञ किया तथा ईश्वर से प्रार्थना की कि अनिल को इस भयंकर रोग से लड़ने कि शक्ति दे और इस रोग से मुक्त कराये। जब रात के बारह बजे तो हमने उस उदास वर्ष को विदाई दी। एक नए वर्ष में प्रवेश किया कुछ नयी आशाओं के साथ।
अगले वर्ष अनिल ने जीवन के बस नौ महीने पूरे किये और उसके बाद निकल गया अपनी अगली यात्रा पर।
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