नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Wednesday, January 23, 2013

सेवा भाव या सेवा का भाव : एक लघु कथा

श्रीमान सेवक राम सफ़र कर रहे थे रेल से . आराम से बैठे बैठे अपनी पत्नी जी सी बातें कर रहें थे - अपने सेल फोन पर। उनके पास की साइड वाली सीट पर एक सज्जन उन्हें देखे जा रहे थे . जैसे ही सेवक राम जी ने अपनी बात समाप्त की , वो सज्जन तपाक  से उठ कर आये और बोले - श्रीमानजी , मैं आप से एक मदद चाहता हूँ . मैं पिछले स्टेसन से ही चढ़ा हूँ . मुझे पता चला की शहर  में मेरे बेटे के साथ  कोई हादसा  हो गया है;इसलिए सुनते ही मैंने ये गाडी पकड़ ली . लेकिन अब मुझे बहुत बेचैनी हो रही है . क्या मैं आपके सेल फोन से वहां बात कर के पता कर  सकता हूँ की मेरा बेटा  खतरे से बाहर  हुआ कि  नहीं ?

सेवक राम जी अपने स्वभाव के अनुसार पूरी सहानुभूति दिखाते हुए बोले - ये लीजिये भाई साहब , ये कोई पूछने की बात है . सज्जन ने नंबर मिलाया और तमिल भाषा में जोर जोर से बात की . बात मुश्किल से 20-30 सेकेण्ड हुई . सेवक राम जी ने पुछा - क्या हुआ , भाई साहब ?

सज्जन ने कहा - सामने वाले ने बताया की बेटा आई सी यु में है , और डॉक्टर साहब उसके पास है ; इसलिए उन्होंने आधे घंटे बाद फोन करने को कहा है . सेवक राम ने कहा - बेफिक्र होकर आप फिर बात कर लीजियेगा . सज्जन ने दो घंटों  के दौरान 3 बार उनके  फोन का प्रयोग किया . एक बड़े स्टेसन पर वो सज्जन  सेवक राम जी के प्रति पूरी कृतज्ञता का ज्ञापन कर के उतर गए .

सेवक राम जी अपनी इस समाज सेवा से बहुत संतुष्ट थे . थोड़ी देर बाद उनके फोन पर घंटी बजी . उन्होंने उठाया तो कोई बोला  ही नहीं . एक मिनट बाद फिर घंटी बजी , फिर कोई आवाज नहीं आई . तीसरी बार घंटी बजी तो सेवक राम जी ने 3-4 घंटी बजने की प्रतीक्षा की ; तभी उन्होंने अचानक  देखा की 5-7 पुलिस वाले दौड़ते हुए डिब्बे में आये उनकी सीट के पास पहुंचे . सेवक राम जी के फोन की घन्टी  अभी भी  बज रही थी . एक पुलिस वाले ने उन्हें देखा , फिर उनके हाथ में बजते  हुए  सेल  को देखा . जोर से चिल्लाया - 'साहब मिल गया . यही है '. 

तीन चार पुलिस वाले झपट पड़े उसके ऊपर . उन्होंने सेवक राम के हाथों को कास कर पकड़ लिया . उनके पीछे से आया सिनिअर पुलिस अफसर . सेवक राम की तरफ देखा ऊपर से नीचे की तरफ . फिर उन्हें दिखाते हुए अपने हाथ के सेल फोन को दिखाया और दुसरे हाथ से उसकी लाइन काटी . उधर सेवक  राम के सेल के फोन की घंटी बजनी बंद हो गयी .

इन्स्पेक्टर ने मूछों पर ताव देते हुए कहा - बड़ी अच्छी जगह ढूंढी है साले , फिरौती की रकम मांगने के लिए . ताकि तू इस गाडी में आगे बढ़ता जाए और पुलिस तेरी खोज न कर सके . लेकिन तू बेवक़ूफ़ है , ये नहीं समझता की जब तू रेलगाड़ी से फोन करता है तो सामने वाले को भी रेल गाडी की आवाज सुनती  है . चल बच्चू , अब बता कहाँ अगवा कर के छुपाया है बच्चे को ?

ये कहते कहते 4-5 जोरदार घूंसे जमा दिए सेवक राम के शरीर पर जहाँ तहां . सेवक राम के अंदर इतनी ताकत नहीं बची थी की वो कुछ भी बता पाता  . आज सेवाभाव का भाव उसे पता चल गया .  

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