नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Saturday, September 15, 2012

हाउज दैट !

स्थिति कुछ ऐसी है ! एक पचास ओवर का क्रिकेट मैच चल रहा है। बैटिंग करने वाली टीम कुछ कर नहीं पा रही . 48 ओवर में 48 रन बने हैं . एक सिरे पर कप्तान खड़े रहने की भरपूर कोशिश में हैं , लेकिन दुसरे सिरे पर बल्लेबाजों का आवागमन जारी है . मजे की बात है सभी बल्लेबाज अजीब अजीब तरीके से आउट  हो रहें हैं . कोई हिट  विकेट हो गया , तो किसी ने सीधी  गेंद को हाथ से रोक दिया; एक का तो बाउंसर गेंद पर सर ही फूट  गया . दो बल्लेबाज तो क्रीज के बाहर जाकर मारने के चक्कर में स्टम्प आउट  हो गए . टीम के एक युवा और उदीयमान खिलाडी जिनसे बहुत उम्मीदें थी , तथा जिन्हें भविष्य का कप्तान बताया जा रहा था ; वो तो पविलियन से बाहर  आने को ही तैयार नहीं हैं . दो अन्य खिलाडियों ने पविलियन में बैठे बैठे तबियत ख़राब का बहाना बना दिया . अब ये अंतिम बची जोड़ी क्रीज पर है . गेंदबाज लगभग हर गेंद पर अपील कर रहें हैं . गेंद हर बार कप्तान के पैड से टकराती है और एल बी डब्लू की अपील होती है .दर्शक जोरों से हूट कर रहें हैं . कमेंटेटर निरंतर कोस रहें हैं कप्तान को . कहते हैं की कप्तान के हाथ पाँव ऐसे फूल  गए हैं मानो  लकवा मार गया है . विरोधी टीम इंतजार कर रही है की कब ये कप्तान आउट हो और हमारा नंबर आये .

अचानक कप्तान ने अम्पायर से एक मिनट का समय माँगा , और पानी पीने के बहाने सीमा रेखा पर  अपनी महिला मैनेजर से मुलाकात की . महिला मैनेजर ने गुस्से में बस एक वाकया कहा - हिट  आउट और गेट आउट ! कप्तान साहब वापस क्रीज पर आये . इस बार उनके तेवर बदल गए . जैसे ही एक तेज गेंद सामने से आई उन्होंने जोर से कहा - ' जो बोले सो निहाल ' और आँख मूँद कर गेंद पर जड़ दिया . और फिर यही सिलसिला चला बाकी बची हुई गेंदों पर भी . मैच अब भी चल रहा है , और लोग साँसे थामे कप्तान साहब के लौटने का इंतजार कर रहें हैं .

जी हाँ यही कहानी है - यु पी ऐ सर्कार की . लगातार दो इनिंग बैटिंग कर के कहाँ पहुंची ये सर्कार . आये दिन एक नया घोटाला ! रोज एक मंत्री आउट ! मनमोहन सिंह कहाँ तक झेलेंगे . और अब तो वो खुद कोल गेट कांड के कटघरे में हैं . उनकी नीतियों के कारण  उनके घटक दल तक उनके साथ बैटिंग करने से इनकार कर रहें हैं . युवराज राहुल की बहुत जोरों से इन्तजार हो रही थी , की सितम्बर में अवतरित होंगे और उबारेंगे  सर्कार को . लेकिन ये क्या अवतरण की जगह तो युवराज अंतर्ध्यान हो गए ! और ठीक ही है ! कौन किरकिरी करवाए ऐसी बिगड़ी हुई अवस्था में !

और इस सर्कार के अंतिम ओवर शुरू हो गए हैं पिछले दो दिनों से . महारानीजी से चर्चा के बाद प्रधानमंत्रीजी ने तेवर बदल लिए . परसों दो जोरदार छक्के  लगाने की शोट मारी - डीजल की कीमतों में 12-13 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर के ! दूसरी घोषणा रसोई घर के लिए - साल में छह सिलिंडर तो मिलेंगे पुरानी  कीमतों पर लेकिन उसके बाद के सिलिंडर मिलेंगे करीब करीब दुगनी कीमत पर . सन्देश ये हुआ , की अब आप एक दिन छोड़ कर एक दिन खाना खाएं . रोज खाने की रंगीनी चाहिए तो फिर दुगनी कीमत देने के लिए तैयार रहिये . देश चौंक गया . ये क्या हुआ ? कुछ ऐसा हो गया की अपनी इज्जत बचने के लिए महारानी पद्मिनी ने जोहर व्रत करने का फैसला कर लिया हो . मनमोहन जी के तेवर भी ऐसे ही हैं . .......साला , बहुत हो गया ............जनता गयी तेल लेने ............मरने दो सालों को !............. ममता और करुणानिधि के नाटक तो होने ही हैं ................. कौन सहेगा ..............................

फिर अगली जबरदस्त शोट लगी कल . सर्कार ने एक रुके हुए फैसले को लागु करने की घोषणा कर डाली . विदेशी निवेश - मल्टी  ब्रांड रिटेल में 51 % और उड्डयन उद्योग में 49 % तक .....................मनमोहन के तेवर और आक्रामक .................आओ सालों ...............अब आओ ..............करो विरोध ...................जब तक  सांस है लडूंगा .................चल कबड्डी ....कबड्डी ....कबड्डी .....!

अब इन सब के पीछे की राज नीति को समझे . कोल गेट में फंसी इस सर्कार का जाना तय हो चूका है . सुप्रीम कोर्ट तक ने जवाब तलब किया है . मुलायम सिंह का रवैया मुलायम नहीं रहा . ममता तो हमेशा से बौंडरी  पर खड़ी  रहती ही हैं . सबको  आगे आने वाले चुनाव दिखने शुरू हो गए हैं . सर्कार में रहने का स्वाद लेने का समय पूरा हो चूका है . सभी दलों के लिए अब समय आ गया है फिर से एक बार जनता का चहेता बनने  का। कांग्रेस ने इस बात को ताड़ लिया है . अब उसका मूड कुछ ऐसा है की - हम तो डूबेंगे सनम लेकिन तुमको भी ले डूबेंगे .

अब जब घटक और बाहर  से सहयोगी दल उनका साथ छोड़ेंगे तो उसका विषय होगा की उन्होंने कांग्रेस द्वारा लाये गए रिफोर्म्स पर सहयोग नहीं दिया, जैसा की कभी कमुनिष्टों  पर आरोप लगा था की उन्होंने सर्कार की परमाणु नीति पर साथ नहीं दिया था . कोल गेट कहीं पीछे रह जाएगा .  एक अमरीकी पत्रिका ने जो मनमोहन जी की खिल्ली उड़ाई है- ये कह के इनके निर्णय लेने की क्षमता समाप्त हो चुकी है . देश का व्यापारी वर्ग पहले से पालिसी परालिसिस की बात कर ही रहा है . कम से कम इन बड़ी बड़ी घोषणाओं से उन्होंने इन सब का मुंह बंद करने का प्रयास किया है .

लेकिन मनमोहन जी इन सब के लिए बहुत देर हो चुकी है . जनता आपसे बहुत सारे हिसाब पूछने वाली है अगले चुनावों में . लोकपाल का हिसाब , भ्रष्टाचार का हिसाब , महंगाई का हिसाब , आपके एक एक मंत्रियों का हिसाब , आपका हिसाब , आप की  खामोशी का हिसाब - और इस बार जातिवाद का ट्रंप कार्ड भी शायद काम नहीं आएगा , क्योंकि आम आदमी आपके विरोध में है चाहे किसी भी जाती का हो !

इंतजार है इस बोझिल इन्निंग के समाप्त होने का !


















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