नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Monday, February 13, 2012

पेप्सी और कोका कोला


पाठकों ,
कुछ दिनों पहले मैंने श्री रवि वर्मा की मेल का वो हिस्सा यहाँ उद्धृत किया था जिसमे कोलगेट जैसे टूथपेस्टों की सच्चाई थी . आज उनकी ही मेल से ये जानकारी पेप्सी और कोका कोला के बारे में ! बिलकुल आई ओपनर है ये लेख , पढ़िए और निर्णय कीजिये !
पेप्सी और कोका कोला 
एक पेय पदार्थ है जिसको हम कोल्ड ड्रिंक के नाम से जानते हैंइस क्षेत्र में अमेरिका की दो कंपनियों का एकाधिकार हैएक का नाम है पेप्सी और दूसरी है कोका कोला | 1990 -91 में दोनों कंपनियों का संयुक्त रूप से जो विदेशी पूंजी निवेश था भारत मेंउसे सुन कर आश्चर्य करेंगे आपदोनों ने मिलकर लगभग 10 करोड़ की पूंजी लगाई थी भारत मेंकुल जमा 10 करोड़ रुपया (डौलर नहीं) अर्थशास्त्र की भाषा में इसको Initial Paid-up Capital कहते हैं इन दोनों कंपनियों के कुल मिलाकर 64 कारखाने हैं पुरे भारत में और मैं उन कारखानों में घुमा और इनके अधिकारियों से बात कर के जानकारी लेने की कोशिश कीक्योंकि इनके वेबसाइट पर इनके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होती हैइन कंपनियों ने भारत के शेयर बाजार में भी अपनी लिस्टिंग नहीं कराई हैइनका रजिस्ट्रेशन नहीं है हमारे यहाँ के शेयर मार्केट में बॉम्बे स्टोक एक्सचेंज (BSE) या NSE में जिन कंपनियों की लिस्टिंग नहीं होती उनके बारे में पता करना या उनके आंकड़े मिलना एकदम असंभव होता है |
इन कंपनियों के एक बोतल पेय की लागत मात्र 70 पैसे होती हैआप कहेंगे कि मुझे कैसे मालूम भारत सरकार का एक विभाग है जिसका नाम है BICP, ब्यूरो ऑफ़ इंडस्ट्रियल कास्ट एंड प्राईसेसयही वो विभाग है जिसे भारत में उत्पन्न होने वाले हर औद्योगिक उत्पादन की लागत पता होती हैवहीं से मुझे ये जानकारी मिली थी आप हैरान हो जायेंगे ये जानकर कि 70पैसे का जो ये लागत है इनका वो एक्साइज ड्यूटी देने के बाद की हैयानि एक्स-फैक्ट्री कीमत है ये अगर एक बोतल 10रुपया में बिक रहा है तो लगभग 1500% का लाभ ये कंपनी एक बोतल पर कमा रही है और जब पेप्सी और कोका कोला के64 कारखानों में होने वाले एक वर्ष के कुल उत्पादन के बारे में पता किया तो पता चला कि ये दोनों कंपनियाँ एक वर्ष में 700करोड़ बोतल तैयार कर के भारत के बाजार में बेंच देती हैं और कम से कम 10 रूपये में एक बोतल वो बेचती हैं तो आप जोडिये कि हमारे देश का 7000 करोड़ रुपया लूटकर वो भारत से ले जाती हैं |
और इस 7000 करोड़ रूपये की लुट होती है एक ऐसे पानी को बेच कर जिसमे जहर ही जहर हैएक पैसे की न्यूट्रीशनल वैल्यू नहीं है जिसमे भारत के कई वैज्ञानिकों ने पेप्सी और कोका कोला पर रिसर्च करके बताया कि इसमें मिलाते क्या हैं पेप्सी और कोका कोला वालों से पूछिये तो वो बताते नहीं हैंकहते हैं कि ये टॉप सेक्रेट हैये बताया नहीं जा सकता लेकिन आज के युग में कोई भी सेक्रेट को सेक्रेट बना के नहीं रखा जा सकता तो उन्होंने अध्ययन कर के बताया कि इसमें मिलाते क्या हैं,इसमें मिला होता है - सोडियम मोनो ग्लूटामेटऔर वैज्ञानिक कहते हैं कि ये कैंसर करने वाला रसायन हैफिर दूसरा जहर है - पोटैसियम सोरबेट - ये भी कैंसर करने वाला हैतीसरा जहर है - ब्रोमिनेटेड वेजिटेबल ऑइल (BVO) - ये भी कैंसर करता है |चौथा जहर है - मिथाइल बेन्जीन - ये किडनी को ख़राब करता हैपाँचवा जहर है - सोडियम बेन्जोईट - ये मूत्र नली कालीवर का कैंसर करता हैफिर इसमें सबसे ख़राब जहर है - एंडोसल्फान - ये कीड़े मारने के लिए खेतों में डाला जाता है और ऊपर से होता है - कार्बन डाईऑक्साइड - जो कि बहुत जहरीली गैस है और जिसको कभी भी शरीर के अन्दर नहीं ले जाना चाहिए और इसीलिए इन कोल्ड ड्रिंक्स को "कार्बोनेटेड वाटर" कहा जाता है और इन्ही जहरों से भरे पेय का प्रचार भारत के क्रिकेटर औरअभिनेता/अभिनेत्री करते हैं पैसे के लालच मेंउन्हें देश और देशवाशियों से प्यार होता तो ऐसा कभी नहीं करते 

ज्यादातर लोगों से पूछिये कि "आप ये सब क्यों पीते हैं ?" तो कहते हैं कि "ये बहुत अच्छी क्वालिटी का है" अब पूछिये कि "अच्छी क्वालिटी का क्यों है" तो कहते हैं कि "अमेरिका का है" और ये उत्तर पढ़े-लिखे लोगों के होते हैं तो ऐसे लोगों को ये जानकारी मैं दे दूँ कि अमेरिका की एक संस्था है FDA (Food and Drug Administration) और भारत में भी ऐसी ही एक संस्था हैउन दोनों के दस्तावेजों के आधार पर मैं बता रहा हूँ किअमेरिका में जो पेप्सी और कोका कोला बिकता है और भारत में जो पेप्सी-कोक बिक रहा हैतो भारत में बिकने वाला पेप्सी-कोकअमेरिका में बिकने वाले पेप्सी-कोक से 40 गुना ज्यादा जहरीला होता हैसुना आपने ?  40 गुनामैं प्रतिशत की बात नहीं कर रहा हूँ और हमारे शरीर की एक क्षमता होती है जहर को बाहर निकालने कीऔर उस क्षमता से 400 गुना ज्यादा जहरीला हैभारत में बिकने वाला पेप्सी और कोक ये है पेप्सी-कोक की क्वालिटीऔर वैज्ञानिकों का कहना है कि जो ये पेप्सी-कोक पिएगा उनको कैंसरडाईबिटिजओस्टियोपोरोसिसओस्टोपिनिया,मोटापादाँत गलने जैसी 48 बीमारियाँ होगी |  

पेप्सी-कोक के बारे में आपको एक और जानकारी देता हूँ - स्वामी रामदेव जी इसे टॉयलेट क्लीनर कहते हैंआपने सुना होगा तो वो कोई इसको मजाक में नहीं कहते या उपहास में नहीं कहते हैंइसके पीछे तथ्य हैतथ्य ये कि टॉयलेट क्लीनर और पेप्सी-कोक की Ph वैल्यू एक ही है मैं आपको सरल भाषा में समझाने का प्रयास करता हूँ | Ph एक इकाई होती है जो एसिड की मात्रा बताने का काम करती है और उसे मापने के लिए Ph मीटर होता है शुद्ध पानी का Ph सामान्यतः होता है और 7 Phको सारी दुनिया में सामान्य माना जाता हैऔर जब पानी में आप हाईड्रोक्लोरिक एसिड या सल्फ्यूरिक एसिड या फिर नाइट्रिक एसिड या कोई भी एसिड मिलायेंगे तो Ph का वैल्यू हो जायेगाऔर ज्यादा एसिड मिलायेंगे तो ये मात्रा हो जाएगीऔर ज्यादा मिलायेंगे तो ये मात्रा हो जाएगीऐसे ही करते-करते ये मात्रा कम होती जाती है जब पेप्सी-कोक के एसिड का जाँच किया गया तो पता चला कि वो 2.4 है और जो टॉयलेट क्लीनर होता है उसका Ph और पेप्सी-कोक का Ph एक ही है, 2.4 का मतलब इतना ख़राब जहर कि आप टॉयलेट में डालेंगे तो ये झकाझक सफ़ेद हो जायेगा इस्तेमाल कर के देखिएगा जब हमने पेप्सी और कोक के खिलाफ अभियान शुरू किया था तो हम अकेले थे लेकिन आज भारत में 70 संस्थाएं हैं जो पेप्सी-कोक के खिलाफ अभियान चला रहीं हैंहम खुश हैं कि इनके बिक्री में कमी आयी है |  ये पूरी तरह भारत में बंद हो जाएगी अगर आप इस को बात समझे और खरीदना बंद करें |      
http://www.organicconsumers. org/Toxic/pepsi_coke_ pesticides.cfm
http://en.wikipedia.org/wiki/ Criticism_of_Coca-Cola         

Monday, February 6, 2012

आतंकवाद

 एक बहुत बड़े मैदान में एक बहुत बड़ा मंच बना हुआ था , जिस पर एक बहुत शानदार संगीत का कार्यक्रम चल रहा था . कम से कम पांच हजार व्यक्ति उस कार्यक्रम का आनंद ले रहे थे . टेलीविजन पर भी उसका सीधा प्रसारण   चल रहा था . 

श्रोताओं की भीड़ में एक व्यक्ति कुर्सी से उठ कर मुड़ गया और वापस जाते जाते एक और सज्जन के हाथ में एक कागज पकड़ा कर तेजी से बाहर निकल गया . जब उस सज्जन नें उस कागज को खोल कर देखा तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया . उस कागज पर एक वाक्य लिखा था - ' इस मैदान में एक बम रखा है जो अगले दस  मिनटों के अन्दर फट जाएगा' . उस सज्जन ने तुरंत अपने परिवार के सदस्यों को उठने के लिए कहा . उन्होंने आश्चर्यचकित   होकर पूछा 'क्यों' ?  सज्जन ने झल्लाते हुए कहा - 'सवाल मत पूछो , बस चलो '. उनका एक बच्चा था जो उठने के लिए तैयार ही नहीं था और कारण जानने की जिद कर रहा था . सज्जन ने खींच कर एक थप्पड़ लगाया बच्चे को और कहा - ' यहाँ थोड़ी ही देर में बम फटने वाला है '. 

ये सुनते ही आस पास की सीटों पर बैठे लोग भी घबरा गए . सबके मुह पर एक ही बात शुरू हो गयी - यहाँ बम फटने वाला है . और २ मिनट के अन्दर पूरे माहौल में खलबली मच गयी . आयोजकों ने पहले तो लोगों से शांति से बैठने की अपील की लेकिन जैसे ही बम का पता चला . वो लोग भी वहां से भागने की तैयारी में लग गए . टेलीविजन पर दिखाया जा रहा कार्यक्रम ब्रेकिंग न्यूज़ में बदल गया . देश के सारे चैनल इस कार्यक्रम की गड़बड़ी का आँखों देखा हाल दिखाने में जुट गए . ट्विट्टर पर लोगों की सूचनाएँ दनादन आनी शुरू हो गयी . 
पूरे शहर की फोन लाइने इस मुद्दे पर जाम हो गयी . 

पुलिस और दमकल विभाग का सारा दस्ता मैदान के बाहर जमा हो गया . उधर भागती भीड़ के अन्दर अफरा तफरी मच गयी जिससे स्टाम्पेड हो गया . लोग नीचे गिरने लगे और पीछे वाले उसके ऊपर . इस अंधाधुंध भागदौड़ में १७५ व्यक्ति मारे गए और सैंकड़ों बुरी तरह घायल हो गए . देश के गृह  मंत्री ने सबसे शांति बनाये रखने की अपील की .   

मैदान के पास ही एक होटल में बैठ कर वो व्यक्ति चाय की चुस्कियां ले रहा था जिसने वो कागज पकडाया था . कार्यक्रम में घुसने के समय मशीनों ने सबकी तरह उसकी भी चेकिंग की थी . लेकिन मशीने बम और बारूद तो पकड़ सकती है , लेकिन कागज और कलम पर कोई पाबन्दी नहीं है . वो व्यक्ति ही आतंकवादी था .

Sunday, February 5, 2012

टूथपेस्ट

 मेरी पिछली पोस्ट के दूसरे हिस्से के रूप में प्रस्तुत है भाई रवि वर्मा की ईमेल का ये दूसरा भाग जो की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों  द्वारा भारत में बेचे जा रहे तथाकथित क्वालिटी प्रोडक्ट्स के बारे में है . उन्होंने कोलगेट टूथपेस्ट की सच्चाई इस लेख में प्रस्तुत की है . ये सारी जानकारी बहुत आवश्यक है हर भारतीय के लिए . आप भी पढ़ कर फैसला कीजिये -

बहुराष्ट्रीय कंपनियों का क्वालिटी प्रोडक्ट 
1 .  
पेस्ट 
हमलोग ब्रश करते हैं तो पेस्ट का इस्तेमाल करते हैंकोलगेटपेप्सोडेंटक्लोज-अपसिबाकाफोरहंस आदि काक्योंकि वो साँस की बदबू दूर करता हैदांतों की सडन को दूर करता हैऐसा कहा जाता है प्रचारों में आप सोचिये कि जब कोलगेट नहीं थातब सब के दांत सड़ जाते थे क्या और सब के सांस से बदबू आती थी क्या अभी कुछ सालों से टेलीविजन ने कहना शुरू कर दिया कि भाई कोलगेट रगडो तो हमने कोलगेट चालू कर दिया अब जो नीम का दातुन करते हैं तो उनको तथाकथित पढ़े-लिखे लोग बेवकूफ मानते हैं और खुद कोलगेट इस्तेमाल करते हैं तो अपने को बुद्धिमान मानते हैंजब कि है उल्टा जो नीम का दातुन करते हैं वो सबसे बुद्धिमान हैं और जो कोलगेट का प्रयोग करते हैं वो सबसे बड़े मुर्ख हैं |

जब यूरोप में घुमा करता था तो एक बात पता चली कि यूरोप के लोगों के दाँत सबसे ज्यादा ख़राब हैं,सबसे गंदे दाँत दुनिया में किसी के हैं तो यूरोप के लोगों के हैं और वहां क्या है कि हर दूसरा-तीसरा आदमी दाँतों का मरीज है और सबसे ज्यादा संख्या उनके यहाँ दाँतों के डाक्टरों की ही हैअमेरिका में भी यही हाल है वहां एक डाक्टर मुझे मिलेनाम था डाक्टर जुकर्शनमैंने पूछा कि "आपके यहाँ दाँतों के इतने मरीज क्यों हैंऔर दाँतों के इतने ज्यादा डाक्टर क्यों हैं ?" तो उन्होंने बताया कि "हम दाँतों के मरीज इसलिए हैं कि हम पेस्ट रगड़ते हैं " तो मैंने कहा कि "तो क्या रगड़ना चाहिए?", तो उन्होंने कहा कि "वो हमारे यहाँ नहीं होतीतुम्हारे यहाँ होती है " तो फिर मैंने कहा कि "वो क्या?", तो उन्होंने बताया कि "नीम का दातुन" तो मैंने कहा कि "आप क्या इस्तेमाल करते हैं?" तो उन्होंने कहा कि "नीम का दातुन और वो तुम्हारे यहाँ से आता है मेरे लिए " |  यूरोप में लोग नीम के दातुन का महत्व समझते हैं और हम प्रचार देख कर "कोलगेट का सुरक्षा चक्र" अपना रहे हैंहमसे बड़ा मुर्ख कौन होगा|
कोलगेट बनता कैसे हैंआपको मालूम हैकिसी को नहीं मालूमक्योंकि कोलगेट कंपनी कभी बताती नहीं है कि उसने इस पेस्ट को बनाया कैसे कोलगेट का पेस्ट दुनिया का सबसे घटिया पेस्ट हैक्यों ?क्योंकि ये जानवरों के हड्डियों के चूरे से बनता है जानवरों के हड्डियों के चूरे के साथ-साथ इसमें एक और खतरनाक चीज मिलाई जाती हैवो है फ्लोराइड फ्लोराइड नाम उस जहर का है जो शरीर में फ्लोरोसिस नाम की बीमारी करता है और भारत के पानी में पहले से ही ज्यादा फ्लोराइड है तीसरी एक और खतरनाक चीज होती है उसमेये है Sodium Lauryl Sulphate | मैं जब लोगों से पूछता हूँ कि "आप कोलगेट क्यों इस्तेमाल करते हैं" तो सभी लोगों का कहना होता है कि "इसमें क्वालिटी है" फिर मैं पूछता हूँ कि "क्या क्वालिटी है?" तो कहते हैं कि "इसमें झाग बहुत बनता है"ये पढ़े-लिखे लोगों का उत्तर होता है रसायन शास्त्र में एक रसायन होता है "Sodium Lauryl Sulphate " और रसायन शास्त्र के शब्दकोष (dictionary) में जब आप देखेंगे तो इस "Sodium Lauryl Sulphate" के नाम के आगे लिखा होता है "जहर"/"poison "| और .05mg मात्रा शरीर में चली जाए तो कैंसर कर देता है और यही केमिकल कोलगेट में मिलाया जाता है क्योंकि "Sodium Lauryl Sulphate " डाले बिना किसी टूथपेस्ट में झाग नहीं बन सकता टूथपेस्ट और सेविंग क्रीम दोनों में ये "Sodium Lauryl Sulphate " डाला जाता हैबस थोडा प्रोसेस में अंतर होता है ये झाग इसी केमिकल से बनता है तकनीकी भाषा में जिसे सिंथेटिक डिटर्जेंट कहा जाता है वही इन पेस्टों में मिलाया जाता है यही सिंथेटिक डिटर्जेंट "Sodium Lauryl Sulphate " कपडा धोने वाले वाशिंग पावडर और डिटर्जेंट केक मेंशैम्पू में और दाढ़ी बनाने वाले सेविंग क्रीम में भी मिलाया जाता है दुनिया का सबसे रद्दी पेस्ट हम इस्तेमाल कर रहे हैं|
धर्म के हिसाब से भी पेस्ट सबसे ख़राब है सभी पेस्टों में मरे हुए जानवरों की हड्डियाँ मिलायी जाती है ये कोई भी जानवर हो सकता हैमैं इशारों में आपको बता रहा हूँ और आप अगर शाकाहारी है या जैन धर्म को मानने वाले हैं तो क्यों अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे हैं मेरे पास हर कंपनी की लेबोरेटरी रिपोर्ट है कि कौन कंपनी कौन से जानवर की हड्डी मिलाती है और ये प्रयोगशाला में प्रयोग करने के बाद प्रमाणित होने के बाद आपको बता रहे हैं हम |
और ये कोलगेट नाम का पेस्ट बिक रहा है Indian Dental Association के प्रमाण से मुझे जरा बताइए कि कब इस संगठन ने कोई बैठक किया और कोलगेट के ऊपर प्रस्ताव पारित किया कि "हम कोलगेट को प्रमाणित करते हैं कि ये भारत में बिकना चाहिए" लेकिन कोलगेट भारत में बिक रहा है IDA का नाम बेच कर | "IDA" लिखा रहता है Upper Case में और मोटे अक्षरों मेंऔर "Accepted" लिखा होता है छोटे अक्षर में यहाँ भी धोखा हैये "acceptedलिखते हैं ना कि "certified" | मुझे तो आश्चर्य होता है कि भारत में दाँतों के डॉक्टर इसका विरोध क्यों नहीं करतेकोई डेंटिस्ट खड़ा हो कर इस झूठ को झूठ क्यों नहीं कहताक्यों नहीं वो कोर्ट में केस करता मैं नहीं कर सकता क्योंकि मैं कोई डेंटिस्ट नहीं हूँलेकिन कोई डेंटिस्ट इस बात को सिद्ध कर सकता हैऔर वो ये भी बता सकता है कि "कोई भी टूथपेस्ट जिसमे 1000 PPM से ज्यादा फ्लोराइड होता है तो वो सारे के सारे टूथपेस्ट जहर हो जाते है,टूथपेस्ट नहीं रहते" मैं अगर ये बात कोर्ट में कहूं तो कोर्ट मेरी बात नहीं मानेगाकहेगा कि "आपके पास कोई डिग्री है इससे सम्बंधित" दुर्भाग्य सेजिनके पास डिग्री है वो कोर्ट में जा नहीं रहे हैं और मेरे जैसे लोगजिनके पास डिग्री नहीं है तो कोर्ट में जा नहीं सकते और खिसिया (गुस्सा) के रह जाते हैं |
आपको एक और जानकारी देता हूँ अमेरिका और यूरोप में जब कोलगेट बेचा जाता है तो उसपर चेतावनी (Warning) लिखी होती है लिखते अंग्रेजी में हैंमैं आपको हिंदी में बताता हूँउसपर लिखते हैं  "please keep out this Colgate from the reach of the children below 6 years" मतलब "छः साल से छोटे बच्चों के पहुँच से इसको दूर रखिये/उसको मत दीजिये"क्योंक्योंकि बच्चे उसको चाट लेते हैं,और उसमे कैंसर करने वाला केमिकल हैइसलिए कहते हैं कि बच्चों को मत देना ये पेस्ट और आगे लिखते हैं " In case of accidental ingestion , please contact nearest poison control center immediately ,  मतलब "अगर बच्चे ने गलती से चाट लिया तो जल्दी से डॉक्टर के पास ले के जाइए" इतना खतरनाक हैऔर तीसरी बात वो लिखते हैं  "If you are an adult then take this paste on your brush in pea size "  मतलब क्या है कि " अगर आप व्यस्क हैं /उम्र में बड़े हैं तो इस पेस्ट को अपने ब्रश पर मटर के दाने के बराबर की मात्रा में लीजिये" और आपने देखा होगा कि हमारे यहाँ जो प्रचार टेलीविजन पर आता है उसमे ब्रश भर के इस्तेमाल करते दिखाते हैं हमारे देश में बिकने वाले पेस्ट पर ये "warning" नहीं होती और उसके जगह "Directions for use" लिखा होता हैऔर वो बातजो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैंवो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते |  और कोलगेट के डिब्बे पर ISI का निशान भी नहीं होता इसको Agmark भी नहीं मिला हैक्योंकि ये सबसे रद्दी क्वालिटी का होता है जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैंवो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखतेअब क्यों होता है ऐसा ये आपके मंथन के लिए छोड़ता हूँ और निर्णय भी आप ही को करना है |   
बहुराष्ट्रीय कंपनियों का क्वालिटी प्रोडक्ट 
1 .  
पेस्ट 
हमलोग ब्रश करते हैं तो पेस्ट का इस्तेमाल करते हैंकोलगेटपेप्सोडेंटक्लोज-अपसिबाकाफोरहंस आदि काक्योंकि वो साँस की बदबू दूर करता हैदांतों की सडन को दूर करता हैऐसा कहा जाता है प्रचारों में आप सोचिये कि जब कोलगेट नहीं थातब सब के दांत सड़ जाते थे क्या और सब के सांस से बदबू आती थी क्या अभी कुछ सालों से टेलीविजन ने कहना शुरू कर दिया कि भाई कोलगेट रगडो तो हमने कोलगेट चालू कर दिया अब जो नीम का दातुन करते हैं तो उनको तथाकथित पढ़े-लिखे लोग बेवकूफ मानते हैं और खुद कोलगेट इस्तेमाल करते हैं तो अपने को बुद्धिमान मानते हैंजब कि है उल्टा जो नीम का दातुन करते हैं वो सबसे बुद्धिमान हैं और जो कोलगेट का प्रयोग करते हैं वो सबसे बड़े मुर्ख हैं |

जब यूरोप में घुमा करता था तो एक बात पता चली कि यूरोप के लोगों के दाँत सबसे ज्यादा ख़राब हैं,सबसे गंदे दाँत दुनिया में किसी के हैं तो यूरोप के लोगों के हैं और वहां क्या है कि हर दूसरा-तीसरा आदमी दाँतों का मरीज है और सबसे ज्यादा संख्या उनके यहाँ दाँतों के डाक्टरों की ही हैअमेरिका में भी यही हाल है वहां एक डाक्टर मुझे मिलेनाम था डाक्टर जुकर्शनमैंने पूछा कि "आपके यहाँ दाँतों के इतने मरीज क्यों हैंऔर दाँतों के इतने ज्यादा डाक्टर क्यों हैं ?" तो उन्होंने बताया कि "हम दाँतों के मरीज इसलिए हैं कि हम पेस्ट रगड़ते हैं " तो मैंने कहा कि "तो क्या रगड़ना चाहिए?", तो उन्होंने कहा कि "वो हमारे यहाँ नहीं होतीतुम्हारे यहाँ होती है " तो फिर मैंने कहा कि "वो क्या?", तो उन्होंने बताया कि "नीम का दातुन" तो मैंने कहा कि "आप क्या इस्तेमाल करते हैं?" तो उन्होंने कहा कि "नीम का दातुन और वो तुम्हारे यहाँ से आता है मेरे लिए " |  यूरोप में लोग नीम के दातुन का महत्व समझते हैं और हम प्रचार देख कर "कोलगेट का सुरक्षा चक्र" अपना रहे हैंहमसे बड़ा मुर्ख कौन होगा|
कोलगेट बनता कैसे हैंआपको मालूम हैकिसी को नहीं मालूमक्योंकि कोलगेट कंपनी कभी बताती नहीं है कि उसने इस पेस्ट को बनाया कैसे कोलगेट का पेस्ट दुनिया का सबसे घटिया पेस्ट हैक्यों ?क्योंकि ये जानवरों के हड्डियों के चूरे से बनता है जानवरों के हड्डियों के चूरे के साथ-साथ इसमें एक और खतरनाक चीज मिलाई जाती हैवो है फ्लोराइड फ्लोराइड नाम उस जहर का है जो शरीर में फ्लोरोसिस नाम की बीमारी करता है और भारत के पानी में पहले से ही ज्यादा फ्लोराइड है तीसरी एक और खतरनाक चीज होती है उसमेये है Sodium Lauryl Sulphate | मैं जब लोगों से पूछता हूँ कि "आप कोलगेट क्यों इस्तेमाल करते हैं" तो सभी लोगों का कहना होता है कि "इसमें क्वालिटी है" फिर मैं पूछता हूँ कि "क्या क्वालिटी है?" तो कहते हैं कि "इसमें झाग बहुत बनता है"ये पढ़े-लिखे लोगों का उत्तर होता है रसायन शास्त्र में एक रसायन होता है "Sodium Lauryl Sulphate " और रसायन शास्त्र के शब्दकोष (dictionary) में जब आप देखेंगे तो इस "Sodium Lauryl Sulphate" के नाम के आगे लिखा होता है "जहर"/"poison "| और .05mg मात्रा शरीर में चली जाए तो कैंसर कर देता है और यही केमिकल कोलगेट में मिलाया जाता है क्योंकि "Sodium Lauryl Sulphate " डाले बिना किसी टूथपेस्ट में झाग नहीं बन सकता टूथपेस्ट और सेविंग क्रीम दोनों में ये "Sodium Lauryl Sulphate " डाला जाता हैबस थोडा प्रोसेस में अंतर होता है ये झाग इसी केमिकल से बनता है तकनीकी भाषा में जिसे सिंथेटिक डिटर्जेंट कहा जाता है वही इन पेस्टों में मिलाया जाता है यही सिंथेटिक डिटर्जेंट "Sodium Lauryl Sulphate " कपडा धोने वाले वाशिंग पावडर और डिटर्जेंट केक मेंशैम्पू में और दाढ़ी बनाने वाले सेविंग क्रीम में भी मिलाया जाता है दुनिया का सबसे रद्दी पेस्ट हम इस्तेमाल कर रहे हैं|
धर्म के हिसाब से भी पेस्ट सबसे ख़राब है सभी पेस्टों में मरे हुए जानवरों की हड्डियाँ मिलायी जाती है ये कोई भी जानवर हो सकता हैमैं इशारों में आपको बता रहा हूँ और आप अगर शाकाहारी है या जैन धर्म को मानने वाले हैं तो क्यों अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे हैं मेरे पास हर कंपनी की लेबोरेटरी रिपोर्ट है कि कौन कंपनी कौन से जानवर की हड्डी मिलाती है और ये प्रयोगशाला में प्रयोग करने के बाद प्रमाणित होने के बाद आपको बता रहे हैं हम |
और ये कोलगेट नाम का पेस्ट बिक रहा है Indian Dental Association के प्रमाण से मुझे जरा बताइए कि कब इस संगठन ने कोई बैठक किया और कोलगेट के ऊपर प्रस्ताव पारित किया कि "हम कोलगेट को प्रमाणित करते हैं कि ये भारत में बिकना चाहिए" लेकिन कोलगेट भारत में बिक रहा है IDA का नाम बेच कर | "IDA" लिखा रहता है Upper Case में और मोटे अक्षरों मेंऔर "Accepted" लिखा होता है छोटे अक्षर में यहाँ भी धोखा हैये "acceptedलिखते हैं ना कि "certified" | मुझे तो आश्चर्य होता है कि भारत में दाँतों के डॉक्टर इसका विरोध क्यों नहीं करतेकोई डेंटिस्ट खड़ा हो कर इस झूठ को झूठ क्यों नहीं कहताक्यों नहीं वो कोर्ट में केस करता मैं नहीं कर सकता क्योंकि मैं कोई डेंटिस्ट नहीं हूँलेकिन कोई डेंटिस्ट इस बात को सिद्ध कर सकता हैऔर वो ये भी बता सकता है कि "कोई भी टूथपेस्ट जिसमे 1000 PPM से ज्यादा फ्लोराइड होता है तो वो सारे के सारे टूथपेस्ट जहर हो जाते है,टूथपेस्ट नहीं रहते" मैं अगर ये बात कोर्ट में कहूं तो कोर्ट मेरी बात नहीं मानेगाकहेगा कि "आपके पास कोई डिग्री है इससे सम्बंधित" दुर्भाग्य सेजिनके पास डिग्री है वो कोर्ट में जा नहीं रहे हैं और मेरे जैसे लोगजिनके पास डिग्री नहीं है तो कोर्ट में जा नहीं सकते और खिसिया (गुस्सा) के रह जाते हैं |
आपको एक और जानकारी देता हूँ अमेरिका और यूरोप में जब कोलगेट बेचा जाता है तो उसपर चेतावनी (Warning) लिखी होती है लिखते अंग्रेजी में हैंमैं आपको हिंदी में बताता हूँउसपर लिखते हैं  "please keep out this Colgate from the reach of the children below 6 years" मतलब "छः साल से छोटे बच्चों के पहुँच से इसको दूर रखिये/उसको मत दीजिये"क्योंक्योंकि बच्चे उसको चाट लेते हैं,और उसमे कैंसर करने वाला केमिकल हैइसलिए कहते हैं कि बच्चों को मत देना ये पेस्ट और आगे लिखते हैं " In case of accidental ingestion , please contact nearest poison control center immediately ,  मतलब "अगर बच्चे ने गलती से चाट लिया तो जल्दी से डॉक्टर के पास ले के जाइए" इतना खतरनाक हैऔर तीसरी बात वो लिखते हैं  "If you are an adult then take this paste on your brush in pea size "  मतलब क्या है कि " अगर आप व्यस्क हैं /उम्र में बड़े हैं तो इस पेस्ट को अपने ब्रश पर मटर के दाने के बराबर की मात्रा में लीजिये" और आपने देखा होगा कि हमारे यहाँ जो प्रचार टेलीविजन पर आता है उसमे ब्रश भर के इस्तेमाल करते दिखाते हैं हमारे देश में बिकने वाले पेस्ट पर ये "warning" नहीं होती और उसके जगह "Directions for use" लिखा होता हैऔर वो बातजो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैंवो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते |  और कोलगेट के डिब्बे पर ISI का निशान भी नहीं होता इसको Agmark भी नहीं मिला हैक्योंकि ये सबसे रद्दी क्वालिटी का होता है जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैंवो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखतेअब क्यों होता है ऐसा ये आपके मंथन के लिए छोड़ता हूँ और निर्णय भी आप ही को करना है |   



Colgate available in Indian Market 



यहाँ मैं भारत में कार्यरत कोलगेट कंपनी का एक पत्र भी डाल रहा हूँ जो भाई राकेश जी के इस प्रश्न के उत्तर में था कि "अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर जो चेतावनी आपकी कंपनी छापती हैवो भारत में उपलब्ध अपने पेस्ट के ऊपर क्यों नहीं छापती"तो उनका (कंपनी का) उत्तर कितने छिछले स्तर का था ये देखिये...................
From: <consumeraffairs_india@colpal.com>
Date: Tue, May 31, 2011 at 6:04 PM
Subject: In response to your Colgate communication #022844460A
To: prakriti.pune@gmail.com

May 31, 2011
Ref: 022844460A

Mr. Rakesh Chandra Rakesh
B 13 Everest Heights Behind Joggers
Near Khalsa Dairy
Viman Nagar
Pune 411014
Maharashtra
India


Dear Mr. Rakesh,

Thank you for contacting Colgate-Palmolive (India) Limited.

"The labelling requirements of cosmetic preparations like toothpaste in India are governed by the drugs and cosmetics regulations.  We are fully complying with those regulations.In addition, we have incorporated an additional direction (i.e. Dentists recommend parents supervise brushing with a pea-size amount of toothpaste, discourage swallowing and ensure children spit and rinse afterwards) with a view to guiding the parents of children under 6 years of age using toothpaste."

We greatly value your patronage of Colgate-Palmolive products.

Regards,

COLGATE PALMOLIVE (INDIA) LIMITED

Abilio Dias
Consumer Affairs
Communications 
(http://www.natural-health- information-centre.com/sodium- lauryl-sulfate.html
और http://www.fluoridealert.org/ toothpaste.html  इन दोनों लिंक को समय निकाल कर पढने का कष्ट करेंगे तो आपके लिए अच्छा होगा आप जिस भी पेस्ट के INGREDIENT में इस केमिकल का नाम देखिये तो उसे कृपा कर के इस्तेमाल मत कीजियेअपना नहीं तो अपने बीवी-बच्चो का तो ख्याल कीजियेअगर शादी नहीं हुई है तो अपने माता-पिता का ख्याल तो कीजिये |
विकल्प 
यहाँ मैं महर्षि वाग्भट के अष्टांग हृदयम का कुछ हिस्सा जोड़ता हूँजिसमे वो कहते हैं कि दातुन कीजियेदातुन कैसा तो जो स्वाद में कसाय होकसाय समझते हैं आप कसाय मतलब कड़वा और नीम का दातुन कड़वा ही होता है और इसीलिए उन्होंने नीम के दातुन की बड़ाई (प्रसंशा) की है उन्होंने नीम से भी अच्छा एक दूसरा दातुन बताया हैवो है मदार काउसके बाद अन्य दातुन के बारे में उन्होंने बताया है जिसमे बबूल हैअर्जुन हैआम हैअमरुद हैजामुन हैऐसे 12 वृक्षों का नाम उन्होंने बताया है जिनके दातुन आप कर सकते हैं चैत्र माह से शुरू कर के गर्मी भर नीममदार या बबूल का दातुन करने के लिए उन्होंने बताया हैसर्दियों में उन्होंने अमरुद या जामुन का दातुन करने को बताया है ,बरसात के लिए उन्होंने आम या अर्जुन का दातुन करने को बताया है आप चाहें तो सालों भर नीम का दातुन इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन उसमे ध्यान इस बात का रखे कि तीन महीने लगातार करने के बाद इस नीम के दातुन को कुछ दिन का विश्राम दे इस अवधि में मंजन कर ले दन्त मंजन बनाने की आसान विधि उन्होंने बताई हैवो कहते हैं कि आपके स्थान पर उपलब्ध खाने का तेल (सरसों का तेल. नारियल का तेलया जो भी तेल आप खाने में इस्तेमाल करते होंरिफाइन छोड़ कर )उपलब्ध लवण मतलब नमक और हल्दी मिलाकर आप मंजन बनाये और उसका प्रयोग करे दातुन जब भारत के सबसे बड़े शहर मुंबई में मिल जाता है तो भारत का ऐसा कोई भी शहर नहीं होगा जहाँ ये नहीं मिले क्रमशः बाकी Quality Products की सूचि कल .....................
कृपया अनुलग्नक (अटैचमेंट) अवश्य देखें जय हिंद राजीव दीक्षित
फोटो सौजन्य : भाई अश्विनी सोनी जी (उज्जैन,मध्य प्रदेश)
सूत्रधार एक भारत स्वाभिमानी रवि 

Saturday, February 4, 2012

भारत और चीन

मेरे पास एक सज्जन ने एक ईमेल फॉरवर्ड की  , जो की रवि वर्मा नाम के एक सज्जन ने लिखी है . उनके पत्र के चीन से सम्बंधित विचारों को मैं यहाँ उनकी ही भाषा में उद्धृत कर रहा हूँ . कारण ये है की इससे अधिक ज्ञानवर्धक भारत और चीन की नीतियों की तुलना मैंने कहीं और नहीं पढ़ी . आप भी पढ़ कर देखिये -

आदरणीय राष्ट्रप्रेमी भाइयों और बहनों  
अभी वालमार्ट का मामला चल रहा था (है) और मैं कई बुद्धिजीवियों के विचार पढ़ रहा थासुन रहा था,देख रहा था उसमे कुछ बाते जो समान रूप से मुझे देखने को मिली वो थी कि "बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हमें Quality Products मुहैया कराती हैं"दूसरा कि "चीन में भी तो वालमार्ट है वहाँ कौन सा पहाड़ टूट पड़ा है"आदि आदि आज मैं इसी विषय पर कुछ तथ्य उन बुद्धिजीवियों के साथ-साथ आम लोगों के समक्ष लाने की कोशिश कर रहा हूँ 
चीन और विदेशी पूंजी निवेश 
चूकी Quality Products की सूचि थोड़ी लम्बी हैइसलिए मैं पहले चीन से ही शुरू करता हूँ - चीन में भी विदेशी कंपनियाँ निवेश करती हैं लेकिन वो वहाँ से भारत की तरह पूँजी उठा के सीधे अपने देश में नहीं ले जा सकतीं मान लीजिये कि किसी कंपनी ने वहाँ अगर 100 करोड़ रूपये का मुनाफा कमाया तो चीन की सरकार क्या करती है कि उस कंपनी को 100 करोड़ रूपये का अपना उत्पाद पकडाती है और कहती है कि जाओ विश्व बाजार मेंऔर इसको बेच के आओ और 100 करोड़ रुपया हमें वापस करो और उसके बाद ये 100 करोड़ रुपया तुम ले जाओ जो तुमने यहाँ से कमाया है अमेरिका की सरकार अपने उद्यमियों के सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहती है और बिल क्लिंटन जब राष्ट्रपति थे तो पूरा दल-बल लेकर चीन गए कि इस तरह के नियम को बदलवा देलेकिन हुआ कुछ नहींउल्टा चीन की सरकार ने बिल क्लिंटन को थ्येन-आन-मन चौक पर ले जाकर खड़ा कर दिया और कहा कि "झुको और सलाम करो" और क्लिंटन ने वो सब किया जो एक अमेरिकी राष्ट्रपति को नहीं करना चाहिए था और इसी थ्येन-आन-मन चौक को लेकर अमेरिका और यूरोप ने चीन पर बहुत दबाव बनाया था आप चीन जायेंगे तो देखेंगे कि वहाँ के लोग गोरी चमड़ी वालों से मिलना तो दूरबात तक करना पसंद नहीं करतेलेकिन ये बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए मजबूरी होती है क्योंकि इतना बड़ा बाजार जो उन्हें मिला है,इसलिए वालमार्टजो कि अमेरिका की कंपनी हैउसके दुकानों में भी चीन के समान भरे रहते हैं |आपके पास (भारत के पास) कौन सा उत्पाद है जो आपसे वालमार्ट खरीदेगा आपने तो भारत के बाजार काव्यापार कायहाँ उत्पन्न होने वाले कृषि उपज का सत्यानाश कर दिया है और भारत सरकार की हिम्मत नहीं है कि ऐसा कानून बना दे इस देश में विदेशी कंपनियों के लिए इन्होने तो विदेशी कंपनियों को यहाँ से पैसे बाहर भेजने के लिए पता नहीं कितने कानूनों को बदला चीन भारत से दो साल बाद आजाद हुआ यानि 1949 में और चीन कभी भी GATT का सदस्य नहीं रहासाल 2000 के बाद वह इसका सदस्य बना और अपनी शर्तों पर बना चीन की सत्ता देशभक्त लोगों के हाथ में है और भारत की सत्ता ????????? तो चीन के उदारीकरण का भारत के उदारीकरण से तुलना करना सबसे बड़ी मुर्खता होगी भारत के लोग चाहे जितनी गाली दे ले चीन कोउनके शासन तंत्र को जितना उल्टा सीधा कह लीजियेअपने लोकतंत्र का जितना झूठा गुणगान कर लीजिये लेकिन सच्चाई यही है भारत के लोग अपने देश की तुलना करते हैं तो पाकिस्तान सेएक कमजोर देश सेकहाँ आगे बढ़ने वाले हैं आप ?चीन पर लिखूं तो पूरा चीन-पुराण तैयार हो जायेगाइसलिए आज यहीं तक ...... 

[ इस लेख का दूसरा हिस्सा मैं एक अलग लेख के रूप में प्रस्तुत कर रहा  हूँ , जिसका शीर्षक है - टूथपेस्ट ]