नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Saturday, January 21, 2012

देश की नाक

पिछले रविवार को भारत की क्रिकेट टीम आस्ट्रेलिया से तीसरा मैच भी बुरी तरह हार गयी . हार हमें बर्दाश्त नहीं . हमारे सारे हीरो जिन्हें हमने विश्व कप विजय के बाद आसमान पर बिठा रखा था , सभी अब जीरो हो गए . देश की सारी मिडिया का  पूरा का  पूरा प्राइम टाइम और हेड लाइन इस शर्मनाक हार के बखान में लग गयी . किसी ने इसे देश का सबसे शर्मनाक समय कहा तो किसी ने देश की नाक काटने का आरोप लगा दिया . 

उसी दिन एक और खबर छपी - शायद चौथे या पांचवें पन्ने के एक छोटे से कोलम में - कोलकाता में उषा तांती नाम की ४० वर्षीया महिला ने सड़क पर एक जुड़वां भाई बहनों को जन्म देकर प्राण त्याग दिए . कारण ये था की चितरंजन शिशु सदन ने उसे भर्ती करने से इंकार कर दिया ; मजबूरी में उसके पति ने शम्भुनाथ पंडित हस्पताल के दरवाजे खटखटाए - उन्होंने भी मना कर दिया . परिणाम उषा की सड़क पर मृत्यु !

इस खबर पर किसी अख़बार ने कोई हेडलाइन नहीं लिखी , कोई सम्पादकीय नहीं छापा , देश की कहीं नाक नहीं कटी और सरकार को कहीं सफाई नहीं देनी पड़ी . इन्क्वारी की औपचारिकताओं के बाद निष्कर्ष निकाल दिया गया की दोनों हस्पतालों ने कभी भी उस महिला को भरती करने से इंकार नहीं किया . बात यहीं ख़त्म !

हम किस देश में रह रहें हैं - जहाँ मानव प्राण एक खेल की हार से भी कितने बौने हैं . हार जीत तो हर खेल के दो परिणाम हैं , जो हमेशा होते रहेंगे ; लेकिन उषा तांती के दोनों बच्चों के लिए तो आजीवन हार लिख दी गयी . मन मंथन कीजिये !


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