टेलीविजन की ख़बरें देखते देखते न जाने कब आँख लग गयी. कहतें हैं कि जो बातें हमारे अवचेतन मन में पड़ी रह जाती हैं , वही स्वप्न बन कर हमें नींद में दिखाई पड़ती है . गहरी नींद में एक स्वप्न देखा . स्वप्न कुछ ऐसेथा - मैं हवाई जहाज से यात्रा कर रहा हूँ . पता चलता है कि विमान में कोई बड़ी हस्ती भी है . पूछ - ताछ करने से पता चला की देश के गृह मंत्री श्री चिदंबरम साहब भी मेरे साथ उसी विमान में सफ़र कर रहें हैं. . विमान करीब आधे घंटे की उड़ान पूरी कर चूका था . परिचारिकाएँ यात्रियों को नाश्ता आदि परोसने की तैयारी में थी. तभी सामने की तरफ कोकपिट से बाहर निकला एक व्यक्ति . हाथों में बन्दूक लिए हुए . थोड़ी ही देर में विमान में उसके जैसे ३-४ लोग नजर आये , सबके हाथों में बंदूक थी. सबने मुंह पर कपडा लपेट रखा था.एक जो सामने से आया था,जो सबका सरदार लग रहा था - उसने चिल्ला कर कहा - " आप लोग ध्यान से सुनो , ये प्लेन हमारे कब्जे में है . पायलोट के बाजू में हमारा साथी है ; हम लोग इस प्लेन को यहाँ से अफगानिस्तान लेकर जायेंगे . कोई भी अपना सीट से हिला तो हमारा साथी उसको गोली मार देगा "
सारे लोग घबरा कर बैठ गए .कोई प्रार्थना करने लगा , कोई दबी आवाज में रोने लगा . थोड़ी देर में यात्रियों में से एक व्यक्ति की आवाज आई -" सुनिए ! मैं भारत का गृह मंत्री पी . चिदंबरम हूँ ! अगर आप अपनी बात मुझे बताएं तो मैं शायद आपकी मांगों पर कुछ विचार कर सकूं !"
आतंकवादी ने हंस कर कहा - " मंत्रीजी , आपको कौन नहीं पहचानता ? आप की वजह से ही तो हमने ये प्लेन चुना है हमारे प्लान के लिए . क्यों , क्या आपको लगता है कि आप हमारी मांगों को पूरा करवा सकते हैं ? "
गृहमंत्री ने कहा - " क्यों नहीं , अगर तुम्हारी मांग हमारे मानने लायक होगी तो जरूर मानेंगे ! "
आतंकवादी ने हंस कर कहा - " मिनिस्टर साहब , मानने लायक बातों के लिए प्लेन हाईजैक नहीं करना पड़ता . हमारी सिर्फ दो ही मांगे हैं - आपकी पारलियामेंट पर हुए हमले के कारण हमारे बहादुर सिपाही अफजल गुरु को आपने बंद कर रखा है, उसे आजाद कर दीजिये . "
गृह मंत्री परेशान हो गए - " ये तो बहुत मुश्किल है ! दूसरी मांग क्या है ? "
आतंकवादी ने कहा - " २६ नवम्बर के हमले के लिए आपने हमारे जांबाज साथी कसाब को मुंबई में बंद कर रखा है , उसकी आजादी चाहिए ! "
गृहमंत्री बहुत परेशान हो गए .थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा - "देखिये ,मैं तो इस वक़्त आपका बंधक हूँ , इसलिए ये निर्णय लेना मेरे लिए मुमकिन नहीं . आपको हमारे प्रधान मंत्री से ही सीधे बात करनी होगी . "
आतंकवादी हंसा -" वो तोमैं भी जानता हूँ , किसी भी बात पर फैसला करना तो आप लोगों की फितरत में ही नहीं ; वर्ना हमारे दोस्त अफजल और कसाब क्या अब तक जिन्दा बचे होते . "
तभी पीछे से किसी बूढ़े आदमी ने कहा -" देखो भाई साहब मुझे एक बार बाथ रूम जाना जरूरी है ,................. "
उसकी बात पूरी भी नहीं हो पाई थी कि उस आतंकवादी ने सीधा बंदूक उठा कर गोली दाग दी - धायं !
मेरी जोर से चीख निकल गयी . आँख खुली तो देखा कि मैं अपने बिस्तर पर था औरपूरी तरह से पसीने में भीगा हुआ था .
अब ठीक हूँ और सोचता हूँ कि ऐसा सपना देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को क्यों नहीं आता !
No comments:
Post a Comment