एक दिन उसके एक प्रोफ़ेसर पडोसी ने उससे पुछा - तुम ये अलग अलग भेष बना कर लोगों को और उनके भगवान को ठगते हो ; तुम्हे ऐसा नहीं लगता की भगवान किसी दिन तुमसे बहुत नाराज हो जाएंगे ?
उसने हँसते हुए उत्तर दिया - मैं कहाँ ठगता हूँ ? ठगते तो वो लोग हैं जिन्होंने भगवान की अपनी मनचाही कल्पना से सूरत बना दी ; अपने आपको भक्त दिखाने के लिए अजीब अजीब वस्तुएं बना ली - जैसे की रुद्राक्ष , इबादत की टोपी और क्रॉस की माला। यहाँ तक की सभी जगह व्यापक निराकार भगवान के रहने के भी घर बना दिए - जैसे की मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे और चर्च। क्या भगवान यही सब देखते हैं ? ये सारा दिखावा अपने आप के लिए ही तो होता है। मैं भी वही करता हूँ जो उनको अच्छा लगता है। मेरा गुजारा हो जाता है ; उनकी दान दक्षिणा पूरी हो जाती है। फर्क इतना है की वो दूसरे धर्मों के लिए बुरा भला कहते हैं , मैं सबका सन्मान करता हूँ, सबको आशीर्वाद और दुवाएँ देता हूँ । अब बताइये की भगवान किससे ज्यादा खुश होंगे , उनसे ये मुझसे !
प्रोफ़ेसर साहब निरुत्तर थे।
bahut acchi rachna !
ReplyDeleteहिंदीकुंज