नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Monday, June 25, 2012

गड्ढे में गिरा देश

भारत की बहुत सारी विशेषताएं  हैं . बहुत  सी विशेषताएं प्राचीन काल से है , मसलन ,गरीबी  , अशिक्षा , अंधविश्वास  आदि . कुछ विशेषताएं समय के साथ विकसित होती चली गयी , और जो वर्तमान में पूरे शबाब  हैं , जैसे की भ्रष्टाचार , राजनीति का अपराधीकरण, अपराध का राजनीतिकरण , बेपनाह बढती हुई मंहगाई , प्रधानमंत्री की सुसुप्तावस्था , आम आदमी की विक्षिप्तावस्था - लिस्ट बहुत लम्बी है .

इन सब विशेषताओं से हट कर पिछले कुछ सालों में कुछ नयी विशेषताएं उभर कर आई हैं . मैं कोई मामूली बात नहीं कर रहा यहाँ - ऐसी विशेषताओं की चर्चा कर रहा हूँ जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुर्ख़ियों में भी आ रहीं हैं . खास खास - अन्ना हजारे का अनशन , रामदेव का आन्दोलन , स्विस बैंक के मुद्दे पर सर्कार का कन्नी काटना , दिग्विजय सिंह के अजीबोगरीब बयान , ममता का सहयोगी दल होकर भी निरंतर असहयोग , राष्ट्रपति चुनाव में लगा तड़का - और अब इन सब से भी जबर्दस्त विशेषता - गड्ढा , जिसे मुंबई की भाषा में खड्डा भी कहते  हैं .


भारत अब गड्ढा प्रधान देश बन चूका  है , आये दिन टेलीविजन पर किसी न किसी गड्ढे की चर्चा रहती है . मॉनसून  में मुंबई की सड़कों पर गिने जा रहे गड्ढे , प्रीटी जिनता और दीपिका के गालों में पड़ते गड्ढे और सबसे अधिक तो वो लम्बे और गहरे गड्ढे जिनमें देश के विभिन्न भागों में समा जाते हैं छोटे छोटे बच्चे . कुछ जो भाग्यशाली होते हैं उन्हें जीवित निकल लिया जाता है , लेकिन ज्यादा संभावनाएं न बच पाने की ही होती हैं . ये सिलसिला तो न जाने कब से चल रहा होगा , अंतर ये है की पहले ऐसी घटनाएँ लोकल पुलिस थानों से आगे नहीं बढती थी , लेकिन जब से 2006 में इलेक्ट्रोनिक मिडिया ने इस तरह की घटनाओं को कवर करना शुरू  किया तब से , इस घटना को युद्धस्तर पर लेने को मजबूर हो गयी सर्कार . फायर ब्रिगेड , मिलिटरी , तकनीकी  विशेषज्ञ - सब का जमावड़ा लग जाता है ऐसे गड्ढे के पास . मिडिया चौबीस घंटे उसे क्रिकेट मैच की तरह दिखाती है . कुछ बच्चे जो खुशकिस्मत थे की ऐसे गड्ढों में गिरने के बावजूद आज भी जिन्दा हैं उनमे से हैं - 2006 में 50 फूट गहरे गड्ढे में 2 दिन फंसे रहने के बाद बचे 6 वर्षीय प्रिंस , आगरा में एक 15 फूट गहरे गड्ढे में से बचाए  गए 2 वर्ष के सोनू , जयपुर में 2009 में बचाया गया एक 5 वर्षीय बच्चा  जो गिरा था कोई 250-300 फुर गहरे गड्ढे में , और उसी समय जयपुर के पास ही बचाया गया 4 वर्षीय अंजू गुज्जर को एक 50 फुट गहरे गड्ढे से . कुछ बच्चे प्रिंस और अन्य  बताये बच्चों की तरह भाग्यशाली नहीं रहे - 2009 में 50 फुट गहरे में गिरे 11 वर्षीय  कीर्तन परनामी , वारंगल में 35 फुट गहरे गड्ढे में गिर कर नहीं बच पाए दर्वाथ महेश , 2007 में गुजरात के मडेली  गावं में गयी 2 वर्षीय किंजल मान सिंह और उसी वर्ष पुणे के शिरूर गाँव में नहीं बचा एक  5 वर्षीय बालक .2007 में ही 2 वर्षीय अमित मध्य प्रदेश के कटनी शहर में एक 56 फुट गहरे गड्ढे में से जिन्दा नहीं निकला . 2011 में गिरा एक लड़का 4 साल का तिरुनाल्वेल्ली के एक गड्ढे में और नहीं बच पाया . और आजकल पिछले एक हफ्ते से सुर्ख़ियों में रही 5 वर्षीय माही जिसने  गुरगांव के मानेसर में मौत से लड़ने के बाद एक 70 फुट गहरे गड्ढे में दम तोड़ दिया . सारा देश प्रार्थना  के साथ प्रतीक्षा कर रहा था माही  की, लेकिन बाहर  निकला माही का निर्जीव शरीर !

ये क्या सिलसिला चल रहा है हमारे देश में ? कोई भी गड्ढा तभी महत्वपूर्ण हो पाता  है जब कोई मासूम  उसमें गिर कर  दम तोड़ता है . क्या देश में विभिन्न शहरों  में बनी कोर्पोरेसन , मुनिसिपल्टी आदि सिर्फ टैक्स लेने  के लिए बनी है ? क्या मिडिया इंतजार करती है किसी बच्चे का ऐसे गड्ढों में गिरने का ? क्या सर्कार बच्चे की मौत के बाद ढूँढने निकलती है वो गला जिसमे फांसी का फंदा डाला जाए ? क्या संभव नहीं है , की कोर्पोरेसन आदि एक ऐसा दस्ता बनाये जो निरंतर घूम घूम कर ऐसे हत्यारे गड्ढों की खोज करे ? क्या मिडिया नहीं दिखा सकती ऐसे गड्ढों को टी वी पर जिनमे कोई बच्चा गिरा तो नहीं लेकिन कभी भी गिर सकता है ? क्या सर्कार ऐसे गड्ढे खोद कर खुला छोड़ने वालों के लिए कोई जोरदार कानून नहीं पास कर सकती ? क्या आम नागरिक थोडा सा कष्ट कर के ऐसे खुले मुंह वाले गड्ढों की रिपोर्ट करे पुलिस थाने  में नहीं कर सकता ? सब कुछ संभव है लेकिन न जाने कितनी और बलियों  के बाद हो पाएगी ये  सुरक्षा इस देश के नन्हे मुन्ने नागरिकों की !

और ये लेख लिखते लिखते पढ़ी एक और घटना आज के अख़बार में - हावड़ा में एक  15 वर्षीय युवक गिरा एक 70 फुट गहरे गड्ढे में ; 11 घंटों की मशक्कत के बाद रोशन परासी  का पार्थिव शरीर   बाहर  निकाला  गया .

सिलसिला चालू है - कोई कुछ तो करो इस देश को गड्ढे  में गिरने से रोकने के लिए !






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