- लो जी हमने कल फूंक दिए देश के सारे रावण ! कोई भी नहीं बचा। खेल ख़त्म पैसा हजम ! किसे भुलावा देते हैं हर साल ? जिसे जलाते हैं , वो तो सिर्फ एक पुतला था , जिसे बनाकर किसी गरीब के घर का चूल्हा जला होगा। सड़कों पर बाजार लगते हैं रावण के पुतलों के। छोटा रावण , बड़ा रावण , मूंछ वाला रावण , दस सर वाला रावण ! रावण जितना बड़ा - पैसे उतने ज्यादा। छोटे बच्चे , बूढी औरतें , सभी मिलकर बनाते हैं वो बेंत और कागज वाले रावण। भरण पोषण होता है उनके परिवारों का । ऐसे रावणों को मैं क्यों बुरा कहूँ , जो स्वयं जल कर भी गरीब को रोटी देते हैं।
- उन रावणों को कौन जलाएगा , जो निर्भया जैसी मासूम बच्चियों का बलात्कार करते हैं ! उन पुलिस के वेश में बैठे जल्लादों को कौन जलाएगा जो गरीब आदमी को फंसा कर थाने में मार डालते हैं। शहाबुद्दीन जैसे खूंखार हत्यारों को जो बेल पर छुड़ा लेते हैं - उनको कौन जलाएगा ? नगर नगर में रावणों की भरमार है ; लेकिन उनके वध के लिए कोई विजयादशमी नहीं आती।
बातचीत एक प्लेटफार्म है अपने आस पास होने वाली घटनाओं को सहित्यिक ढंग से बताने का . यानि की एक ऐसा अखबार , जो अखबार जैसा न हो. सांकेतिक कथाएं ,वर्णन ,लेख - सब कुछ हिस्सा होंगे इस ब्लॉग का . सबसे बड़े हिस्सेदार होंगे आप, पाठक गण. बुरे को बुरा कहने में संकोच न करें. लेकिन अच्छा लगे तो दो शब्द उत्साह वर्धन के भी.
नील स्वर्ग
Wednesday, October 12, 2016
खेल ख़त्म पैसा हजम !
Wednesday, October 5, 2016
देश की प्रतिक्रिया
देश की
प्रतिक्रिया
उरी हमले के बाद
पाकिस्तान सोशल मिडिया में छाया हुआ है। ब्रह्मपुत्र के जल की धारा में रुकावट
डालने से चीन ने अपना खुला समर्थन पाकिस्तान को दे दिया। तब से लगातार ऐसे सन्देश
और संवाद व्हाट्सप्प , ट्विटर और फेसबुक
पर घूम रहें हैं , की भारत के लोगों
को इन दोनों देशों से व्यापारिक या अन्य किसी प्रकार का रिश्ता नहीं रखना चाहिए।
यहाँ तक की दिवाली की खरीददारी में चीनी माल का बहिष्कार करना चाहिए।
इस तरह के संवाद
देने वाले तो बहुत है , लेकिन इन पर अमल
करने वाले ज्यादातर लोग शांत हैं। मेरे एक मित्र सुशील पोद्दार ने उत्तर दिया कि
पिछले कई महीनों की खोजबीन और मोलभाव के बाद उन्होंने एक चीनी कंपनी से अपनी
फैक्ट्री के लिए कुछ मशीने खरीदने का निर्णय लिया हुआ था ; लेकिन उरी के बाद के घटनाक्रम ने उन्हें सोचने
पर मजबूर कर दिया। उन्होंने चीन से मशीन खरीदने
का अपना निर्णय बदल दिया। अब उन्हें नए सिरे से किसी और देश के साथ मोलभाव करना है
, और ऊंचे दाम देकर वो मशीन
लेनी है। मेरे एक अन्य मित्र श्रवण सुरेका ने भी लिखा की उनकी एक व्यापारिक डील
करोड़ों रुपये की एक चीनी कंपनी से तय हो चुकी थी ; लेकिन उन्होंने अपनी डील कैंसिल कर दी।
सुशील पोद्दार और
श्रवण सुरेका के निर्णय की किसी ने चाहे वाहवाही नहीं की हो , लेकिन ये लोग हमारे देश के असली देशभक्त हीरो
हैं ; मैं इन्हें सैलूट करता हूँ।
मुम्बई हमले के
पहले क्या उन पाकिस्तानियों ने लोगों से पूछा था की तुम में से कोई कलाकार तो नहीं
है न ? और न हीं देश के जांबाज कमांडो ने पुछा था , की वो लड़ाई किसके लिए लड़ रहे थे। मैं निंदा
करता हूँ - ऐसे स्वार्थी लोगों की जो कला की आड़ में देश से ऊपर अपने
व्यक्तिगत स्वार्थ को महत्व देते हैं।
बोले तो कुछ और
भी लेकिन फिर जल्दी जल्दी फैला हुआ रायता समेत लिया। देश की जनता ऐसे राजनीति की
आड़ में देशद्रोह करने वालों को कभी माफ़ नहीं करेगी।
आदरणीय मोदीजी !
पूरा देश हर कदम पर आपके साथ है। पाकिस्तान के साथ जैसा सलूक किया जाना उचित है ,
वैसा करें। चंद लोगों बकवास इस देश के सवा सौ करोड़ देश वाशियों
के सामने नक्कार खाने की तूती मात्र है।
उन्हें अनसुना कीजिये और विजय पथ पर बढिए - चाहे शांति के मार्ग से और चाहे
युद्ध के मार्ग से !
शत शत वंदन !
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