नील स्वर्ग

नील स्वर्ग
प्रकृति हर रंग में खूबसूरत होती है , हरी, पीली , लाल या फिर नीली

Thursday, November 6, 2014

बचपन की चाहत - एक लघु कथा



एक दिन पोते ने जिद पकड़ ली कि  दादाजी उसको पार्क में ले जाएं. दादाजी शहर के गिने चुने खानदानी बड़े सेठों में शुमार होते थे। पोते के  सामने झुकना पड़ा।  अपनी बड़ी सी महँगी गाडी में वो पोते को लेकर गए। पार्क में काफी लोग थे।  एक तरफ बच्चों के झूले लगे थे।   पोता उस तरफ दौड़ा।  वो एक के बाद एक झूले पर बैठने  और झूलने लगा। आज दादाजी उसके साथ थे इसलिए वो अपने आप को को अन्य बच्चों से ज्यादा शक्तिशाली समझ रहा था।

एक झूले पर अपनी पारी समाप्त हो जाने के बाद वो तुरंत दूसरी पारी की जिद करने लगा।  अन्य बच्चों ने समझाया  बच्चे बारी बारी से झूले पर बैठ रहें हैं , इसलिए उसे फिर से लाइन में लग जाना चाहिए। जब वो नहीं माना तो सभी बच्चों ने उसे जबरन उसे वहां से हटा दिया। दादाजी को ये बात बहुत नागँवार गुजरी।

उन्होंने घर आकर अपना फरमान जारी कर दिया।   पोता उस सड़े हुए सरकारी पार्क में नहीं जाएगा। उन्होंने उसी समय एक झूले बनाने वाली कंपनी को बुला कर सभी झूलों का आर्डर दे दिया।  उनके बंगले के पीछे बहुत सारी जगह पड़ी थी।  वहां एक फुलवारी बनाकर सभी झूले लगवा दिए गए।  पोते के जन्मदिन पर वो पर्सनल पार्क पोते को भेंट कर दिया।

 दिन भर दफ्तर का काम निपटा कर दादाजी घर पहुंचे तो उन्हें पोता उदास सा दरवाजे पर बैठा पाया। दादाजी ने पूछा - ' क्यों भाई , आज जी  भर के झूला झूले या नहीं ?'

पोते ने कहा -' किसके साथ खेलूं ? मेरे सभी दोस्त तो वहां पार्क में हैं। '

दादाजी अपने सारे अनुभवों के उपरांत भी बचपन की चाहत को समझ नहीं पाये।


Monday, November 3, 2014

आज का दिन ( ऑक्टोबर ३१) - १९८४ में

आज का दिन बहुत विशेष है. आज सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मदिन है।  इस विशेष अवसर की वास्तविक विशेषता को उजागर  किया है हमारे प्रधानमंत्री मोदीजी ने।   पूरे देश में आज का   दिन मनाया जा रहा है - एकता दिवस के रूप में।

 आज का दिन एक और महत्वपूर्ण घटना की याद दिलाता है। आज के दिन १९८४ में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी  की हत्या उनके सुरक्षा कर्मियों ने दिन दहाड़े कर दी थी।

व्यक्तिगत - मेरे लिए भी  आज का दिन  महत्वपूर्ण है - क्योंकि आज मेरा भी जन्मदिन है।  १९८४ की एक घटना को याद करता हूँ।  उस वर्ष ईश्वर ने बहुत बड़ी कृपा की और मेरे पुत्र पराग का जन्म हुआ  २४ सितम्बर को। परिवार के लोग बहुत खुश थे , इसलिए हमने सभी रिश्तेदारों और मित्रों के लिए एक पार्टी का आयोजन किया - ऑक्टोबर ३१ यानी आज ही के दिन। इस पार्टी का स्थान हमने चुना फोर्ट विलियम गोल्फ क्लब का हाल तथा बगीचा।

फोर्ट विलियम भारतीय सेना के  अंतर्गत है , गैर सेना के लोगों को ये जगह वहां दी जाती थी , गोल्फ क्लब के  सदस्यों की सिफारिश पर।  इस शर्त पर की अगर सेना का  कार्यक्रम नहीं हुआ तभी वो जगह दी जायेगी।  हमने ३-४ हफ़्तों पहले ही वहां अड्वान्स देकर अपनी तारीख   सुनिश्चित कर ली थी। निश्चित दिन से  चार पांच दिन पहले मेरे पास फोर्ट विलियम क्लब से फोन आया - ' सर आपकी बुकिंग हमारे पास ३१ ऑक्टोबर शाम के  लिए है , लेकिन उस दिन अचानक एक डिफेन्स का कार्यक्रम तय हो  गया है , इसलिए हम आपको हमारी जगह नहीं दे सकेंगे। '

हमारे पार्टी के  निमंत्रण पत्र बंट चुके थे। लेकिन नियमों के आधार पर हम विरोध भी नहीं कर सकते थे। हमने पार्टी  एक दिन पहले यानि ३० ऑक्टोबर की रख दी।  सबको फोन पर सूचित करना पड़ा। ईश्वर की दया से हमारा कार्यक्रम अच्छी तरह संपन्न हो गया।

अगले दिन सुबह रेडियो और टीवी पर दुखद खबर  आई - ' प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या हो गयी। ' ३१ ऑक्टोबर  नहीं बल्कि  अगले हफ्ते भर तक कोलकाता शहर में कोई पार्टी या कार्यक्रम नहीं हुए।  क्या हुआ ये मेरे  पाठक जानते ही  हैं।

हर बात के पीछे कोई न कोई कारण छुपा होता है ;  है या नहीं ?