एक बारात जा रही थी . घोड़ी पर दुल्हे मियां सेहरा पहन कर शान से बढ़ रहे थे . घोड़ी के सामने बैंड पार्टी जोश में बैंड बजाते हुए चल रही थी . बैंड के आगे दुल्हे के दोस्त नाचने में व्यस्त थे . अच्छे अच्छे सूट पहन कर पसीने में लथपथ सारे नवयुवक ऐसे नाच रहे थे जैसे जीवन में नाचने का ये अंतिम मौका हो . दुल्हे के ख़ास रिश्तेदार जैसे की जीजा , भाई , मामा नोटों की गड्डी हवा में लहरा रहे थे , और बीच बीच में नोटों को निकल कर हवा में उछाल रहे थे . बैंड पार्टी के नियुक्त एकदो व्यक्ति नोटों को उठा रहे थे .
युवक थे की आगे बढ़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे . परिवार के बुजुर्ग उन्हें समझा बुझा कर आगे बढ़ने को कहते थे , कुछ नरम दिल युवक मान जाते , लेकिन एक दो ऐसे थे की सब को रोकते रहते और बोलते - अंकल , ऐसा मौका कब कब मिलता है , थोड़ी देर और प्लीज़ ! ख़ास कर काले कपड़ों में हीरो सा दिखने वाला एक लड़का , जो बहुत अच्छा नाच रहा था , वो आगे बढ़ने ही नहीं दे रहा था . वो बीच बीच में अपनी जेब से नोट निकल कर दुल्हे के सर पर वार कर बैंड वालों को भी दे रहा था .
आखिर परेशान होकर दुल्हे के पिता ने दुल्हे से धीरे से कहा - बेटा , मुहूर्त निकल जा रहा है , तुम्हारे ये दोस्त आगे बढ़ने का नाम ही नहीं ले रहे हैं - ख़ास कर वो काले कपड़ों वाला . दुल्हे ने कहा - उसे तो मैं जानता ही नहीं . दुल्हे की पिता ने दुल्हे के एक दो और दोस्तों से पूछा ; उन्होंने भी कहा की उन्हें पता नहीं की वो कौन है ,बल्कि वो लोग सोच रहे थे की उनके दोस्त का कोई रिश्तेदार है .
दुल्हे के पिता ने धीरे से हाथ पकड़ के उस लड़के को बारात से बाहर किया और पुछा - भैया , तुम हो कौन और किस नाते से यहाँ हो ? वो लड़का घबरा गया - अंकल ......अंकल .......मैं तो दुल्हे का दोस्त हूँ . पिता ने कहा - ऐसी एकतरफा दोस्ती तो हमने देखी नहीं; साफ़ बताओ की कौन हो वर्ना पुलिस में दे दूंगा .
लड़का घबरा गया ; बोला - अंकल पुलिस को मत बुलाइये .मैं कोई चोर उचक्का नहीं हूँ . मैं तो इस बैंड पार्टी का हिस्सा हूँ . मुझे ये लोग तैयार कर के साथ में लाते हैं . हमारी आपस की अंडर स्टेंडिंग ये है की जिस बरात में पैसे अच्छे लुटा रहें हो वहां बारात को बिलकुल धीरे धीरे आगे बढ़ाये और जहाँ माल न मिले वहां औरों को भी जल्दी जल्दी आगे बढ़ाये . आप के यहाँ तो नोटों की बरसात हो रही है . बीच बीच में मुझे भी अपनी जेब से निकाल कर नोट लुटाने होते हैं , ताकि बाकि सभी को भी जोश आ जाए . बाद में हम सभी अपना अपना हिस्सा पाती बाँट लेते हैं .
दुल्हे के पिता ने हंस कर उसे छोड़ दिया !
युवक थे की आगे बढ़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे . परिवार के बुजुर्ग उन्हें समझा बुझा कर आगे बढ़ने को कहते थे , कुछ नरम दिल युवक मान जाते , लेकिन एक दो ऐसे थे की सब को रोकते रहते और बोलते - अंकल , ऐसा मौका कब कब मिलता है , थोड़ी देर और प्लीज़ ! ख़ास कर काले कपड़ों में हीरो सा दिखने वाला एक लड़का , जो बहुत अच्छा नाच रहा था , वो आगे बढ़ने ही नहीं दे रहा था . वो बीच बीच में अपनी जेब से नोट निकल कर दुल्हे के सर पर वार कर बैंड वालों को भी दे रहा था .
आखिर परेशान होकर दुल्हे के पिता ने दुल्हे से धीरे से कहा - बेटा , मुहूर्त निकल जा रहा है , तुम्हारे ये दोस्त आगे बढ़ने का नाम ही नहीं ले रहे हैं - ख़ास कर वो काले कपड़ों वाला . दुल्हे ने कहा - उसे तो मैं जानता ही नहीं . दुल्हे की पिता ने दुल्हे के एक दो और दोस्तों से पूछा ; उन्होंने भी कहा की उन्हें पता नहीं की वो कौन है ,बल्कि वो लोग सोच रहे थे की उनके दोस्त का कोई रिश्तेदार है .
दुल्हे के पिता ने धीरे से हाथ पकड़ के उस लड़के को बारात से बाहर किया और पुछा - भैया , तुम हो कौन और किस नाते से यहाँ हो ? वो लड़का घबरा गया - अंकल ......अंकल .......मैं तो दुल्हे का दोस्त हूँ . पिता ने कहा - ऐसी एकतरफा दोस्ती तो हमने देखी नहीं; साफ़ बताओ की कौन हो वर्ना पुलिस में दे दूंगा .
लड़का घबरा गया ; बोला - अंकल पुलिस को मत बुलाइये .मैं कोई चोर उचक्का नहीं हूँ . मैं तो इस बैंड पार्टी का हिस्सा हूँ . मुझे ये लोग तैयार कर के साथ में लाते हैं . हमारी आपस की अंडर स्टेंडिंग ये है की जिस बरात में पैसे अच्छे लुटा रहें हो वहां बारात को बिलकुल धीरे धीरे आगे बढ़ाये और जहाँ माल न मिले वहां औरों को भी जल्दी जल्दी आगे बढ़ाये . आप के यहाँ तो नोटों की बरसात हो रही है . बीच बीच में मुझे भी अपनी जेब से निकाल कर नोट लुटाने होते हैं , ताकि बाकि सभी को भी जोश आ जाए . बाद में हम सभी अपना अपना हिस्सा पाती बाँट लेते हैं .
दुल्हे के पिता ने हंस कर उसे छोड़ दिया !
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