भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जोरदार मुहिम छेड़ी है , अन्ना हजारे ने . जब एक आम आदमी अपने प्राणों को दांव पर लगा कर लड़ता है, भ्रष्टाचार के राक्षस से तो उसके साथ सारा देश जुड़ जाता है . बहुत गालियाँ पड़ रही है राज नेताओं को और सरकार को . लोग आगे बढ़ बढ़ कर अपना समर्थन दे रहें हैं अन्ना को . लेकिन ये समय है आत्म मंथन का भी . क्या आपने बाइबल की वो कहानी सुनी है - जिसमे एक पापी को दण्डित करने के लिए बहुत बड़ी भीड़ जमा थी अपने हाथों में पत्थर लेकर ; लेकिन ईशा ने शर्त रखी के पहला पत्थर वो ही उठाये जिसने जीवन में कोई पाप नहीं किया हो .और फिर सब के हाथ से पत्थर छुट कर गिर गए जमीन पर .
भ्रष्टाचार सिर्फ वही नहीं है जो कलमाड़ी ने किया ; भ्रष्टाचार वही नहीं जो राजा ने किया ; इस देश के दैनिक जीवन में भ्रष्टाचार जड़ से लेकर शिखर तक कूट कूट के भरा है . आइये जरा चर्चा करें हमारे जीवन के छोटे छोटे उदाहरणों की . बच्चे को स्कूल में दाखिला नहीं मिल रहा , किसी को पैसे देकर मिलता है तो हम तुरत तैयार हो जाते हैं . रेल की टिकट नहीं मिल रही , किसी टिकट बाबू को घूस देकर सीट मिलती है तो हम तैयार हैं . इनकम टैक्स का अफसर हमारे भरे गए रिटर्न में खामियां निकल कर उसमे टैक्स और जोड़ने की बात करता है , हम उसे ले दे के सलटाने में विश्वास रखतें हैं . स्कूल और कोलेज के छात्रों को अगर इम्तिहान का परचा कहीं से मिलता हो तो वो कुछ भी करने को तैयार हैं . पैसे लेकर शिक्षक पर्चे की हिंट देने को तैयार है ; स्कूल में ढंग से नहीं पढ़ने वाला मास्टर पैसे लेकर प्राइवेट टूशन पढ़ाने को तैयार है. ब्लैक में टिकट लेकर सिनेमा देखना तो हमारे यहाँ शाश्वत नियम रहा है . डाक्टर अपनी फीस कमाने के लिए बिना जरूरत के टेस्ट और यहाँ तक की ऑपरेशन लिख देता है ; सामान्य गर्भ की अवस्था में भी आज ज्यादातर प्रसव पेट काट कर किये जाते हैं .अस्पताल गर्भ का लिंग परीक्षण कर कन्याओं को जड़ से मिटाने में लगें हैं. फिल्म स्टार अवैध शारीरिक संबंधों की चर्चा खुले आम करते हैं .
हर जगह हर चीज 'मैनेज' और हर अवस्था का ' अडजस्टमेंट ' होता है . सिर्फ देश का श्रमजीवी ही एक ऐसा वर्ग है जिसके पास भ्रष्टाचार करने के न तो कारण हैं और न ही साधन . इसके अलावा समाज के हर व्यक्ति को अपने गिरेबान में झाँक कर देखना चाहिए . आज अगर अरविन्द केजरीवाल , किरण बेदी और स्वामी अग्निवेश जैसे लोग अपनी छाती ठोक कर अन्ना के साथ खड़े हैं तो इसलिए की उनका मनोबल अन्ना की तरह साफ़ है . बेईमान आदमी अन्ना के मंच के आस पास भी नहीं फटकते .
इस लेख के लिखने का मेरा प्रयोजन ये है , कि आज समय है जब की हम सब एक प्रण लेवें कि हम अपने जीवन में किसी भ्रष्टाचार में शामिल नहीं होने देंगे . न रिश्वत लेंगे, न देंगे ! टैक्स की चोरी नहीं करेंगे ! व्यक्तिगत फायदे के लिए गलत काम नहीं करेंगे ! हर चुनाव में वोट डालने जायेंगे ! अपराधी छवि वाले या किसी गलत काम में लिप्त व्यक्ति को वोट नहीं देंगे! अपनी जातिगत सोच से ऊपर उठ कर सही व्यक्ति का चुनाव ही करेंगे ! अगर कोई भी व्यक्ति सही नहीं है तो अपने वोट पर रद्द होने के निशान लगा कर सबको नकार देंगे ! लाइन तोड़ के किसी का हक़ नहीं मारेंगे ! किसी के गलत काम में उसका साथ नहीं देंगे ! अगर हम सबने अपने जीवन में कुछ बदलाव लाने का फैसला ले लिए तो समझिये अपने आप ही समग्र क्रांति का सूत्रपात हो जाएगा . अगर हम ये सब कुछ कर सकने के लिए समर्पित हैं तो हमें अधिकार है अन्ना के साथ मंच पर बैठने का और भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन में भाग लेने का !
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