पूरा देश दीपावली का त्यौहार मना रहा है . लोग फुलझड़ियाँ , अनार, रोकेट आदि आतिशबाजी की सामग्री जला कर रौशनी का मजा ले रहें हैं . इस बार पटाखों का धमाका कम है . कारण ये है की पहली बार सर्कार की तरफ से पटाखों की होने वाली ध्वनि के नियंत्रण पर बने कानूनों को लागू किया जा रहा है . एक तय सीमा से अधिक डेसीबेल (ध्वनि की तीव्रता नापने की इकाई ) पाए जाने पर उन पटाखों को जब्त कर लिया जाता है . सरकारी काम में देर है और अंधेर तो है ही !
वैसे सबसे उच्च डेसीबेल के पटाखे इस बार छोड़ रहें हैं अरविन्द केजरीवाल ! हर हफ्ते एक धमाका करते हैं ; अब तक के धमाकों में रॉबर्ट वाड्रा , सलमान खुर्शीद, नितिन गडकरी , मुकेश अम्बानी , डाबर के बर्मन, एच एस बी सी बैंक आदि चपेट में आ चुके हैं . आगे के नामों की घोषणा भी जारी है ; कहते हैं की शीला दीक्षित का नंबर है . अफ़सोस ये है की अरविन्द के सारे धमाके दिवाली के पटाखे बन कर रह गए हैं ; एक पटाखे की आवाज बंद होते ही दूसरा पटाखा ! जिन बातों में एटम बम बनने की क्षमता है , वो बातें मात्र पटाखे बन कर रह गयी है . कहीं न कहीं अरविन्द के चिंतन में बहुत बड़ी कमजोरी है - जिसके कारण धीरे धीरे लोग उन्हें गंभीरता से लेना बंद कर रहें हैं . शायद अन्ना के मार्गदर्शन की कमी स्पष्ट नजर आ रही है .
वैसे सबसे उच्च डेसीबेल के पटाखे इस बार छोड़ रहें हैं अरविन्द केजरीवाल ! हर हफ्ते एक धमाका करते हैं ; अब तक के धमाकों में रॉबर्ट वाड्रा , सलमान खुर्शीद, नितिन गडकरी , मुकेश अम्बानी , डाबर के बर्मन, एच एस बी सी बैंक आदि चपेट में आ चुके हैं . आगे के नामों की घोषणा भी जारी है ; कहते हैं की शीला दीक्षित का नंबर है . अफ़सोस ये है की अरविन्द के सारे धमाके दिवाली के पटाखे बन कर रह गए हैं ; एक पटाखे की आवाज बंद होते ही दूसरा पटाखा ! जिन बातों में एटम बम बनने की क्षमता है , वो बातें मात्र पटाखे बन कर रह गयी है . कहीं न कहीं अरविन्द के चिंतन में बहुत बड़ी कमजोरी है - जिसके कारण धीरे धीरे लोग उन्हें गंभीरता से लेना बंद कर रहें हैं . शायद अन्ना के मार्गदर्शन की कमी स्पष्ट नजर आ रही है .